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महराजगंज: जमीन के मुआवजे को लेकर किसानों का हंगामा

यूपी के महराजगंज जिले में किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि सरकार उनकी उपजाऊ भूमि के बदले जो मुआवजा दे रही है, वह बेहद कम है.

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Published : Oct 18, 2020, 10:16 AM IST

महराजगंज: जिले के किसानों ने जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. दरअसल किसान भारत-नेपाल की सोनौली सीमा पर बनने वाले इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट निर्माण के लिए की जाने वाली भूमि अधिग्रहण में मिल रहे मुआवजे की रकम से नाखुश हैं. वहीं प्रदर्शन करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार उनकी उपजाऊ भूमि के बदले जो मुआवजा दे रही है, वह कम है. किसानों ने प्रशासन पर जबरिया भूमि को अधिग्रहित करने का आरोप लगाकर कर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि प्रशासन उनकी भूमि का मुआवजा 17 लाख रुपये प्रति एकड़ दे रही है, जोकि काफी कम है. किसानों का कहना है कि वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन उक्त मूल्य पर भूमि नहीं देंगे. किसानों का कहना है कि जिस स्थान पर इंटीग्रेटेड चे कपोस्ट के लिए करीब 120 एकड़ भूमि मिल रही है, वहां का बाजार मूल्य 1.5 से 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है.

दरअसल वर्ष 2004 से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई है. वर्ष 2010 में कुछ किसानों को 80 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि अधिग्रहित की गई. वहीं वर्ष 2016 में 1 करोड़ 32 लाख प्रति एकड़ की दर से सहमति पत्र बना, लेकिन अब करीब 17 लाख प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की बात कही जा रही है. किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी किसानों से स्पष्ट वार्ता नहीं करता है. साथ ही अपने ही द्वारा पूर्व में घोषित अधिग्रहण मूल्य को गलती बता बदल दिया जाता है.

महराजगंज: जिले के किसानों ने जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. दरअसल किसान भारत-नेपाल की सोनौली सीमा पर बनने वाले इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट निर्माण के लिए की जाने वाली भूमि अधिग्रहण में मिल रहे मुआवजे की रकम से नाखुश हैं. वहीं प्रदर्शन करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार उनकी उपजाऊ भूमि के बदले जो मुआवजा दे रही है, वह कम है. किसानों ने प्रशासन पर जबरिया भूमि को अधिग्रहित करने का आरोप लगाकर कर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि प्रशासन उनकी भूमि का मुआवजा 17 लाख रुपये प्रति एकड़ दे रही है, जोकि काफी कम है. किसानों का कहना है कि वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन उक्त मूल्य पर भूमि नहीं देंगे. किसानों का कहना है कि जिस स्थान पर इंटीग्रेटेड चे कपोस्ट के लिए करीब 120 एकड़ भूमि मिल रही है, वहां का बाजार मूल्य 1.5 से 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है.

दरअसल वर्ष 2004 से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई है. वर्ष 2010 में कुछ किसानों को 80 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि अधिग्रहित की गई. वहीं वर्ष 2016 में 1 करोड़ 32 लाख प्रति एकड़ की दर से सहमति पत्र बना, लेकिन अब करीब 17 लाख प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की बात कही जा रही है. किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी किसानों से स्पष्ट वार्ता नहीं करता है. साथ ही अपने ही द्वारा पूर्व में घोषित अधिग्रहण मूल्य को गलती बता बदल दिया जाता है.

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