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UP Assembly Election 2022: यूपी में एक करोड़ व्यापारी हो सकता है गेम चेंजर, जानिए क्या हैं इनके मुद्दे - यूपी चुनाव न्यूज

प्रदेश में छोटे-बड़े कारोबारियों की संख्या करीब एक करोड़ है. ऐसे में इनकी भूमिका यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में महत्वपूर्ण है. ये लोग चुनाम के लिए गेम चेंजर हो सकते हैं.

कारोबारी से बातचीत
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Published : Feb 5, 2022, 12:39 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में छोटे-बड़े कारोबारियों की संख्या करीब एक करोड़ है. एक आंकड़े के मुताबिक यह एक करोड़ व्यापारी करीब चार करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करता है. ऐसे में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में इनकी भूमिका बेहद अहम है. व्यापारी नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि यह चुनाव में गेम चेंजर होंगे.

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष और व्यापारी नेता संजय गुप्ता कहते हैं कि किसानों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक व्यापारी ही हैं. कोरोना संक्रमण के चलते उनकी हालत खराब है. ई-कॉमर्स कंपनियों ने व्यापार को चौपट करके रख दिया है. ऐसे में व्यापारियों की तरफ से प्रमुख राजनीतिक दलों के सामने 15 सूत्रीय मांगें रखी गई हैं. जो भी राजनीतिक दल चुनाव में इन मांगों को पूरा करने का वादा करता है, व्यापारी उसके साथ खड़ा होगा.

कारोबारी से बातचीत

यह हैं मांगें

प्रदेश सरकार की कॉमर्स कंपनियों के लिए नीति तैयार करें. प्रदेश के व्यापारियों के व्यापार को ई-कॉमर्स के माध्यम से बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर सरकार द्वारा स्वयं अथवा पीपीपी मॉडल पर व्यापारियों के सहयोग से पूर्ण रूप से स्वदेशी 'ई-कॉमर्स पोर्टल' तैयार किया जाए. इसमें प्रदेश के व्यापारियों को निशुल्क व्यापार करने की सुविधा हो. यह पोर्टल व्यापारियों को केवल मार्केटप्लेस उपलब्ध कराने के मॉडल पर आधारित हो. पोर्टल द्वारा स्वयं बिक्री न की जाए.

प्रदेश में व्यापारियों के व्यापार को बढ़ाने के लिए 'व्यापारी नीति आयोग' का गठन किया जाए. इसमें प्रदेश के प्रमुख अनुभवी व्यापारियों को मुख्य भूमिका में रखा जाए और अधिकारियों को सदस्य के रूप में ही रखा जाए. प्रदेश स्तरीय 'जीएसटी सुझाव समिति' का गठन हो, जिसमें प्रदेश के प्रमुख व्यापारिक संगठनों के अनुभवी विशेषज्ञ व्यापारी प्रतिनिधियों को सदस्य के रूप में शामिल किया जाए. जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के लिए 10 लाख रुपये का 'व्यापारी स्वास्थ्य बीमा' सरकार द्वारा अनिवार्य रूप से दिया जाए.

जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के लिए दुर्घटना बीमा योजना की परिभाषा में बदलाव करते हुए दुर्घटना बीमा योजना का दायरा बढ़ाते हुए 15 लाख रुपये करते हुए उसके दायरे में कोविड-19 और अन्य महामारी एवं प्राकृतिक आपदा से होने वाली मृत्यु को भी जोड़ा जाए. कॉमर्शियल विद्युत कनेक्शन की दरें कम हो तथा कॉमर्शियल उपभोक्ता द्वारा जितनी विद्युत का उपयोग किया गया हो, सिर्फ उतनी बिजली का ही मूल्य लिए जाए. डिमांड चार्ज, फिक्स चार्ज, मिनिमम चार्ज आदि समाप्त हो.

कामर्शियल हाउस टैक्स की दरें आवासीय हाउस टैक्स की दर से मात्र दुगनी निर्धारित की जाए. वर्तमान में आवासीय दर से 5 गुना तक यह दरें प्रभावी हैं. जिन व्यापारियों द्वारा अपने प्रतिष्ठानों पर वाटर कनेक्शन नहीं लिया गया हो तथा उनके प्रतिष्ठान में शौचालय मूत्रालय का प्रयोग न हो रहा हो उन वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को जल कर के भुगतान से मुक्त रखा जाए.

जनता की आवश्यकता के अनुसार स्वाभाविक रूप से प्रदेश के महानगरों में 18 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर जिन आवासीय क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में 80 प्रतिशत से अधिक व्यवसायिक गतिविधियां हो रही हों उन बाजारों को बाजार मार्ग, मार्केट स्ट्रीट घोषित किया जाए. प्रदेश के महानगरों में मिक्स लैंड यूज की व्यवस्था लागू की जाए. प्रदेश के व्यापारियों की सुरक्षा के लिए 'व्यापारी सुरक्षा प्रकोष्ठ' को वास्तविक रूप से प्रभावी बनाया जाए और प्रदेश के हर थाने पर व्यापारी हेल्पडेस्क बने.

