नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह सांप के काटने की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकारों को साथ लेकर काम करे. यह मामला जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने केंद्र से कहा कि वह सभी राज्यों को साथ लेकर काम करे ताकि मेडिकल फैसिलिटी में सांप के काटने का इलाज उपलब्ध कराया जा सके.
पीठ ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, "आप राज्यों को साथ लेकर काम कर सकते हैं. यह समस्या पूरे देश में है." पीठ ने सुझाव दिया कि केंद्र सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकता है और साथ मिलकर कुछ करने की कोशिश कर सकता है.पीठ ने यह भी कहा, "यह कोई विरोधात्मक मुकदमा नहीं है."
सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने के लिए समय
वकील ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर उठाए गए अपने कदमों को रिकॉर्ड में रखेगी. सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद कुछ राज्य सरकारों के वकीलों ने कहा कि वे इस मामले में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे. दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पक्षों को अपना जवाब दर्ज कराने के लिए छह हफ्ते का समय दिया.
एंटी-वेनम की कमी को लेकर दायर याचिका
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि सांप के काटने के इलाज के लिए अहम एंटी-वेनम की कमी के कारण देश एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है. कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था.
सांप के काटने से हर साल 58 हजार मौत
याचिका में कहा गया है कि भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है, यहां हर साल करीब 58,000 मौतें होती हैं. इसमें कहा गया है कि इतनी अधिक मृत्यु दर के बावजूद एंटी-वेनम (पॉलीवेनम) की कमी है. याचिका में मृत्यु दर को कम करने के लिए सांप के काटने की रोकथाम स्वास्थ्य मिशन और सांप के काटने के बारे में जन जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है, खासकर ग्रामीण भारत में.
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