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संकट में यूपी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के कर्मचारी, सीएम योगी से उम्मीद

उत्तर प्रदेश सरकार अपने कार्मिकों के हित में तमाम कदम उठाने के दावे कर रही है, लेकिन ग्रामीण आजीविका मिशन के कर्मचारियों की समस्याएं बरकरार हैं. कम मैनपाॅवर में काम कर रहे कर्मचारी वेतन, सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 6, 2023, 5:10 PM IST

जानकारी देते उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार से प्रदेश की जनता को काफी उम्मीदें हैं. प्रदेश के कर्मचारी इसी उम्मीद के साथ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग भी कर रहे हैं. प्रदेश के कई विभागों में समस्याएं हैं और उन्हीं में से एक विभाग ग्रामीण आजीविका मिशन भी है. देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना कछुए की चाल से चल रही है जबकि भाजपा नीत केंद्र से लेकर सूबे की सरकार लगातार सार्वजनिक सभाओं में यह दावा करती रहती है कि उनके कार्यकाल में सबका साथ और सबका विकास के सिद्धांत पर समाज के अंतिम व्यक्ति तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाता है. उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से संचालित यह जनहितकारी सरकारी योजना अब प्रदेश में ही दम तोड़ रही है

जानकारी देते उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन.
जानकारी देते उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन.
योजना का नाम बदला लेकिन रफ्तार नहीं : उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा ने मीडिया से कहा है कि योजना का नाम तो बदल गया लेकिन इसकी चाल-ढाल नहीं बदली. मिशन के तहत कार्यरत कर्मचारियों को सात प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्घि देय होने के बावजूद बीते नौ साल पुराने वेतन पर ही काम करना पड़ रहा है. इसी अवधि में महंगाई 62 से 70 प्रतिशत का आंकड़ा छू चुकी है. 2011 में यह योजना लाई गई थी. नियमत: यूपीएसआरएलएम में 10 हजार से अधिक कर्मी होने चाहिए, लेकिन अब 3500 से भी कम कर्मियों से काम कराया जा रहा है.

शासन-प्रशासन नहीं सुन रहा आवाज : योगेश मोघा के अनुसार क्षेत्रों में कार्य भ्रमण के दौरान दर्जनों कर्मचारी सड़क हादसों के शिकार हुए, लेकिन विभाग की तरफ से उनके परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. उपाध्यक्ष सुनील कुमार, प्रतिभा सिंह, और सचिव कुलदीप सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि मुख्यालय पर मिशन निदेशक से कई दौर की मुलाकात की, लेकिन जमीनी अमल नहीं हो सका. 30 नवम्बर से ईको गार्डेन में प्रदेश भर से आजीविका मिशन कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं पर अभी तक शासन-प्रशासन के किसी भी नुमाइंदे ने उनकी आवाज नहीं सुनी. आजीविका मिशन को इसी उद्देश्य के साथ तत्कालीन भारत सरकार ने लॉन्च किया था. जिससे गरीब व असहाय परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. उनके क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के जरिये ऐसे ग्रामीणों की आजीविका में सुधार कर संबंधित वित्तीय सेवाओं उन तक सहज और सरल ढंग से पहुंचाया जा सके.

यह भी पढ़ें : स्वयं सहायता समूह की महिलाएं लगाएंगी दलिया बनाने का प्लांट, 15 अगस्त से होगी शुरूआत

उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए होंगे 4 एमओयू : केशव प्रसाद मौर्य

जानकारी देते उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार से प्रदेश की जनता को काफी उम्मीदें हैं. प्रदेश के कर्मचारी इसी उम्मीद के साथ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग भी कर रहे हैं. प्रदेश के कई विभागों में समस्याएं हैं और उन्हीं में से एक विभाग ग्रामीण आजीविका मिशन भी है. देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना कछुए की चाल से चल रही है जबकि भाजपा नीत केंद्र से लेकर सूबे की सरकार लगातार सार्वजनिक सभाओं में यह दावा करती रहती है कि उनके कार्यकाल में सबका साथ और सबका विकास के सिद्धांत पर समाज के अंतिम व्यक्ति तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाता है. उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से संचालित यह जनहितकारी सरकारी योजना अब प्रदेश में ही दम तोड़ रही है

जानकारी देते उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन.
जानकारी देते उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन.
योजना का नाम बदला लेकिन रफ्तार नहीं : उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा ने मीडिया से कहा है कि योजना का नाम तो बदल गया लेकिन इसकी चाल-ढाल नहीं बदली. मिशन के तहत कार्यरत कर्मचारियों को सात प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्घि देय होने के बावजूद बीते नौ साल पुराने वेतन पर ही काम करना पड़ रहा है. इसी अवधि में महंगाई 62 से 70 प्रतिशत का आंकड़ा छू चुकी है. 2011 में यह योजना लाई गई थी. नियमत: यूपीएसआरएलएम में 10 हजार से अधिक कर्मी होने चाहिए, लेकिन अब 3500 से भी कम कर्मियों से काम कराया जा रहा है.

शासन-प्रशासन नहीं सुन रहा आवाज : योगेश मोघा के अनुसार क्षेत्रों में कार्य भ्रमण के दौरान दर्जनों कर्मचारी सड़क हादसों के शिकार हुए, लेकिन विभाग की तरफ से उनके परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. उपाध्यक्ष सुनील कुमार, प्रतिभा सिंह, और सचिव कुलदीप सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि मुख्यालय पर मिशन निदेशक से कई दौर की मुलाकात की, लेकिन जमीनी अमल नहीं हो सका. 30 नवम्बर से ईको गार्डेन में प्रदेश भर से आजीविका मिशन कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं पर अभी तक शासन-प्रशासन के किसी भी नुमाइंदे ने उनकी आवाज नहीं सुनी. आजीविका मिशन को इसी उद्देश्य के साथ तत्कालीन भारत सरकार ने लॉन्च किया था. जिससे गरीब व असहाय परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. उनके क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के जरिये ऐसे ग्रामीणों की आजीविका में सुधार कर संबंधित वित्तीय सेवाओं उन तक सहज और सरल ढंग से पहुंचाया जा सके.

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