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यूपी के 3.5 लाख शिक्षकों के तबादले पर सरकार खामोश, मुख्यमंत्री पर टिकी निगाहें

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Published : Jul 11, 2022, 12:31 PM IST

प्रदेश के प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के तबादले को लेकर सरकार ने चुप्पी साध ली है. इस मामले में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इस वर्ष की पॉलिसी मुख्यमंत्री के पास भेज दी गई है. जल्द ही स्वीकृति मिलने के बाद प्रदेश भर में तबादले की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

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सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के होंगे तबादले

लखनऊः उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले करीब 3.5 लाख शिक्षकों के तबादले पर सरकार ने चुप्पी साध ली है. नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत भी हो चुकी है. लेकिन, अभी तक विभागीय अधिकारी इस संबंध में कोई फैसला नहीं कर पाए हैं. इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भी भेजी गई है. वहीं, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री के पास इस वर्ष की पॉलिसी भेजी गई है. उनकी स्वीकृति के बाद ही तबादले की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

उत्तर प्रदेश के करीब 1 लाख 30 हजार सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी विद्यालयों में 3.5 लाख के आसपास शिक्षक पढ़ाते हैं. अंतर जनपदीय स्थानांतरण को लेकर इनमें काफी नाराजगी है. कई ऐसे शिक्षक हैं जो मेरठ, सहारनपुर जैसे इलाकों से आकर पूर्वांचल के गोरखपुर और दूसरे इलाकों में पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि बीते 5-5 वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुए हैं.

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा सरकार ने अपने कार्यकाल में दो बार अंतर जनपदीय स्थानांतरण किए हैं. लेकिन, इनकी नीतियों में विसंगतियों के कारण परेशानी शिक्षकों को भुगतनी पड़ रही है. कुछ जिलों को तो विभाग ने लॉक ही कर दिया है. इनमें अंतर जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा ही नहीं दी गई. बहुत सारे ऐसे शिक्षक हैं जो अपने गृह जनपदों से दूर हैं. इनके माता-पिता बुजुर्ग हैं. नीति में विसंगति के कारण वह गृह जनपद से दूर हैं.

यह भी पढ़ें-आखिर आज क्यों मनाते हैं विश्व जनसंख्या दिवस, कब से हुई शुरुआत

प्रदेश के कुछ जिलों को अकांक्षी जिला भी घोषित किया गया है. इनमें तबादलों पर रोक लगाई गई है. नतीजा बीते कई वर्षों से दूर-दराज के इलाकों से बाहर निकलकर अपने जनपद में जाने का प्रयास कर रहे ऐसे शिक्षकों को मायूसी हाथ लग रही है. शिक्षकों की मांग है कि वरिष्ठता के आधार पर अंतर-जनपदीय स्थानांतरण की व्यवस्था लागू की जाए. कुछ शिक्षक तो ऐसे भी हैं जिनके पति या पत्नी दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं. जिन जनपदों में अंतर जनपदीय स्थानांतरण पर रोक लगी है, वहां के शिक्षकों को भी लाभ दिया जाना चाहिए. कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जो शादी के पहले कहीं और तैनात थे और शादी के बाद उनका जनपद बदल गया है.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले करीब 3.5 लाख शिक्षकों के तबादले पर सरकार ने चुप्पी साध ली है. नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत भी हो चुकी है. लेकिन, अभी तक विभागीय अधिकारी इस संबंध में कोई फैसला नहीं कर पाए हैं. इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भी भेजी गई है. वहीं, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री के पास इस वर्ष की पॉलिसी भेजी गई है. उनकी स्वीकृति के बाद ही तबादले की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

उत्तर प्रदेश के करीब 1 लाख 30 हजार सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी विद्यालयों में 3.5 लाख के आसपास शिक्षक पढ़ाते हैं. अंतर जनपदीय स्थानांतरण को लेकर इनमें काफी नाराजगी है. कई ऐसे शिक्षक हैं जो मेरठ, सहारनपुर जैसे इलाकों से आकर पूर्वांचल के गोरखपुर और दूसरे इलाकों में पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि बीते 5-5 वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुए हैं.

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा सरकार ने अपने कार्यकाल में दो बार अंतर जनपदीय स्थानांतरण किए हैं. लेकिन, इनकी नीतियों में विसंगतियों के कारण परेशानी शिक्षकों को भुगतनी पड़ रही है. कुछ जिलों को तो विभाग ने लॉक ही कर दिया है. इनमें अंतर जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा ही नहीं दी गई. बहुत सारे ऐसे शिक्षक हैं जो अपने गृह जनपदों से दूर हैं. इनके माता-पिता बुजुर्ग हैं. नीति में विसंगति के कारण वह गृह जनपद से दूर हैं.

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प्रदेश के कुछ जिलों को अकांक्षी जिला भी घोषित किया गया है. इनमें तबादलों पर रोक लगाई गई है. नतीजा बीते कई वर्षों से दूर-दराज के इलाकों से बाहर निकलकर अपने जनपद में जाने का प्रयास कर रहे ऐसे शिक्षकों को मायूसी हाथ लग रही है. शिक्षकों की मांग है कि वरिष्ठता के आधार पर अंतर-जनपदीय स्थानांतरण की व्यवस्था लागू की जाए. कुछ शिक्षक तो ऐसे भी हैं जिनके पति या पत्नी दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं. जिन जनपदों में अंतर जनपदीय स्थानांतरण पर रोक लगी है, वहां के शिक्षकों को भी लाभ दिया जाना चाहिए. कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जो शादी के पहले कहीं और तैनात थे और शादी के बाद उनका जनपद बदल गया है.

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