ETV Bharat / state

पीजीआई में मनाया गया World Kidney Day, गुर्दा रोगियों की जान बचाने का लिया संकल्प

पीजीआई में शनिवार को विश्व किडनी दिवस (World Kidney Day) मनाया गया. इस दौरान आपदा के समय गुर्दा रोगियों की जान बचाने का संकल्प लिया गया.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Mar 18, 2023, 7:18 PM IST

लखनऊ : राजधानी के पीजीआई में शनिवार को विश्व किडनी दिवस मनाया गया. विश्व किडनी दिवस हर वर्ष मार्च के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है. होली के त्योहार के कारण, विभाग ने 9 मार्च 2023 की बजाय 18 मार्च को इसे मनाने का फैसला किया. नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ नारायण प्रसाद ने शुक्रवार को पीजीआई परिसर में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया. इस सेमिनार की थीम हेल्थ फॉर ऑल रही. इस सेमिनार में गुर्दा विभाग ने एक पहल करते हुए आपदा के समय गुर्दा रोगियों की जान बचाने का संकल्प लिया.

नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी ने कहा कि इस वर्ष विश्व किडनी दिवस की थीम 'सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य, अप्रत्याशित की तैयारी और कमजोरों का समर्थन' है. वर्तमान समय में, दुनिया भर में 850 मिलियन से अधिक लोग किडनी रोग से पीड़ित हैं. अप्रत्याशित घटनाएं स्थानिक (भूकंप, बाढ़, युद्ध, अत्यधिक मौसम) या वैश्विक (COVID-19 महामारी जैसी) हो सकती है. भूकंप में अचानक ही मृत्यु और चोटें बढ़ती हैं, इसलिए मायोग्लोबिनुरिया, दर्द निवारक दवाओं के उपयोग, रक्तस्राव और शरीर में पानी की कमी से किडनी रोगियों की संख्या भी बढ़ती है. परिणामस्वरूप प्रशिक्षित जनशक्ति और डायलिसिस उपकरणों की मांग बढ़ जाती है, जो पहले से ही सीमित है. इसी तरह की स्थिति युद्ध में भी देखी जा सकती है, जैसा कि हाल ही में यूक्रेन युद्ध में देखा गया है, जहां ऐसी आवश्यकता वाले लोगों के लिये डायलिसिस और दवाओं की आपूर्ति रुक गई.

इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाॅजी ने इस परिस्थिति का सामना करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की है. इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाॅजी के काउंसलर एवं इंडियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाजी के पूर्व सचिव डॉ. नारायण प्रसाद ने इस मुद्दे का समर्थन करते हुए अपनी बात रखी. यह सुझाव रखा गया कि सरकार हर जिले में एक चिकित्सा आपदा कक्ष स्थापित करे, जो आपदा के समय वंचितों की मदद करने के लिए कार्य करे.

उन्होंने कहा कि SGPGIMS के नेफ्रोलॉजी विभाग ने आवश्यक मरीजों के लिए एक अलग डायलिसिस इकाई स्थापित की है और ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए दवाओं की नियमित आपूर्ति भी सुनिश्चित की है. CKD का इलाज महंगा और जीवन भर का होता है. इसलिए इस बीमारी को होने से रोकने पर बल देना होगा. अतः उच्च रक्तचाप वाले रोगियों, मधुमेह रोगियों, वृद्ध लोग, अधिक वजन वाले, जेनेटिक और जिसके परिवार में गुर्दा रोगी हो, बार-बार पथरी बनने वालों आदि को अपनी नियमित रूप से जांच करानी चाहिए. इन रोगियों की प्रोटीन्यूरिया और मूत्र में रक्त के साक्ष्यों और सीरम क्रिएटिनिन की संकेतों की जांच हर 6-12 महीनों में की जानी चाहिए. किसी भी असामान्यता वाले लोगों को नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. आज इस विश्व किडनी दिवस के अवसर पर, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा सी.वी. रमन कॉन्फ्रेंस रूम, लाइब्रेरी बिल्डिंग, में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

