महराजगंज: उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर ईटीवी भारत की टीम महाराजगंज जिले के रामपुर गांव पहुंची, जहां पर हुए विकास कार्यों का जायजा लिया गया. तो पता चला कि यहां पर गांव के किसी भी व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. यहां सरकारी योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं. महराजगंज में योजनाओं के नाम पर धन उगाही का काम किया गया है और विकास तो मानो इस गांव का रास्ता ही भूल गया है.
कागजों में सिमट कर रह गया गांव का विकास
महराजगंज के पनियरा ब्लॉक में स्थित रामपुर गांव पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने गांव में अब तक हुए विकास कार्यों के संबंध में ग्रामीणों से बात की गई तो ग्रामीणों ने विकास से साफ इंकार कर दिया. ग्रामीणों ने गांव के प्रधान पर आरोप लगाना शुरू कर दिया. गांव की जाम नालियां, कीचड़ से भरी टूटी-फूटी सड़कें इस गांव के विकास की हकीकत को बयां करने के लिए काफी हैं. इस गांव का मुख्य मार्ग तो पक्का है, लेकिन गांव की गलियां आज भी संवारे जाने की राह देख रही हैं.
नहीं मिला पात्र लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ
गांव के तमाम पात्र लाभार्थियों को आज भी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान के चहेते लोगों को शौचालय और आवास का लाभ मिला है और पात्र लाभार्थियों को दरकिनार कर दिया गया है. जबकि उनके सिर पर पक्की छत तक नहीं है. यहां के कई ग्रामीण झुग्गी और फूस की झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं. यहां रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि उनके आवास के नाम पर पैसा लिया गया है. जिसने पैसा दिया उसको तो आवास मिला जिसने नहीं दिया उसको कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं दिया गया.
अपात्रों को दिया योजनाओं का लाभ
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के प्रधान और जिम्मेदार अधिकारियों ने उन लोगों को आवास और सरकारी योजनाओं का लाभ दिया है जो गांव के प्रधान के खास हैं और अपात्र है. कुछ ऐसे पात्र लोगों को आवास दिया है, जिन्होंने उनको पैसा दिया है. गांव में तमाम लोग वृद्धा, विधवा, विकलांग पेंशन के लिए आज भी तरस रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनकी पंचायत के जिला पंचायत सदस्य वीरेंद्र सिंह हैं. जब से वह चुनाव जीते हैं उसके बाद से मानो गांव का रास्ता भूल गए हैं. चुनाव जीतने के बाद वह एक बार भी ग्रामीणों को देखने तक नहीं आए विकास करना तो दूर की बात है.
गांव की टूटी सड़कें, नालियां जाम, गंदगी का लगा अंबार
गांव की अधिकांश सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं तो आज भी कई गांव ऐसे हैं जो मुख्य सड़कों से नहीं जुड़ सके हैं. गांव में आज भी पर्याप्त इंडिया मार्का हैंड पंप और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने से लोग दूषित जल पीने के लिए मजबूर हैं. गांव की नाली और गलियों की साफ सफाई के लिए रखे गए सफाई कर्मचारी कभी गांव में नहीं आते हैं. ग्राम प्रधान और अधिकारियों के रहमो करम पर जहां सफाई कर्मचारी मौज कर रहे हैं, वहीं गांव की नालियां जाम हैं और गलियों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जिला पंचायत के विकास कार्य और योजनाएं यहां कागजों में सिमट कर रह गए हैं.