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लखनऊ: साइबर अपराध पर नहीं लग रहा लगाम, यूपी पुलिस को निगरानी के लिए उठाने होंगे बड़े कदम

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में इन दिनों यूपी पुलिस सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व कम्युनल पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल
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Published : Nov 12, 2019, 4:07 AM IST

लखनऊ: अयोध्या पर फैसले के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व कम्युनल पोस्ट करने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने 71 से अधिक कार्रवाई की हैं. कमलेश तिवारी हत्याकांड या फिर अयोध्या मामले में यूपी पुलिस सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर लगाम लगाने के लिए निगरानी रखने का पूरा प्रयास कर रही है. वहीं साइबर क्राइम व सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए अभी उत्तर प्रदेश पुलिस को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश पुलिस के पास टूल्स, टेक्नोलॉजी की कमी है.

साइबर अपराध पर यूपी पुलिस को निगरानी के लिए उठाने होंगे बड़े कदम


साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि जिस तरह से कमलेश तिवारी के हत्यारे लंबे समय से उसके संपर्क में थे और पुलिस को भनक भी नहीं लगी. ऐसे मामले में साइबर क्राइम और सोशल मीडिया पर निगरानी के साथ-साथ अब सोशल मीडिया अपराधों पर भी नजर आ रही है. सोशल मीडिया पर निगरानी रखना उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए जरूरी हो गया है.


इवेंट बेस्ड कार्रवाई से नहीं चलेगा

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस इवेंट बेस्ड कार्रवाई कर रही है, इस से काम नहीं चलने वाला है. उत्तर प्रदेश पुलिस को साइबर अपराधों पर लगाम लगाने और सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए निरंतर काम करने की आवश्यकता है. जब निरंतर सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जाएगी तो उससे समाज को एक मैसेज पहुंचेगा और आपत्तिजनक व कमरे में पोस्ट करने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी.

सोशल मीडिया पर निगरानी रखना इसलिए भी कठिन है क्योंकि भारत में निजता का हनन का कानून है ऐसे में अगर निगरानी रखी जाती है तो इस कानून का हनन होता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना पड़ेगा जिससे निजता का हनन भी न हो और निगरानी भी हो जाए.


राजनीति के प्रभाव में न आना एक बड़ा चैलेंज

पुलिस विभाग सरकार के अंतर्गत काम करता है सोशल मीडिया एक माध्यम है जिस पर लोग अपने विचार रखते है. ऐसे में कई बार सत्ता में बैठे हुए राजनेताओं के खिलाफ टिप्पणी करना लोगों के लिए मुसीबत साबित होता है. ऐसे में पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा जो सोशल मीडिया पर निगरानी को लेकर होने वाली कार्रवाई राजनीति से प्रभावित न हो और लोगों का विश्वास पुलिस के प्रति बना रहे.


लखनऊ: अयोध्या पर फैसले के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व कम्युनल पोस्ट करने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने 71 से अधिक कार्रवाई की हैं. कमलेश तिवारी हत्याकांड या फिर अयोध्या मामले में यूपी पुलिस सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर लगाम लगाने के लिए निगरानी रखने का पूरा प्रयास कर रही है. वहीं साइबर क्राइम व सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए अभी उत्तर प्रदेश पुलिस को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश पुलिस के पास टूल्स, टेक्नोलॉजी की कमी है.

साइबर अपराध पर यूपी पुलिस को निगरानी के लिए उठाने होंगे बड़े कदम


साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि जिस तरह से कमलेश तिवारी के हत्यारे लंबे समय से उसके संपर्क में थे और पुलिस को भनक भी नहीं लगी. ऐसे मामले में साइबर क्राइम और सोशल मीडिया पर निगरानी के साथ-साथ अब सोशल मीडिया अपराधों पर भी नजर आ रही है. सोशल मीडिया पर निगरानी रखना उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए जरूरी हो गया है.


इवेंट बेस्ड कार्रवाई से नहीं चलेगा

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस इवेंट बेस्ड कार्रवाई कर रही है, इस से काम नहीं चलने वाला है. उत्तर प्रदेश पुलिस को साइबर अपराधों पर लगाम लगाने और सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए निरंतर काम करने की आवश्यकता है. जब निरंतर सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जाएगी तो उससे समाज को एक मैसेज पहुंचेगा और आपत्तिजनक व कमरे में पोस्ट करने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी.

सोशल मीडिया पर निगरानी रखना इसलिए भी कठिन है क्योंकि भारत में निजता का हनन का कानून है ऐसे में अगर निगरानी रखी जाती है तो इस कानून का हनन होता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना पड़ेगा जिससे निजता का हनन भी न हो और निगरानी भी हो जाए.


