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लखनऊ: प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट का होगा गठन, दुष्कर्म पीड़िताओं को मिलेगा न्याय

योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में प्रदेश भर में 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का निर्णय लिया है. इसमें केवल दुष्कर्म मामलों की सुनवाई की जाएगी. प्रदेश के कानून मंत्री ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.
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Published : Dec 9, 2019, 10:52 PM IST

लखनऊः महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराध ने सरकार की नींद उड़ा दी है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महिलाओं और बच्चों के प्रति घृणित अपराध के लिए 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने का निर्णय लिया है. इसके लिए 218 नए अपर सत्र न्यायाधीश स्तर के पदों का सृजन किया गया है. उनके सहयोगी स्टाफ और वेतन आदि की कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी है. इससे पहले यूपी में जो महिला कोर्ट चल रहे थे, उसमें महिलाओं से जुड़े यौन हिंसा के साथ-साथ अन्य मामलों की भी सुनवाई होती थी. इससे कोर्ट पर भार अधिक था और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में शीघ्र निर्णय नहीं हो पाता था. इसलिए योगी सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्थापित करने का निर्णय लिया है.

प्रदेश में होगा 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन.
योगी सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध से मुख्यमंत्री चिंतत हैं. हमारी सरकार ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने जा रही है, ताकि पीड़ितों को न्याय और दोषियों को जल्दी सजा मिल सके. बृजेश पाठक ने बताया कि प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट खुलेंगे. 144 कोर्ट रेगुलर कोर्ट होंगे, जो केवल दुष्कर्म के मामले देखेंगे. इसके अलावा बच्चों के प्रति अपराध के लिए 74 पॉक्सो कोर्ट बनाया गया है.

इसे भी पढ़ें- मैनपुरी दुष्कर्म कांड: पीड़िता के शिक्षकों को पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए लाया गया लखनऊ

मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि इन सभी न्यायालयों के लिए 218 पीठासीन अधिकारियों के पद भरे जाएंगे. कोर्ट संचालन के लिए 63 लाख रुपये प्रति कोर्ट हर साल खर्च आएगा. अगर किराए के भवन में कोर्ट संचालित होगा तो 3 लाख 90 हजार किराया प्रतिवर्ष दिया जाएगा. कोर्ट की डे-टू-डे संचालन पर 8 लाख 10 हजार रुपये सालाना खर्च निर्धारित किया गया है.

उत्तर प्रदेश में विभिन्न न्यायालयों में बच्चों के प्रति हुए अपराध के 42,379 मुकदमें लंबित हैं. वहीं महिलाओं के प्रति हुए अपराध में 25,749 दुष्कर्म के मामले दर्ज हैं. कोर्ट को संचालित करने में आने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार का क्रमशः 60: 40 के अनुपात में होगा. केंद्र सरकार 60 फीसद और 40 प्रतिशत राज्य सरकार खर्च करेगी. कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि कैबिनेट में हुए फैसले के बारे में हाईकोर्ट को अवगत कराया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द कोर्ट काम कर सकें.

लखनऊः महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराध ने सरकार की नींद उड़ा दी है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महिलाओं और बच्चों के प्रति घृणित अपराध के लिए 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने का निर्णय लिया है. इसके लिए 218 नए अपर सत्र न्यायाधीश स्तर के पदों का सृजन किया गया है. उनके सहयोगी स्टाफ और वेतन आदि की कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी है. इससे पहले यूपी में जो महिला कोर्ट चल रहे थे, उसमें महिलाओं से जुड़े यौन हिंसा के साथ-साथ अन्य मामलों की भी सुनवाई होती थी. इससे कोर्ट पर भार अधिक था और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में शीघ्र निर्णय नहीं हो पाता था. इसलिए योगी सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्थापित करने का निर्णय लिया है.

प्रदेश में होगा 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन.
योगी सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध से मुख्यमंत्री चिंतत हैं. हमारी सरकार ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने जा रही है, ताकि पीड़ितों को न्याय और दोषियों को जल्दी सजा मिल सके. बृजेश पाठक ने बताया कि प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट खुलेंगे. 144 कोर्ट रेगुलर कोर्ट होंगे, जो केवल दुष्कर्म के मामले देखेंगे. इसके अलावा बच्चों के प्रति अपराध के लिए 74 पॉक्सो कोर्ट बनाया गया है.