यह भी पढ़ें: गोरखपुर में CM योगी का डोर टू डोर कैंपेन, बोले- 5 साल में तेजी से हुआ विकास

व्यापारियों के यहां किसी भी तरह के सर्वे, छापे की कार्यवाही पर पूर्णतया प्रतिबंध हो. विशेष परिस्थितियों में केवल मुख्यमंत्री की अनुमति से ही छापे पड़े (कुछ प्रदेशों में यह व्यवस्था लागू है). पैकेट बंद खाद्य पदार्थों के सैंपल उत्पादन इकाई से ही लिए जाएं व्यापारिक प्रतिष्ठानों से नहीं. न ही उन्हें मुकदमे में पार्टी बनाया जाए. खाद्य पदार्थ विक्रेता के सैंपल की हुई द्विस्तरीय जांच की व्यवस्था हो और प्रदेश के सभी जिलों में टेस्ट लैब की स्थापना की जाए. प्रदेश में मंडी शुल्क व्यवस्था पूरी तरीके से समाप्त की जाए.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में छोटे-बड़े कारोबारियों की संख्या करीब एक करोड़ है. एक आंकड़े के मुताबिक यह एक करोड़ व्यापारी करीब चार करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करता है. ऐसे में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में इनकी भूमिका बेहद अहम है. व्यापारी नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि यह चुनाव में गेम चेंजर होंगे.

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष और व्यापारी नेता संजय गुप्ता कहते हैं कि किसानों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक व्यापारी ही हैं. कोरोना संक्रमण के चलते उनकी हालत खराब है. ई-कॉमर्स कंपनियों ने व्यापार को चौपट करके रख दिया है. ऐसे में व्यापारियों की तरफ से प्रमुख राजनीतिक दलों के सामने 15 सूत्रीय मांगें रखी गई हैं. जो भी राजनीतिक दल चुनाव में इन मांगों को पूरा करने का वादा करता है, व्यापारी उसके साथ खड़ा होगा.

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यह हैं मांगें

प्रदेश सरकार की कॉमर्स कंपनियों के लिए नीति तैयार करें. प्रदेश के व्यापारियों के व्यापार को ई-कॉमर्स के माध्यम से बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर सरकार द्वारा स्वयं अथवा पीपीपी मॉडल पर व्यापारियों के सहयोग से पूर्ण रूप से स्वदेशी 'ई-कॉमर्स पोर्टल' तैयार किया जाए. इसमें प्रदेश के व्यापारियों को निशुल्क व्यापार करने की सुविधा हो. यह पोर्टल व्यापारियों को केवल मार्केटप्लेस उपलब्ध कराने के मॉडल पर आधारित हो. पोर्टल द्वारा स्वयं बिक्री न की जाए.

प्रदेश में व्यापारियों के व्यापार को बढ़ाने के लिए 'व्यापारी नीति आयोग' का गठन किया जाए. इसमें प्रदेश के प्रमुख अनुभवी व्यापारियों को मुख्य भूमिका में रखा जाए और अधिकारियों को सदस्य के रूप में ही रखा जाए. प्रदेश स्तरीय 'जीएसटी सुझाव समिति' का गठन हो, जिसमें प्रदेश के प्रमुख व्यापारिक संगठनों के अनुभवी विशेषज्ञ व्यापारी प्रतिनिधियों को सदस्य के रूप में शामिल किया जाए. जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के लिए 10 लाख रुपये का 'व्यापारी स्वास्थ्य बीमा' सरकार द्वारा अनिवार्य रूप से दिया जाए.

जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के लिए दुर्घटना बीमा योजना की परिभाषा में बदलाव करते हुए दुर्घटना बीमा योजना का दायरा बढ़ाते हुए 15 लाख रुपये करते हुए उसके दायरे में कोविड-19 और अन्य महामारी एवं प्राकृतिक आपदा से होने वाली मृत्यु को भी जोड़ा जाए. कॉमर्शियल विद्युत कनेक्शन की दरें कम हो तथा कॉमर्शियल उपभोक्ता द्वारा जितनी विद्युत का उपयोग किया गया हो, सिर्फ उतनी बिजली का ही मूल्य लिए जाए. डिमांड चार्ज, फिक्स चार्ज, मिनिमम चार्ज आदि समाप्त हो.

कामर्शियल हाउस टैक्स की दरें आवासीय हाउस टैक्स की दर से मात्र दुगनी निर्धारित की जाए. वर्तमान में आवासीय दर से 5 गुना तक यह दरें प्रभावी हैं. जिन व्यापारियों द्वारा अपने प्रतिष्ठानों पर वाटर कनेक्शन नहीं लिया गया हो तथा उनके प्रतिष्ठान में शौचालय मूत्रालय का प्रयोग न हो रहा हो उन वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को जल कर के भुगतान से मुक्त रखा जाए.

जनता की आवश्यकता के अनुसार स्वाभाविक रूप से प्रदेश के महानगरों में 18 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर जिन आवासीय क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में 80 प्रतिशत से अधिक व्यवसायिक गतिविधियां हो रही हों उन बाजारों को बाजार मार्ग, मार्केट स्ट्रीट घोषित किया जाए. प्रदेश के महानगरों में मिक्स लैंड यूज की व्यवस्था लागू की जाए. प्रदेश के व्यापारियों की सुरक्षा के लिए 'व्यापारी सुरक्षा प्रकोष्ठ' को वास्तविक रूप से प्रभावी बनाया जाए और प्रदेश के हर थाने पर व्यापारी हेल्पडेस्क बने.

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व्यापारियों के यहां किसी भी तरह के सर्वे, छापे की कार्यवाही पर पूर्णतया प्रतिबंध हो. विशेष परिस्थितियों में केवल मुख्यमंत्री की अनुमति से ही छापे पड़े (कुछ प्रदेशों में यह व्यवस्था लागू है). पैकेट बंद खाद्य पदार्थों के सैंपल उत्पादन इकाई से ही लिए जाएं व्यापारिक प्रतिष्ठानों से नहीं. न ही उन्हें मुकदमे में पार्टी बनाया जाए. खाद्य पदार्थ विक्रेता के सैंपल की हुई द्विस्तरीय जांच की व्यवस्था हो और प्रदेश के सभी जिलों में टेस्ट लैब की स्थापना की जाए. प्रदेश में मंडी शुल्क व्यवस्था पूरी तरीके से समाप्त की जाए.

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