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करोड़ों खर्च के बाद महाराजगंज में सूखे तालाब, पानी के लिए पशु पक्षी बेहाल

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में सभी तालाब सूखे पड़े हैं, जिससे पशु-पक्षियों को पानी पीने के नहीं मिल पा रहा है. साथ ही मनरेगा की तरफ से बनाए गए इन तालाबों में पानी न होने के कारण पशुपालकों को भी जूझना पड़ रहा है.

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Published : May 17, 2020, 7:15 PM IST

animal and birds are not getting water
जानवरों और पक्षियों को नहीं मिल रहा है पानी

महराजगंज: जिले में जल संचय के लिए मनरेगा योजना के अंतर्गत हर एक गांव में करोड़ों रुपये खर्च करके दो-चार तालाबों की खुदाई कराई गई है, जिससे पशु पक्षी अपनी प्यास बुझा सकें. इसके बावजूद तालाब सूखे पड़े हुए हैं, जिससे भीषण गर्मी से पशु पक्षी बेहाल हैं. तालाबों के सूख जाने से बेजुबान छटपटा रहे हैं.

जानवरों और पक्षियों को नहीं मिल रहा है पानी

जिले में तमाम तालाब सूखे हुए हैं. लाखों रुपये खर्च करके सुंदरीकरण किए गए तालाबों से धूल उड़ रही है. गर्मी में पशु-पक्षियों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. हालांकि प्रशासनिक अफसरों का दावा है कि जल्द ही तालाबों में पानी हो जाएगा, लेकिन यह दावा कब पूरा होगा यह स्पष्ट नहीं है.

जिले में कुल 5347 तालब और पोखर हैं, लेकिन पर्यावरण संतुलन, मवेशियों, पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए मनरेगा के तहत खोदे गए इन तालाबों में पानी नहीं है. तालाबों के अस्तित्व और सुंदरीकरण के नाम पर मनरेगा से खूब पैसा बहाया जा रहा है. जिले के कुछ तालाबों को छोड़कर बाकी सभी तालाब और नहरें सूखी पड़ी हुई हैं, जिससे पशु-पक्षियों के सामने पानी की समस्या है. इस गंभीर समस्या से पशुपालकों को भी जूझना पड़ रहा है.

महराजगंज: जिले में जल संचय के लिए मनरेगा योजना के अंतर्गत हर एक गांव में करोड़ों रुपये खर्च करके दो-चार तालाबों की खुदाई कराई गई है, जिससे पशु पक्षी अपनी प्यास बुझा सकें. इसके बावजूद तालाब सूखे पड़े हुए हैं, जिससे भीषण गर्मी से पशु पक्षी बेहाल हैं. तालाबों के सूख जाने से बेजुबान छटपटा रहे हैं.

जानवरों और पक्षियों को नहीं मिल रहा है पानी

जिले में तमाम तालाब सूखे हुए हैं. लाखों रुपये खर्च करके सुंदरीकरण किए गए तालाबों से धूल उड़ रही है. गर्मी में पशु-पक्षियों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. हालांकि प्रशासनिक अफसरों का दावा है कि जल्द ही तालाबों में पानी हो जाएगा, लेकिन यह दावा कब पूरा होगा यह स्पष्ट नहीं है.

जिले में कुल 5347 तालब और पोखर हैं, लेकिन पर्यावरण संतुलन, मवेशियों, पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए मनरेगा के तहत खोदे गए इन तालाबों में पानी नहीं है. तालाबों के अस्तित्व और सुंदरीकरण के नाम पर मनरेगा से खूब पैसा बहाया जा रहा है. जिले के कुछ तालाबों को छोड़कर बाकी सभी तालाब और नहरें सूखी पड़ी हुई हैं, जिससे पशु-पक्षियों के सामने पानी की समस्या है. इस गंभीर समस्या से पशुपालकों को भी जूझना पड़ रहा है.

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