राजनीति के प्रभाव में न आना एक बड़ा चैलेंज

पुलिस विभाग सरकार के अंतर्गत काम करता है सोशल मीडिया एक माध्यम है जिस पर लोग अपने विचार रखते है. ऐसे में कई बार सत्ता में बैठे हुए राजनेताओं के खिलाफ टिप्पणी करना लोगों के लिए मुसीबत साबित होता है. ऐसे में पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा जो सोशल मीडिया पर निगरानी को लेकर होने वाली कार्रवाई राजनीति से प्रभावित न हो और लोगों का विश्वास पुलिस के प्रति बना रहे.


Intro:नोट- खबर के संदर्भ में ओपनिंग पीटीसी भेजी जा रही है साथ ही अनुज अग्रवाल से बातचीत का फोनों भी भेजा जा रहा है।


एंकर

लखनऊ। अयोध्या प्रकरण को लेकर अब तक सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व कम्युनल पोस्ट करने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने 71 से अधिक कार्यवाही की हैं कमलेश तिवारी हत्याकांड व फिर अयोध्या मामले में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर लगाम लगाने की बातें लगातार उत्तर प्रदेश पुलिस कर रहे हैं जिसके चलते अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दौरान पुलिस विभाग में अपने स्तर पर सोशल मीडिया पर निगरानी रखने का पूरा प्रयास किया और इसके तहत कार्यवाही की लेकिन साइबर क्राइम व सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए अभी उत्तर प्रदेश पुलिस को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने ईटीवी तथा बातचीत में बताया कि अभी उत्तर प्रदेश पुलिस के पास टूल्स, टेक्नोलॉजी व एक्सपोर्ट की कमी है। उत्तर प्रदेश पुलिस को साइबर क्राइम और सोशल मीडिया पर निगरानी करने के लिए और अधिक आधुनिक होना पड़ेगा।


Body:वियो

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि जिस तरह से कमलेश तिवारी के हत्यारे लंबे समय से उसके संपर्क में थे और पुलिस को भनक भी नहीं लगी। ऐसे मामले में साइबर क्राइम और सोशल मीडिया पर निगरानी के साथ-साथ अब सोशल मीडिया अपराधों में भी भूमिका अदा करती हुई नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर निगरानी रखना उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए जरूरी हो गया है।


अनुज अग्रवाल के अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है जिससे सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जा सके वही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम कानून में बसे हुए हैं जिससे उनसे सूचनाएं मिलने की कम ही उम्मीद है ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने सोशल मीडिया निगरानी बड़ा चैलेंज है लेकिन अगर और प्रयास किए जाएं व टेक्नोलॉजी को बेहतर किया जाए व कर्मचारियों को ट्रेन किया जाए तो काफी हद तक सोशल मीडिया पर निगरानी की जा सकती है और साइबर क्राइम पर भी लगाम लगाई जा सकती है।

साइबर क्राइम पर लगाम न लग पाने का एक बड़ा कारण या है कि साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देने वाले कई बार घटना के स्थान से काफी दूरदराज के इलाकों में बैठे होते हैं ऐसे में उनको पहचान पाए उन पर कार्यवाही करना कई बार कठिन होता है ऐसे में साइबर क्राइम पर लगाम लगाने व सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को एक खास तकनीक विकसित करने की आवश्यकता है अभी तक उत्तर प्रदेश पुलिस के पास ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे सोशल मीडिया पर पूरी तरह से निगरानी रखी जा सके।

इवेंट बेस्ट कार्यवाही से नहीं चलेगा

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस इवेंट बेस्ट कार्यवाही कर रही है इस से काम नहीं चलने वाला है उत्तर प्रदेश पुलिस को साइबर अपराधों पर लगाम लगाने व सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए निरंतर काम करने की आवश्यकता है और जब निरंतर सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जाएगी तो उससे समाज को एक मैसेज पहुंचेगा और आपत्तिजनक व कमरे में पोस्ट करने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी।


सोशल मीडिया पर निगरानी रखना इसलिए भी कठिन है क्योंकि भारत में निजता का हनन का कानून है ऐसे में अगर निगरानी रखी जाती है तो इस कानून का हनन होता है ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना पड़ेगा जिससे निजता का हनन भी न हो और निगरानी भी हो जाए।


राजनीति के प्रभाव में न आना एक बड़ा चैलेंज

पुलिस विभाग सरकार के अंतर्गत काम करता है सोशल मीडिया एक माध्यम है जिस पर लोग अपने विचार रखती है ऐसे में कई बार सत्ता में बैठे हुए राजनेताओं के खिलाफ टिप्पणी करना लोगों के लिए मुसीबत साबित होता है ऐसे में पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि सोशल मीडिया पर निगरानी को लेकर होने वाली कार्यवाही राजनीति से प्रभावित न हो और लोगों का विश्वास पुलिस के प्रति बना रहे।

बाइट- अनुज अग्रवाल, चेयरमैन, सेंटर ऑफ़ रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ


Conclusion:संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26
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