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RSS जैसे संगठन दूसरे धर्मों में भी खुलने से फैलेगी इंसानियत: वसीम रिजवी

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विजयदशमी पर दिए गए बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का संदेश हमेशा देशहित में होता है.

वसीम रिजवी.
वसीम रिजवी.
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Published : Oct 25, 2020, 6:20 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के विजयदशमी पर दिए गए बयान का वसीम रिजवी ने समर्थन किया है. शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि जब कभी भी मोहन भागवत ने देश को संदेश दिए हैं. उन्होंने हमेशा भारत को जोड़ने और समाज को मिलाए रखने की कोशिश की है.

जानकारी देते वसीम रिजवी.

वसीम रिजवी ने कहा कि RSS जैसे संगठन अगर दूसरे धर्मों में भी खुल जाए तो कट्टरपंथ खत्म होकर लोग इंसानियत की ओर वापस लौट आएंगे.

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने CAA पर बोलते हुए कहा कि हिंदुस्तान में सिटीजनशिप एक्ट में एमेंडमेंट किया गया है. वहीं इसको लेकर जो सियासत हुई है, वो बहुत शर्मनाक बात है. सियासी पार्टियों ने मौजूदा हुकूमत के खिलाफ सियासत की और जो इस देश के गद्दार हैं, उन कट्टरपंथियों ने मुसलमानों को उकसाने की सियासात की. रिजवी ने कहा कि इस दौरान देश में बवाल भी हुआ और कई घर जलाए गए, जबकि सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट में हिंदुस्तान के मुसलमानों को कोई खतरा ही नहीं था.

सरकार ने पड़ोसी मुल्क के लोगों के आंसू पोछने की कोशिश की
वसीम रिजवी ने कहा कि हिंदुस्तान की सरकार ने पड़ोसी मुल्कों के उन लोगों के आंसू पोछने की कोशिश की है, जो वहां अल्पसंख्यक हैं और इस्लाम के नाम पर जिनका शोषण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानियों को तो CAA पर गर्व करना चाहिए, क्योंकि हमने वो काम किया है जो किसी ने नहीं किया. सरकार उन बेसहारों का सहारा बनी है, जिन पर जब जुल्म हो रहा था तो पूरी दुनिया तमाशा देख रही थी.

विजयादशमी पर मोहन भागवत ने उठाया CAA का मुद्दा
RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के संबोधन के दौरान कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राम मंदिर का खास तौर से जिक्र किया. CAA पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा की नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ है. पड़ोसी देशों में दो तीन देश ऐसे हैं, जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है. उन लोगों को जाने के लिए दूसरी जगह नहीं है. वे भारत ही आते हैं. विस्थापित और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाएं, इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन करने का प्रावधान था, जो भारत के नागरिक हैं, उनके लिए कुछ खतरा नहीं है.

इसे भी पढ़ें- 42 सालों से निभा रहे रावण का किरदार, जिन्हें राज्यपाल दे चुके है 'लंकेश' की उपाधि

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के विजयदशमी पर दिए गए बयान का वसीम रिजवी ने समर्थन किया है. शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि जब कभी भी मोहन भागवत ने देश को संदेश दिए हैं. उन्होंने हमेशा भारत को जोड़ने और समाज को मिलाए रखने की कोशिश की है.

जानकारी देते वसीम रिजवी.

वसीम रिजवी ने कहा कि RSS जैसे संगठन अगर दूसरे धर्मों में भी खुल जाए तो कट्टरपंथ खत्म होकर लोग इंसानियत की ओर वापस लौट आएंगे.

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने CAA पर बोलते हुए कहा कि हिंदुस्तान में सिटीजनशिप एक्ट में एमेंडमेंट किया गया है. वहीं इसको लेकर जो सियासत हुई है, वो बहुत शर्मनाक बात है. सियासी पार्टियों ने मौजूदा हुकूमत के खिलाफ सियासत की और जो इस देश के गद्दार हैं, उन कट्टरपंथियों ने मुसलमानों को उकसाने की सियासात की. रिजवी ने कहा कि इस दौरान देश में बवाल भी हुआ और कई घर जलाए गए, जबकि सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट में हिंदुस्तान के मुसलमानों को कोई खतरा ही नहीं था.

सरकार ने पड़ोसी मुल्क के लोगों के आंसू पोछने की कोशिश की
वसीम रिजवी ने कहा कि हिंदुस्तान की सरकार ने पड़ोसी मुल्कों के उन लोगों के आंसू पोछने की कोशिश की है, जो वहां अल्पसंख्यक हैं और इस्लाम के नाम पर जिनका शोषण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानियों को तो CAA पर गर्व करना चाहिए, क्योंकि हमने वो काम किया है जो किसी ने नहीं किया. सरकार उन बेसहारों का सहारा बनी है, जिन पर जब जुल्म हो रहा था तो पूरी दुनिया तमाशा देख रही थी.

विजयादशमी पर मोहन भागवत ने उठाया CAA का मुद्दा
RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के संबोधन के दौरान कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राम मंदिर का खास तौर से जिक्र किया. CAA पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा की नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ है. पड़ोसी देशों में दो तीन देश ऐसे हैं, जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है. उन लोगों को जाने के लिए दूसरी जगह नहीं है. वे भारत ही आते हैं. विस्थापित और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाएं, इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन करने का प्रावधान था, जो भारत के नागरिक हैं, उनके लिए कुछ खतरा नहीं है.

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