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लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से पैसे निकालने वाले शातिर गिरफ्तार

यूपी में लखनऊ यूनिवर्सिटी के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकालने के तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस घटना को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड फरार चल रहे हैं. एसआईटी प्रमुख अमित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से निकाले गए पैसे और फर्जी मार्कशीट प्रकरण को लेकर जांच चल रही है.

खाते से पैसे निकालने वाले शातिर गिरफ्तार.
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Published : Oct 12, 2019, 9:56 PM IST

लखनऊः फर्जी मार्कशीट प्रकरण पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ था कि लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकाले जाने का मामला सामने आया. पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है. हालांकि पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है. अधिकारियों का कहना है कि जिस तरीके से बैंक से रुपये, विभिन्न जगहों से निकाले गए हैं. इसके पीछे अंतरराज्यीय गैंग के बदमाशों के शामिल होने की संभावना है. हालांकि उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी तफ्तीश की जा रही है.

विश्वविद्यालय की नाक के नीचे से निकाल लिए पैसे
प्रदेश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है, जहां विश्वविद्यालय के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकाल लिए गए और लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी. वहीं दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा लंबे समय से चलता आ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा उस समय उजागर हुआ, जब जानकीपुरम में रहने वाले एक युवक ने विश्वविद्यालय की मार्कशीट बनाने के नाम पर 1 करोड़ ठगे जाने की FIR दर्ज कराई. इसके बाद कई अन्य मामले सामने आए, जिनमें फर्जी मार्कशीट का मामला उभर कर सामने आया.

मार्कशीट का चल रहा है गोरखधंधा
वहीं आईटी कॉलेज की छात्रा की मार्कशीट का मामला सामने आया, जिसमें मार्कशीट पर अंक और लखनऊ विश्वविद्यालय में रजिस्टर्ड अंकों में अंतर पाया गया. इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा किया जाता है. फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे के तार कई अन्य विश्वविद्यालयों से भी जुड़े होने की बात सामने आई है. मामले की गंभीरता को समझते हुए लखनऊ पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और एसआईटी ने मामले की जांच करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जुड़े आधा दर्जन कर्मचारियों को हिरासत में लिया. एसआईटी प्रमुख अमित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से निकाले गए पैसे और फर्जी मार्कशीट प्रकरण को लेकर जांच चल रही है.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में पटना के अमरेंद्र कुमार, रौनक गुप्ता, दिल्ली से सुशील कुमार यादव शामिल हैं. वही इस घटना को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड दिल्ली का पंकज जैन और पटना का मानस फरार हो गए हैं. पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि इस घटना में सरसा एजेंसी, विश्वकर्मा एजेंसी, मीना एंड संस द्वारा चेक लगाए गए थे. पुलिस ने जानकारी दी कि इस घटना में बैंक कर्मचारी और विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है. पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है.

लखनऊः फर्जी मार्कशीट प्रकरण पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ था कि लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकाले जाने का मामला सामने आया. पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है. हालांकि पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है. अधिकारियों का कहना है कि जिस तरीके से बैंक से रुपये, विभिन्न जगहों से निकाले गए हैं. इसके पीछे अंतरराज्यीय गैंग के बदमाशों के शामिल होने की संभावना है. हालांकि उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी तफ्तीश की जा रही है.

विश्वविद्यालय की नाक के नीचे से निकाल लिए पैसे
प्रदेश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है, जहां विश्वविद्यालय के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकाल लिए गए और लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी. वहीं दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा लंबे समय से चलता आ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा उस समय उजागर हुआ, जब जानकीपुरम में रहने वाले एक युवक ने विश्वविद्यालय की मार्कशीट बनाने के नाम पर 1 करोड़ ठगे जाने की FIR दर्ज कराई. इसके बाद कई अन्य मामले सामने आए, जिनमें फर्जी मार्कशीट का मामला उभर कर सामने आया.