यह भी पढ़ें : Deputy Chief Minister ने कहा, काबू में आ रहा जापानी इंसेफेलाइटिस, 97 फीसदी मौतें घटीं

लखनऊ : राजधानी के पीजीआई में शनिवार को विश्व किडनी दिवस मनाया गया. विश्व किडनी दिवस हर वर्ष मार्च के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है. होली के त्योहार के कारण, विभाग ने 9 मार्च 2023 की बजाय 18 मार्च को इसे मनाने का फैसला किया. नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ नारायण प्रसाद ने शुक्रवार को पीजीआई परिसर में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया. इस सेमिनार की थीम हेल्थ फॉर ऑल रही. इस सेमिनार में गुर्दा विभाग ने एक पहल करते हुए आपदा के समय गुर्दा रोगियों की जान बचाने का संकल्प लिया.

नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी ने कहा कि इस वर्ष विश्व किडनी दिवस की थीम 'सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य, अप्रत्याशित की तैयारी और कमजोरों का समर्थन' है. वर्तमान समय में, दुनिया भर में 850 मिलियन से अधिक लोग किडनी रोग से पीड़ित हैं. अप्रत्याशित घटनाएं स्थानिक (भूकंप, बाढ़, युद्ध, अत्यधिक मौसम) या वैश्विक (COVID-19 महामारी जैसी) हो सकती है. भूकंप में अचानक ही मृत्यु और चोटें बढ़ती हैं, इसलिए मायोग्लोबिनुरिया, दर्द निवारक दवाओं के उपयोग, रक्तस्राव और शरीर में पानी की कमी से किडनी रोगियों की संख्या भी बढ़ती है. परिणामस्वरूप प्रशिक्षित जनशक्ति और डायलिसिस उपकरणों की मांग बढ़ जाती है, जो पहले से ही सीमित है. इसी तरह की स्थिति युद्ध में भी देखी जा सकती है, जैसा कि हाल ही में यूक्रेन युद्ध में देखा गया है, जहां ऐसी आवश्यकता वाले लोगों के लिये डायलिसिस और दवाओं की आपूर्ति रुक गई.

इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाॅजी ने इस परिस्थिति का सामना करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की है. इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाॅजी के काउंसलर एवं इंडियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलाजी के पूर्व सचिव डॉ. नारायण प्रसाद ने इस मुद्दे का समर्थन करते हुए अपनी बात रखी. यह सुझाव रखा गया कि सरकार हर जिले में एक चिकित्सा आपदा कक्ष स्थापित करे, जो आपदा के समय वंचितों की मदद करने के लिए कार्य करे.

उन्होंने कहा कि SGPGIMS के नेफ्रोलॉजी विभाग ने आवश्यक मरीजों के लिए एक अलग डायलिसिस इकाई स्थापित की है और ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए दवाओं की नियमित आपूर्ति भी सुनिश्चित की है. CKD का इलाज महंगा और जीवन भर का होता है. इसलिए इस बीमारी को होने से रोकने पर बल देना होगा. अतः उच्च रक्तचाप वाले रोगियों, मधुमेह रोगियों, वृद्ध लोग, अधिक वजन वाले, जेनेटिक और जिसके परिवार में गुर्दा रोगी हो, बार-बार पथरी बनने वालों आदि को अपनी नियमित रूप से जांच करानी चाहिए. इन रोगियों की प्रोटीन्यूरिया और मूत्र में रक्त के साक्ष्यों और सीरम क्रिएटिनिन की संकेतों की जांच हर 6-12 महीनों में की जानी चाहिए. किसी भी असामान्यता वाले लोगों को नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. आज इस विश्व किडनी दिवस के अवसर पर, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा सी.वी. रमन कॉन्फ्रेंस रूम, लाइब्रेरी बिल्डिंग, में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

यह भी पढ़ें : Deputy Chief Minister ने कहा, काबू में आ रहा जापानी इंसेफेलाइटिस, 97 फीसदी मौतें घटीं

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.