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यूपी में आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल के लिए बनते हैं हथियार, गन हाउस मालिक दे रहे साथ

उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल के लिए हथियार तैयार किए (Weapons are made in UP) जाते हैं. इसमें गन हाउस मालिक इनका साथ दे रहे हैं.

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Published : Oct 31, 2022, 2:23 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठन अपने स्लीपर सेल तैयार कर रहे हैं. हथियार सप्लाई करने के लिए राज्य में ही आतंकियों ने अपने हथियारों के सौदागरों को बैठा रखा है, जो उनके एक इशारे में अत्याधुनिक हथियारों को तैयार कर उन्हें मुहैया कराते हैं.

हथियारों की खरीद फरोख्त के लिए आतंकी सोशल मीडिया का ही सहारा ले रहे हैं. बीते दिनों आजमगढ़ और वाराणसी से गिरफ्तार हुए आतंकी से पूछताछ के बाद कई बड़े खुलासे हुए हैं. असलहों के सप्लायर गन हाउस, रजिस्टर्ड दुकानदारों की मदद से अत्याधुनिक हथियार और कारतूस आतंकी संगठनों को (Weapons are made for sleeper cells in UP) मुहैया करा रहे हैं.


26 अक्टूबर को यूपी एटीएस ने आजमगढ़ से अवैध असलहों और कारतूसों के सौदागरों मैनुद्दीन और आफताब आलम को गिरफ्तार किया था. ये दोनों ही गन हाऊस की मिलीभगत से अत्याधुनिक हथियार तैयार कर देश विरोधी ताकतों को सप्लाई करते थे. जांच में पता चला है कि आफताब और मैनुद्दीन हथियारों को मॉडिफाइड करते थे. उसके बाद काजी गन हाउस के माध्यम से आतंकियों तक हथियारों की आपूर्ति करते थे. मैनुद्दीन ने यूपी एटीएस की पूछताछ में कबूल किया है कि वो लोग पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में मौजूद आतंकी संगठनों के संपर्क में है. आतंकी संगठनों की जैसे ही हथियारों और कारतूस की डिमांड आती है, वो लोग खुद से अत्याधुनिक हथियारों का निर्माण करते हैं. गन हाउस से कारतूस मंगवाकर आजमगढ़ में स्थित काजी गन हाउस के जरिये आतंकी स्लीपर सेल तक पहुंचा दिया जाता था.

पूछताछ में मैनुद्दीन ने एटीएस को बताया कि वह और आफताब हथियारों की सप्लाई के लिए नेपाल भी जा चुके हैं. उनसे विदेशी कॉल के जरिये पाकिस्तान और नेपाल में बैठे आतंकी संपर्क करते थे. यूपी एटीएस ने मैनुद्दीन के पास से कार्बाइन, पेन गन, डीबीबीएल गन समेत भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए थे. इनके पास से एक 9 mm पिस्टल भी बरामद हुई थी, जिसमें ONLY FOR ARMY SUPPLY 9MM लिखा था.

पढ़ें- आगरा में निर्माणाधीन एलिवेटेड मेट्रो ट्रैक से 30 फीट की ऊंचाई से एक कुंतल का जैक गिरा


साल 2013 में लखनऊ के अमीनाबाद में नेशनल गन हाउस चलाने वाले मोहम्मद खालिद को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद कई गिरफ्तारियां हुई, जिसमें कानपुर के रामदास आर्मरी के संचालक अमित पालसिंह और हरियाणा के सिरसा से अनिल जैन की गिरफ्तारी की थी. एटीएस की जांच में खन्ना आर्मरी, स्वामी एके नियोगी एंड कंपनी, पूर्वांचल गन हाउस और जय जवान आर्म्स डीलर की भी हथियारों और कारतूस के सप्लाई करने के सबूत मिले थे. लखनऊ में यूपी एटीएस ने जिस आईएस आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया था. उसे भी कानपुर गन फैक्ट्री से कार्टून मुहैया कराए गए थे.

नक्सलियों को सप्लाई हो रहे हथियार: यूपी में बैठ कर न सिर्फ आतंकियों को बल्कि नक्सलियों को भी हथियार सप्लाई किये जा रहे हैं. इसके लिये सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. यूपी एसटीएफ ने बीते दिनों वाराणसी के सारनाथ से दो युवकों को भारी मात्रा में सेमी ऑटोमेटिक हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार हुए युवक देवेश्वर और अंबुज पहलवानी करते थे, लेकिन नक्सलियों तक हथियारों की सप्लाई करने वाले गिरोह ने उनसे सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क किया और उन्हें पहलवान से हथियारों का तस्कर बना दिया.

