लखनऊ: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरे देश में झंडारोहण और रंगारंग कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर मदरसों में बच्चे भी झंडारोहण करते और देशभक्ति के तराने गुनगुनाते नजर आए, लेकिन आगरा में मस्जिद परिसर के अंदर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष द्वारा झंडारोहण करने पर विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है. मस्जिद परिसर में ध्वजारोहण पर शहर काजी मुफ्ती मजदुल खुबैब रुश्दी द्वारा ऐतराज जताने पर वसीम रिजवी ने बड़ा बयान जारी किया है.
अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने बयान जारी कर मौलाना को आड़े हाथों लिया है. रिजवी ने कहा कि हिंदुस्तान की जमीन पर बनी हुई मस्जिद पर अगर तिरंगा नहीं फहराया जा सकता तो फिर इन कट्टरपंथियों को चाहिए कि अपनी मस्जिद को हिंदुस्तान से लेकर कहीं और चले जाएं. वसीम रिजवी ने मौलानाओं की दाढ़ियों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मौलाना अपनी दाढ़ियां लेकर जाकिर नायक की तरह हिंदुस्तान से फरार हो जाएं, क्योंकि NRC जल्द ही लागू होने वाला है और इन मौलानाओं की असलियत सबके सामने आने वाली है.
आगरा की शाही जामा मस्जिद के अंदर मदरसा-ए-औलिया स्थापित है. यहां रविवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडारोहण के लिए राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था. अशफाक सैफी ने यहां झंडारोहण किया, उसके बाद राष्ट्रगान गाया और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए. इसके बाद शहर मुफ्ती मौलाना उमैर ने चेयरमैन को फोन कर कहा कि जामा मस्जिद को खराब मत कीजिए. वहां जो जन-गण-मन का गायन हुआ है वह हराम है. आप इस तरह से अल्लाह के कहर को दावत न दें. उन्होंने कहा कि डरिए अल्लाह से, अल्लाह की पकड़ बहुत मजबूत है.