मार्कशीट का चल रहा है गोरखधंधा
वहीं आईटी कॉलेज की छात्रा की मार्कशीट का मामला सामने आया, जिसमें मार्कशीट पर अंक और लखनऊ विश्वविद्यालय में रजिस्टर्ड अंकों में अंतर पाया गया. इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा किया जाता है. फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे के तार कई अन्य विश्वविद्यालयों से भी जुड़े होने की बात सामने आई है. मामले की गंभीरता को समझते हुए लखनऊ पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और एसआईटी ने मामले की जांच करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जुड़े आधा दर्जन कर्मचारियों को हिरासत में लिया. एसआईटी प्रमुख अमित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से निकाले गए पैसे और फर्जी मार्कशीट प्रकरण को लेकर जांच चल रही है.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में पटना के अमरेंद्र कुमार, रौनक गुप्ता, दिल्ली से सुशील कुमार यादव शामिल हैं. वही इस घटना को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड दिल्ली का पंकज जैन और पटना का मानस फरार हो गए हैं. पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि इस घटना में सरसा एजेंसी, विश्वकर्मा एजेंसी, मीना एंड संस द्वारा चेक लगाए गए थे. पुलिस ने जानकारी दी कि इस घटना में बैंक कर्मचारी और विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है. पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है.

Intro:नोट-खबर के संदर्भ में विजुअल wrap से भेजे गए हैं

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लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय बैंक खाते से फर्जी तरीके से 1,10,00,000 रुपए निकालने के मामले में लखनऊ पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है पुलिस ने तीन शातिर को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में पटना से अमरेंद्र कुमार , रौनक गुप्ता, दिल्ली से सुशील कुमार यादव को गिरफ्तार किया है वही इस घटना को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड दिल्ली का पंकज जैन व पटना का मास्टरमाइंड मानस फरार हो गया है


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लखनऊ विश्वविद्यालय में हुए इस घटना को लेकर पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि इस घटना में सरसा एजेंसी, विश्वकर्मा एजेंसी, मीना एंड संस द्वारा चेक लगाए गए थे। पुलिस ने अभी जानकारी दी कि इस घटना में बैंक कर्मचारी व विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है पुलिस इस एंगल पर भी विचार कर रही है।


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पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय के बैंक खाते से 11000000 रुपए फर्जी तरीके से निकाल लिए गए पुलिस अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है वहीं इस घटना से पहले लखनऊ विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीट का मामला सामने आया था जिसको लेकर एसआईटी गठित की गई थी एसआईटी ने मामले की जांच करते हुए कई कर्मचारियों को गिरफ्तार भी किया था लेकिन अभी तक फर्जी मार्कशीट के धंधे के पीछे सक्रिय गैंग को पूरी तरीके से एसआईटी ने बेनकाब नहीं किया है इसी बीच लखनऊ विश्वविद्यालय में जिस तरीके से बैंक खाते से चेक का क्लोन बनाकर 11000000 रुपए निकाल लिए गए एसआईटी एक बार फिर सक्रिय हो गई है और दोनों मामलों को एक साथ जोड़कर जांच की जा रही है एसआईटी प्रमुख अमित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से निकाले गए पैसे व फर्जी मार्कशीट प्रकरण को लेकर जांच चल रही है जांच के लिए कई टीमें गठित की गई हैं जो कि उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में सक्रिय हैं।


उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है। जहां अब खाते से 1,10,00,000 रुपए निकाल लिए गए और लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई है तो वहीं दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा लंबे समय से चलता आ रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का धंधा उस समय उजागर हुआ जब जानकीपुरम निवासी एक युवक ने लखनऊ विश्वविद्यालय की मार्कशीट बनाने के नाम पर 10000000 ठगे जाने की एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद कई अन्य मामले सामने आए जिनमें फर्जी मार्कशीट का मामला उभर कर सामने आया। आईटी कॉलेज की एक छात्रा की मार्कशीट सामने आई जिसमें मार्कशीट पर अंक और लखनऊ विश्वविद्यालय में रजिस्टर्ड अंकों में अंतर पाया गया। जिसने स्पष्ट कर दिया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा किया जाता है। फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे के तार कई अन्य विश्वविद्यालयों से भी जुड़े हुए हैं। मामले की गंभीरता को समझते हुए लखनऊ पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और एसआईटी ने मामले की जांच करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जुड़े आधा दर्जन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया।

फर्जी मार्कशीट प्रकरण पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ था कि लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से 11000000 रुपए निकल जाने का मामला सामने आया अब पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है हालांकि पुलिस को तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है अधिकारियों का कहना है कि जिस तरीके से बैंक से 11000000 रुपए विभिन्न जगहों से निकाले गए हैं इससे पीछे अंतरराज्यीय गैंग होने की संभावना है लिहाजा उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी तफ्तीश की जा रही है वहीं इस मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय व बैंक कर्मचारी भी संदिग्ध है इस पहलू पर भी जांच की जा रही है।



Conclusion:संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26
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