सोशल मीडिया से मिलते थे हथियार के ऑर्डर: एसटीएफ की पूछताछ में आंतकी ने बताया कि वह कुश्ती लड़ते थे और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते थे. वीडियो को देखकर इसी साल जुलाई में विपिन दूबे ने उनसे संपर्क किया था.


पढ़ें- शिक्षक की पिटाई से दलित छात्र की इलाज के दौरान मौत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठन अपने स्लीपर सेल तैयार कर रहे हैं. हथियार सप्लाई करने के लिए राज्य में ही आतंकियों ने अपने हथियारों के सौदागरों को बैठा रखा है, जो उनके एक इशारे में अत्याधुनिक हथियारों को तैयार कर उन्हें मुहैया कराते हैं.

हथियारों की खरीद फरोख्त के लिए आतंकी सोशल मीडिया का ही सहारा ले रहे हैं. बीते दिनों आजमगढ़ और वाराणसी से गिरफ्तार हुए आतंकी से पूछताछ के बाद कई बड़े खुलासे हुए हैं. असलहों के सप्लायर गन हाउस, रजिस्टर्ड दुकानदारों की मदद से अत्याधुनिक हथियार और कारतूस आतंकी संगठनों को (Weapons are made for sleeper cells in UP) मुहैया करा रहे हैं.


26 अक्टूबर को यूपी एटीएस ने आजमगढ़ से अवैध असलहों और कारतूसों के सौदागरों मैनुद्दीन और आफताब आलम को गिरफ्तार किया था. ये दोनों ही गन हाऊस की मिलीभगत से अत्याधुनिक हथियार तैयार कर देश विरोधी ताकतों को सप्लाई करते थे. जांच में पता चला है कि आफताब और मैनुद्दीन हथियारों को मॉडिफाइड करते थे. उसके बाद काजी गन हाउस के माध्यम से आतंकियों तक हथियारों की आपूर्ति करते थे. मैनुद्दीन ने यूपी एटीएस की पूछताछ में कबूल किया है कि वो लोग पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में मौजूद आतंकी संगठनों के संपर्क में है. आतंकी संगठनों की जैसे ही हथियारों और कारतूस की डिमांड आती है, वो लोग खुद से अत्याधुनिक हथियारों का निर्माण करते हैं. गन हाउस से कारतूस मंगवाकर आजमगढ़ में स्थित काजी गन हाउस के जरिये आतंकी स्लीपर सेल तक पहुंचा दिया जाता था.

पूछताछ में मैनुद्दीन ने एटीएस को बताया कि वह और आफताब हथियारों की सप्लाई के लिए नेपाल भी जा चुके हैं. उनसे विदेशी कॉल के जरिये पाकिस्तान और नेपाल में बैठे आतंकी संपर्क करते थे. यूपी एटीएस ने मैनुद्दीन के पास से कार्बाइन, पेन गन, डीबीबीएल गन समेत भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए थे. इनके पास से एक 9 mm पिस्टल भी बरामद हुई थी, जिसमें ONLY FOR ARMY SUPPLY 9MM लिखा था.

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साल 2013 में लखनऊ के अमीनाबाद में नेशनल गन हाउस चलाने वाले मोहम्मद खालिद को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद कई गिरफ्तारियां हुई, जिसमें कानपुर के रामदास आर्मरी के संचालक अमित पालसिंह और हरियाणा के सिरसा से अनिल जैन की गिरफ्तारी की थी. एटीएस की जांच में खन्ना आर्मरी, स्वामी एके नियोगी एंड कंपनी, पूर्वांचल गन हाउस और जय जवान आर्म्स डीलर की भी हथियारों और कारतूस के सप्लाई करने के सबूत मिले थे. लखनऊ में यूपी एटीएस ने जिस आईएस आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया था. उसे भी कानपुर गन फैक्ट्री से कार्टून मुहैया कराए गए थे.

नक्सलियों को सप्लाई हो रहे हथियार: यूपी में बैठ कर न सिर्फ आतंकियों को बल्कि नक्सलियों को भी हथियार सप्लाई किये जा रहे हैं. इसके लिये सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. यूपी एसटीएफ ने बीते दिनों वाराणसी के सारनाथ से दो युवकों को भारी मात्रा में सेमी ऑटोमेटिक हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार हुए युवक देवेश्वर और अंबुज पहलवानी करते थे, लेकिन नक्सलियों तक हथियारों की सप्लाई करने वाले गिरोह ने उनसे सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क किया और उन्हें पहलवान से हथियारों का तस्कर बना दिया.

सोशल मीडिया से मिलते थे हथियार के ऑर्डर: एसटीएफ की पूछताछ में आंतकी ने बताया कि वह कुश्ती लड़ते थे और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते थे. वीडियो को देखकर इसी साल जुलाई में विपिन दूबे ने उनसे संपर्क किया था.


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