लखनऊ: यूपी में संक्रमण काल का एक साल पूरा हो गया. राजधानी लखनऊ में भी वायरस दस्तक की वार्षिकी होनेवाली है. यह वक्त तमाम उतार चढ़ाव वाला रहा. लॉकडाउन जैसी कई ऐसी घटनाएं हुई. जिसकी कल्पना तक लोगों के जेहन में नहीं थीं. अनजान वायरस का खौफ घर-घर पसर गया. वहीं सरकार के बेहतर कोविड मैनेजमेंट सिस्टम ने समय रहते आमजन को बीमारी से उबारने में मदद की.
पिछले साल 2020 में मार्च के महीने में ही कोरोना ने यूपी में दस्तक दी थी. 3 मार्च 2020 को कोरोना का पहला मामला गाजियाबाद में पाया गया था. 11 मार्च को राजधानी में कनाडा से लौटी महिला डॉक्टर में पहली बार वायरस की पुष्टि हुई थी. सर्वाधिक आबादी वाले राज्य में कोविड-19 के शुरुआती दिनों में कोरोना जांच की सुविधाओं का अभाव था. यहां सिर्फ केजीएमयू में एक लैब संचालित की गई. वहीं कोविड बेड, आईसीयू बेड का भी अभाव रहा.
पहले एक दिन में 72 जांच, अब डेढ़ लाख पार
संक्रमण काल के शुरुआत में राज्य में कोरोना जांच की सुविधाओं तक का अभाव था. केजीएमयू की बीएसएल-थ्री लैब में कोविड-19 की जांच शुरू की गई. यहां पहले एक दिन में मात्र 72 टेस्ट हो सके थे. इसके बाद न सिर्फ केजीएमयू की लैब को अपग्रेड किया गया, बल्कि नई लैब का नेटवर्क बढ़ाया गया. अब प्रदेश में एक दिन में डेढ़ लाख तक कोरोना की जांच की जा रही है. 7 मार्च तक के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अब तक 3.20 करोड़ से अधिक सैंपल की जांच की जा चुकी है. ये संख्या देश में सर्वाधिक है.
टीम-11 की सफल रणनीति, डेढ़ लाख से ज्यादा कोविड बेड
प्रदेश में कोविड प्रबंधन के लिए किए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम-11 का गठन किया गया. मुख्यमंत्री ने खुद रोजाना जिलेवार समीक्षा की. डीजी हेल्थ डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक कोरोना से बचाव के लिए आशा, आगंनबाड़ी कार्यकत्री, एएनएम को शामिल करते हुए सर्विलांस टीमों का गठन किया गया. इन्हें ट्रेनिंग दी गई. साथ ही कोविड कमांड सेंटर व मेरा कोविड केन्द्र एप्लीकेशन से कोरोना से लड़ने में काफी मदद मिली. लॉकडाउन से लेकर अनलॉक प्रक्रिया तक सैनिटाइजेशन, कोविड प्रोटोकॉल, ग्रुप टेस्टिंग, हेल्पडेस्क, कांटेक्ट ट्रेसिंग, टीकाकरण के जरिए कोरोना को मात दी जा रही है. वहीं वायरस की जांच के लिए सरकारी में 125 लैब व निजी क्षेत्र में 104 लैब क्रियाशील हैं. इसके साथ ही प्रदेश में कोविड रोगियों के लिए 1.5 लाख से अधिक बेड्स व प्रत्येक जनपद में आईसीयू की व्यवस्था की गई है.
कोरोना के ग्राफ में आई गिरावट, रिकवरी रेट में हुई बढ़ोत्तरी
प्रदेश में कोरोना से करीब 6.04 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं. इसमें 5.93 लाख स्वस्थ्य हो चुके हैं. प्रदेश का रिकवरी रेट 98 प्रतिशत है, जो कि देश में सर्वाधिक है. प्रदेश में सितंबर में सर्वाधिक संक्रमण की दर 4.2 फीसद रही. अब 0.1 के करीब सिमट गई है. सर्वाधिक केस सितंबर में 68,235 पाए गए थे.
प्लाज्मा थेरेपी व पूल टेस्टिंग की हुई थी शुरूआत
यूपी में सबसे पहले पूल टेस्टिंग व प्लाज्मा थेरेपी शुरू की गई. सर्विलांस व कांट्रेक्ट ट्रेंसिंग टीम का काम अहम रहा. यह टीमें 24 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में 18 करोड़ की स्क्रीनिंग कर चुकी हैं. अब प्रदेश के हर जिले में वेंटिलेटर हैं.
पुणे की तर्ज पर पहली बायो सेफ्टी लेवल फोर लैब की जाएगी स्थापित
अब एनआइवी पुणे की तर्ज पर यूपी में कोरोना जांच के लिए पहली बायो सेफ्टी लेवल-फोर लैब बनेगी. इसके लिए बजट में घोषणा की गई है. ऐसे में भविष्य में होने वाले वायरस के खतरों से भी लड़ा जा सकता है. वहीं वर्चुअल आईसीयू की सुविधा शुरू की गई. 7 मार्च तक की रिपोर्ट में यूपी में 6.4 लाख संक्रमितों में से 8,737 रोगियों की मौत हुई है. वहीं टीकाकरण अभियान भी रफ्तार पकड़ रहा है. इसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंट लाइन वर्कर और 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों को मिलाकर 20 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है.
फैक्ट फाइल
- 1 अप्रैल 2020 को प्रदेश में कोरोना से पहली मौत
- 11 सितंबर 2020 को प्रदेश में सर्वाधिक 7,103 मरीज मिले
- 17 सितंबर 2020 को सबसे ज्यादा 68,235 एक्टिव केस थे
- कोरोना से यूपी में दो मंत्रियों, करीब 85 हेल्थ वर्कर की जान गई
- 7 मार्च तक 81 हजार रोगी अभी तक लखनऊ में मिलें, 1186 लोगों ने कोरोना से दम तोड़ा
- हाथरस में सबसे कम मामले मिले, कासगंज में सबसे कम मौते हुईं
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