इसे भी पढ़ें- मैनपुरी दुष्कर्म कांड: पीड़िता के शिक्षकों को पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए लाया गया लखनऊ

मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि इन सभी न्यायालयों के लिए 218 पीठासीन अधिकारियों के पद भरे जाएंगे. कोर्ट संचालन के लिए 63 लाख रुपये प्रति कोर्ट हर साल खर्च आएगा. अगर किराए के भवन में कोर्ट संचालित होगा तो 3 लाख 90 हजार किराया प्रतिवर्ष दिया जाएगा. कोर्ट की डे-टू-डे संचालन पर 8 लाख 10 हजार रुपये सालाना खर्च निर्धारित किया गया है.

उत्तर प्रदेश में विभिन्न न्यायालयों में बच्चों के प्रति हुए अपराध के 42,379 मुकदमें लंबित हैं. वहीं महिलाओं के प्रति हुए अपराध में 25,749 दुष्कर्म के मामले दर्ज हैं. कोर्ट को संचालित करने में आने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार का क्रमशः 60: 40 के अनुपात में होगा. केंद्र सरकार 60 फीसद और 40 प्रतिशत राज्य सरकार खर्च करेगी. कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि कैबिनेट में हुए फैसले के बारे में हाईकोर्ट को अवगत कराया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द कोर्ट काम कर सकें.

Intro:लखनऊ: प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट से बलात्कर और बाल अपराध के दोषियों को सजा दिलाएगी सरकार

लखनऊ। महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराध ने सरकारों की नींद उड़ा दी है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महिलाओं और बच्चों के प्रति घृणित अपराध के लिए 218 नये कोर्ट खोलने का निर्णय लिया है। इसके लिए 218 नये अपर सत्र न्यायाधीश स्तर के पदों का सृजन किया गया है। उनके सहयोगी स्टाफ और उनके वेतन आदि की कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। ताकि तत्काल सारे कोर्ट अपना काम शुरू कर दें। इससे पहले यूपी में जो महिला कोर्ट चल रहे थे। उसमें महिलाओं से जुड़े रेप के साथ-साथ अन्य मामलों की भी सुनवाई होती थी। इससे कोर्ट पर भार अधिक था और बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में शीघ्र निर्णय नहीं हो पाता था। फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्थापित करने का निर्णय लिया है।


Body:योगी सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि महिलाओं के प्रति अपराध में मुख्यमंत्री अपनी चिंता व्यक्त की और हमारी सरकार ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करने के उद्देश्य से फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने जा रही है। ताकि पीड़ितों को न्याय और दोषियों को जल्दी मिल सके। महिलाओं और बच्चों के प्रति हो रहे अपराध के मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की आवश्यकता पड़ी और इस वजह से सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट खुलेंगे। 144 कोर्ट रेगुलर कोर्ट होंगे जो केवल रेप के मामले देखेंगे। इसके अलावा बच्चों के प्रति अपराध के लिए 74 पॉक्सो कोर्ट बनाया गया है।

मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि इन सभी न्यायालयों के लिए 218 पीठासीन अधिकारियों के पद भरे जाएंगे। उनका स्टाफ भरा जाएगा। कोर्ट संचालन के लिए 63 लाख रुपये प्रति कोर्ट हर साल खर्च आएगा। अगर किराए के भवन में कोर्ट संचालित होगा तो तीन लाख 90 हजार किराया प्रतिवर्ष दिया जाएगा। कोर्ट की डे-टू-डे संचालन पर आठ लाख 10 हजार रुपये सालाना खर्च निर्धारित किया गया है।

उत्तर प्रदेश में विभिन्न न्यायालयों में बच्चों के प्रति हुए अपराध के 42379 मुकदमे लंबित हैं। वहीं महिलाओं के प्रति हुए अपराध में 25749 बलात्कार के मामले दर्ज हैं। ये सभी न्यायालय जल्द से जल्द काम करना शुरू करेंगे। कोर्ट को संचालित करने में आने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार का क्रमशः 60: 40 के अनुपात में होगा। केंद्र सरकार 60 फीसद और 40 प्रतिशत राज्य सरकार खर्च करेगी। कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि कैबिनेट में हुए फैसले के बारे में हाई कोर्ट को अवगत कराया जाएगा ताकि जल्द से जल्द कोर्ट काम कर सकें।

नोट- कानून मंत्री बृजेश पाठक का 121 कैमरा मैन धीरज ने लाइव यू से भेज दिया है। जिसका स्लाग- tik tak with brajesh pathak


Conclusion:
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