लखनऊ: अयोध्या पर फैसले के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व कम्युनल पोस्ट करने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने 71 से अधिक कार्रवाई की हैं. कमलेश तिवारी हत्याकांड या फिर अयोध्या मामले में यूपी पुलिस सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर लगाम लगाने के लिए निगरानी रखने का पूरा प्रयास कर रही है. वहीं साइबर क्राइम व सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए अभी उत्तर प्रदेश पुलिस को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश पुलिस के पास टूल्स, टेक्नोलॉजी की कमी है.
साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि जिस तरह से कमलेश तिवारी के हत्यारे लंबे समय से उसके संपर्क में थे और पुलिस को भनक भी नहीं लगी. ऐसे मामले में साइबर क्राइम और सोशल मीडिया पर निगरानी के साथ-साथ अब सोशल मीडिया अपराधों पर भी नजर आ रही है. सोशल मीडिया पर निगरानी रखना उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए जरूरी हो गया है.
इवेंट बेस्ड कार्रवाई से नहीं चलेगा
साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस इवेंट बेस्ड कार्रवाई कर रही है, इस से काम नहीं चलने वाला है. उत्तर प्रदेश पुलिस को साइबर अपराधों पर लगाम लगाने और सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए निरंतर काम करने की आवश्यकता है. जब निरंतर सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जाएगी तो उससे समाज को एक मैसेज पहुंचेगा और आपत्तिजनक व कमरे में पोस्ट करने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी.
सोशल मीडिया पर निगरानी रखना इसलिए भी कठिन है क्योंकि भारत में निजता का हनन का कानून है ऐसे में अगर निगरानी रखी जाती है तो इस कानून का हनन होता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना पड़ेगा जिससे निजता का हनन भी न हो और निगरानी भी हो जाए.
राजनीति के प्रभाव में न आना एक बड़ा चैलेंज
पुलिस विभाग सरकार के अंतर्गत काम करता है सोशल मीडिया एक माध्यम है जिस पर लोग अपने विचार रखते है. ऐसे में कई बार सत्ता में बैठे हुए राजनेताओं के खिलाफ टिप्पणी करना लोगों के लिए मुसीबत साबित होता है. ऐसे में पुलिस को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा जो सोशल मीडिया पर निगरानी को लेकर होने वाली कार्रवाई राजनीति से प्रभावित न हो और लोगों का विश्वास पुलिस के प्रति बना रहे.