लखनऊ: सिंचाई विभाग में हुए लगभग 130 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में रिटायर्ड विभाग के अध्यक्ष भूपेंद्र शर्मा को लेकर विजिलेंस जांच करेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह जांच विजिलेंस को सौंपी है. वर्ष 2016 में हुई एक जांच में भूपेंद्र शर्मा पर लगे भ्रष्टाचार आरोपों को सही माना गया था, जिसके बाद भूपेंद्र शर्मा पर सिर्फ विभागीय कार्रवाई हो सकी. अब एक बार फिर यह मामला सामने आया है.
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
तात्कालिक विशेष सचिव सुरेंद्र विक्रम ने भूपेंद्र शर्मा के खिलाफ जांच की. जांच में उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए भूपेंद्र शर्मा को आरोपी करार देते हुए विजिलेंस से जांच कराने की संस्तुति की, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूपेंद्र शर्मा के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच विजिलेंस से कराने के निर्देश दिए हैं.
भूपेंद्र शर्मा के खिलाफ नहीं हुई दंडात्मक कार्रवाई
शासन के सख्त निर्देशों के बावजूद भी भूपेंद्र सिंह को अभियंता स्तर एक से उच्च पद पर प्रमोशन दे दिया गया, जिसके बाद भूपेंद्र अगस्त 2017 से जून 2018 विभाग के एचओडी बने रहे. सिंचाई विभाग में रहते हुए घोटाले को अंजाम देने को लेकर एक जांच में दोषी पाने के बाद भी भूपेंद्र शर्मा के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकी. इसके बाद एक बार फिर भूपेंद्र शर्मा पर लगे आरोपों की विजिलेंस से जांच कराने का निर्णय लिया गया है.
टेंडर प्रक्रिया में भूपेंद्र शर्मा ने किया था भ्रष्टाचार
भूपेंद्र शर्मा पर आरोप है कि विभिन्न निर्माण कार्य और टेंडर प्रक्रिया में उन्होंने भ्रष्टाचार करते हुए सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. पद का दुरुपयोग करते हुए नियमों को ताक पर रखते हुए भुगतान किया गया है. भूपेंद्र शर्मा पर आरोप हैं कि इन्होंने बिना टेंडर प्रक्रिया पूरी किए पहले ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया. गोरखपुर से लखनऊ ट्रांसफर होने पर गोरखपुर का आवंटित आवास खाली नहीं किया और लखनऊ में एक और आवास आवंटित करा लिया.