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संस्कृत बोर्ड की मार्कशीट और डिग्री की अब नहीं बन पाएगी नकल, जानिए क्या हो रहे बदलाव - लखनऊ खबर

यूपी सरकार अब उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा बोर्ड में भी भारी बदलाव लाने जा रही है. पैसे की चाह में संस्कृत बोर्ड और संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट में बनाई गई है. आलम यह है कि असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो गया. इन हालातों में अब संस्कृत बोर्ड और विश्वविद्यालय की मार्कशीट और डिग्री को हाईटेक बनाया जा रहा है.

संस्कृत बोर्ड की मार्कशीट और डिग्री की अब नहीं बन पाएगी नकल,
संस्कृत बोर्ड की मार्कशीट और डिग्री की अब नहीं बन पाएगी नकल,
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Published : Jun 30, 2021, 8:54 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में संस्कृत को सबसे ज्यादा नुकसान यहां के शिक्षा माफियाओं ने पहुंचाया. पैसे की चाह में संस्कृत बोर्ड और संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट में बनाई गई है. आलम यह है कि असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो गया. इन हालातों में अब संस्कृत बोर्ड और विश्वविद्यालय की मार्कशीट और डिग्री को हाईटेक बनाया जा रहा है. दावा है कि नए सत्र से छात्रों को ऐसी मार्कशीट और डिग्री दी जाएगी, जिस की नकल बना पाना संभव ही नहीं होगा. वहीं, कोई भी व्यक्ति, विश्वविद्यालय या संस्थान ऑनलाइन ही यह पता कर लेगा की डिग्री असली है या नकली.

यह सिक्योरिटी फीचर जोड़े जा रहे
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि अब छात्रों को मिलने वाली डिग्री में कई सिक्योरिटी फीचर जोड़े जा रहे हैं. डिग्री पर छात्र की फोटो होगी. माता का नाम पिता का नाम समेत अन्य सूचनाओं के साथ ही क्यूआर कोड भी शामिल किया जाएगा. इस क्यूआर कोड के माध्यम से कोई भी व्यक्ति यह पता लगा सकेगा कि 1 डिग्री असली है या नकली. डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि इस संबंध में शासन के स्तर पर सहमति बन गई है. जल्द ही नए सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है.

संस्कृत बोर्ड की मार्कशीट और डिग्री की अब नहीं बन पाएगी नकल,

यह है उत्तर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा का हाल
उत्तर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के लिए 2 राजकीय और 972 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं. माध्यमिक स्कूलों का संचालन माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से किया जाता है. इनकी विभिन्न परीक्षाएं कराने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद तक का गठन किया गया है. शैक्षिक सत्र 2019-20 में संस्कृत विद्यालयों में कुल 99 हजार 77 विद्यार्थी अध्ययनरत थे. इनमें प्रथमा (कक्षा 8) में 3810, पूर्व मध्यमा प्रथम (कक्षा 9) में 36876, पूर्व मध्यमा द्वितीय वर्ष (कक्षा 10) में 22604, उत्तर मध्यमा प्रथम वर्ष (कक्षा 11) में 20348 और उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष (कक्षा 12) में 15439 विद्यार्थी थे. जबकि, महाविद्यालयों का संचालन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की तरफ से किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें-UP DGP कौन ? फ्रंट लाइन में वरिष्ठता के आधार पर IPS मुकुल गोयल का नाम सबसे ऊपर

फर्जी मार्कशीट के कारण असली को उठाना पड़ रहा नुकसान
सरकार भले ही संस्कृत को अपनी प्राथमिकता बता रही हो, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसे बेरुखी का सामना करना पड़ा है. विभाग हो चाहे सरकार किसी ने इस पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जिसका खामियाजा इस भाषा और उसके जानने वालों को उठाना पड़ा है. बीते दिनों ऐसा भी प्रकरण सामने आया जब जाल सालों ने उत्तर प्रदेश संस्कृत शिक्षा परिषद के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर एक अमान्य संस्था का संचालन शुरू कर दिया. इन सब का खामियाजा यहां के छात्रों को उठाना पड़ रहा है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में संस्कृत को सबसे ज्यादा नुकसान यहां के शिक्षा माफियाओं ने पहुंचाया. पैसे की चाह में संस्कृत बोर्ड और संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट में बनाई गई है. आलम यह है कि असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो गया. इन हालातों में अब संस्कृत बोर्ड और विश्वविद्यालय की मार्कशीट और डिग्री को हाईटेक बनाया जा रहा है. दावा है कि नए सत्र से छात्रों को ऐसी मार्कशीट और डिग्री दी जाएगी, जिस की नकल बना पाना संभव ही नहीं होगा. वहीं, कोई भी व्यक्ति, विश्वविद्यालय या संस्थान ऑनलाइन ही यह पता कर लेगा की डिग्री असली है या नकली.

यह सिक्योरिटी फीचर जोड़े जा रहे
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि अब छात्रों को मिलने वाली डिग्री में कई सिक्योरिटी फीचर जोड़े जा रहे हैं. डिग्री पर छात्र की फोटो होगी. माता का नाम पिता का नाम समेत अन्य सूचनाओं के साथ ही क्यूआर कोड भी शामिल किया जाएगा. इस क्यूआर कोड के माध्यम से कोई भी व्यक्ति यह पता लगा सकेगा कि 1 डिग्री असली है या नकली. डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि इस संबंध में शासन के स्तर पर सहमति बन गई है. जल्द ही नए सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है.

संस्कृत बोर्ड की मार्कशीट और डिग्री की अब नहीं बन पाएगी नकल,

यह है उत्तर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा का हाल
उत्तर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के लिए 2 राजकीय और 972 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं. माध्यमिक स्कूलों का संचालन माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से किया जाता है. इनकी विभिन्न परीक्षाएं कराने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद तक का गठन किया गया है. शैक्षिक सत्र 2019-20 में संस्कृत विद्यालयों में कुल 99 हजार 77 विद्यार्थी अध्ययनरत थे. इनमें प्रथमा (कक्षा 8) में 3810, पूर्व मध्यमा प्रथम (कक्षा 9) में 36876, पूर्व मध्यमा द्वितीय वर्ष (कक्षा 10) में 22604, उत्तर मध्यमा प्रथम वर्ष (कक्षा 11) में 20348 और उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष (कक्षा 12) में 15439 विद्यार्थी थे. जबकि, महाविद्यालयों का संचालन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की तरफ से किया जा रहा है.

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फर्जी मार्कशीट के कारण असली को उठाना पड़ रहा नुकसान
सरकार भले ही संस्कृत को अपनी प्राथमिकता बता रही हो, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसे बेरुखी का सामना करना पड़ा है. विभाग हो चाहे सरकार किसी ने इस पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जिसका खामियाजा इस भाषा और उसके जानने वालों को उठाना पड़ा है. बीते दिनों ऐसा भी प्रकरण सामने आया जब जाल सालों ने उत्तर प्रदेश संस्कृत शिक्षा परिषद के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर एक अमान्य संस्था का संचालन शुरू कर दिया. इन सब का खामियाजा यहां के छात्रों को उठाना पड़ रहा है.

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