लखनऊ: तीन करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को उनकी जमा सिक्योरिटी राशि पर बिजली कम्पनियों की तरफ से बैंक दर के अनुसार ब्याज न दिए जाने पर नियामक आयोग गंभीर है. पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सहित सभी बिजली कम्पनियों के प्रबंध निदेशकों से सात दिन में नियामक आयोग ने विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
एक अप्रैल से लागू रिजर्व बैंक की दर पर प्रदेश के लगभग 3 करोड़ उपभोक्ताओं को उनकी जमा सिक्योरिटी राशि पर ब्याज मामले में उपभोक्ता परिषद ने पिछले सप्ताह विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया था. आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह के निर्देश पर पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सहित सभी बिजली कम्पनियों के प्रबंध निदेशकों, मध्यांचल, पूर्वांचल, पक्षिमांचल, दक्षिणाचल और केस्को से सात दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि नियामक आयोग चेयरमैन के सामने यह मुद्दा उठाया है कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्राविधान अनुसार सभी 3 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को उनके अप्रैल, मई और जून के महीने का ब्याज मिलता है. अप्रैल और मई खत्म हो गया है और जून का बिल जमा होना शुरू हो गया, इसमें भी ब्याज नहीं दिया गया है.
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा नियामक आयोग से वर्ष 2019-20 के टैरिफ आदेश में उपभोक्ताओं को जिस सिक्योरिटी राशि पर ब्याज दिया जाना अनुमानित है वह लगभग 250 करोड़ है. वहीं, कॉर्पोरेशन की तरफ से ये भी बताया गया कि वर्ष 2019-20 में प्रदेश के कुल विद्युत उपभोक्ताओं की जमा सिक्योरिटी लगभग 3,578 करोड़ है.