ETV Bharat / state

यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता, अभ्यर्थियों को होगा यह लाभ - असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती

यूजीसी की ओर से सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए पीएचडी अनिवार्यता समाप्त करने से अब देश में न केवल उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी पूरी हो सकेगी वरन शोध कार्यों में भी गुणवत्ता आएगी. इसके अलावा नेट क्वालिफाइड अभ्यर्थी भी आगे चलकर आसानी से पीएचडी कर सकते हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 19, 2023, 10:53 PM IST

यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता. देखें खबर

लखनऊ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) देेशभर के डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया के लिए पीएचडी की डिग्री की अनिवार्यता समाप्त किए जाने के बाद से अभ्यर्थियों में इसको लेकर काफी उत्साह है. अब उच्च शिक्षा आयोग सहायक प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए हर विषय के अभ्यर्थियों को बराबर का मौका मिल जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में पीएचडी की अनिवार्यता होने से विज्ञान व कला विषय में पीएचडी कर रहे अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में बराबर के अवसर मिलेंगे.

यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता.
यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता.


विज्ञान व कला विषय के अभ्यर्थियों के लिए बेहतर मौका : यूजीसी के विशेषज्ञ व लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर मौलेन्दु मिश्रा ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग से होने वाले सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में इस नियम के कारण काफी विलंब होता था. विशेष तौर पर विज्ञान व कला विषय के लिए शिक्षकों के चयन में पीएचडी की अनिवार्यता होने से कम संख्या में अभ्यर्थी आवेदन कर पाते थे. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण है इन विषयों में पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या काफी कम होती है. उन्होंने बताया कि विज्ञान व कला विषय से पीएचडी करने वाले छात्र जो टॉपिक चुनते हैं उनमें निर्धारित समय से अधिक समय पीएचडी शोध पूरा करने में समय लगता है. जिस कारण से इस विषय के छात्र निर्धारित आयु वर्ग से अधिक हो जाने के कारण शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के लिए योग्य नही हो पाते हैं.


गुणवत्तापूर्ण पीएचडी होने के चांस भी बढ़ेंगे : प्रो. मौलेन्दु मिश्रा बताते हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इस फैसले से न केवल अभ्यर्थियों को नौकरी पाने में सहूलियत होगी. बल्कि पुणे आगे चलकर पीएचडी भी करना होगा क्योंकि वह उनके प्रमोशन से जुड़ा हुआ है. ऐसे में जो अभ्यर्थी नौकरी प्राप्त कर लेंगे वह जब प्रमोशन के लिए पीएचडी कर रहे होंगे तो इस दौरान विश्वविद्यालयों में गुप्ता पूर्व पीएचडी होना भी शुरू हो जाएगा. जिससे इसका लाभ समाज व देश दोनों को होगा. उन्होंने बताया कि अभी जो पीएचडी हो रही है कुछ विषयों को छोड़ दें तो बाकी विषयों में पीएचडी सिर्फ थीसिस जमा करने तक ही सीमित रह गई है ऐसा कह सकते हैं. पीएचडी कर रहा है शोधार्थी बस किसी भी तरह से थीसिस लिख कर पीएचडी पूरा कर लेना चाहता है क्योंकि उसे आगे चलकर नौकरी पाना ही उसका लक्ष होता है. पर इस नियम मैं बदलाव होने से पीएचडी की गुणवत्ता में सुधार आएगा इसको लेकर भी अब यूजीसी को कुछ सख्त गाइडलाइन भी बना देना चाहिए.


यह भी पढ़ें : Basic Education : वंडर बाक्स से दी जाएगी आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा

यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता. देखें खबर

लखनऊ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) देेशभर के डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया के लिए पीएचडी की डिग्री की अनिवार्यता समाप्त किए जाने के बाद से अभ्यर्थियों में इसको लेकर काफी उत्साह है. अब उच्च शिक्षा आयोग सहायक प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए हर विषय के अभ्यर्थियों को बराबर का मौका मिल जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में पीएचडी की अनिवार्यता होने से विज्ञान व कला विषय में पीएचडी कर रहे अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में बराबर के अवसर मिलेंगे.

यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता.
यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर परीक्षा के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता.


विज्ञान व कला विषय के अभ्यर्थियों के लिए बेहतर मौका : यूजीसी के विशेषज्ञ व लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर मौलेन्दु मिश्रा ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग से होने वाले सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में इस नियम के कारण काफी विलंब होता था. विशेष तौर पर विज्ञान व कला विषय के लिए शिक्षकों के चयन में पीएचडी की अनिवार्यता होने से कम संख्या में अभ्यर्थी आवेदन कर पाते थे. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण है इन विषयों में पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या काफी कम होती है. उन्होंने बताया कि विज्ञान व कला विषय से पीएचडी करने वाले छात्र जो टॉपिक चुनते हैं उनमें निर्धारित समय से अधिक समय पीएचडी शोध पूरा करने में समय लगता है. जिस कारण से इस विषय के छात्र निर्धारित आयु वर्ग से अधिक हो जाने के कारण शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के लिए योग्य नही हो पाते हैं.


गुणवत्तापूर्ण पीएचडी होने के चांस भी बढ़ेंगे : प्रो. मौलेन्दु मिश्रा बताते हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इस फैसले से न केवल अभ्यर्थियों को नौकरी पाने में सहूलियत होगी. बल्कि पुणे आगे चलकर पीएचडी भी करना होगा क्योंकि वह उनके प्रमोशन से जुड़ा हुआ है. ऐसे में जो अभ्यर्थी नौकरी प्राप्त कर लेंगे वह जब प्रमोशन के लिए पीएचडी कर रहे होंगे तो इस दौरान विश्वविद्यालयों में गुप्ता पूर्व पीएचडी होना भी शुरू हो जाएगा. जिससे इसका लाभ समाज व देश दोनों को होगा. उन्होंने बताया कि अभी जो पीएचडी हो रही है कुछ विषयों को छोड़ दें तो बाकी विषयों में पीएचडी सिर्फ थीसिस जमा करने तक ही सीमित रह गई है ऐसा कह सकते हैं. पीएचडी कर रहा है शोधार्थी बस किसी भी तरह से थीसिस लिख कर पीएचडी पूरा कर लेना चाहता है क्योंकि उसे आगे चलकर नौकरी पाना ही उसका लक्ष होता है. पर इस नियम मैं बदलाव होने से पीएचडी की गुणवत्ता में सुधार आएगा इसको लेकर भी अब यूजीसी को कुछ सख्त गाइडलाइन भी बना देना चाहिए.


यह भी पढ़ें : Basic Education : वंडर बाक्स से दी जाएगी आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.