लखनऊ: उत्तर प्रदेश स्टेट हाईवे अथॉरिटी के बैंक खातों में जमा 125 करोड़ की रकम को ठिकाने लगाने की कोशिश में मंगलवार को यूपी एसटीएफ की टीम ने दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है. मुखबिर की मिली सूचना के आधार पर यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह की टीम ने अमरनाथ गुप्ता और प्रभास नाम के 2 जालसाजों को महानगर के फातिमा रेलवे क्रॉसिंग के पास से गिरफ्तार किया. इस संबंध में थाना महानगर में एक मुकदमा पंजीकृत था.
प्रकरण में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने जांच के लिए एसटीएफ लखनऊ की टीम को निर्देशित किया था. बता दें, एसटीएफ की टीम इस संबंध में लगातार जांच में जुटी हुई थी. इस बड़ी धोखाधड़ी में बैंक के बड़े अफसर किस सजगता की वजह से जालसाजी पकड़ी गई. पकड़े गए जालसाज ने पूछताछ में बताया कि उनके इस गिरोह में बैंक कर्मी भी शामिल है. वे लोग इस 125 करोड़ की रकम को दिल्ली के दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर करके निकालने की कोशिश में जुटे थे.
125 करोड़ को ठिकाने लगाने से पहले पकड़े गए जालसाज
राजधानी के महानगर कोतवाली में उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग प्राधिकरण के 125 करोड़ के बैंक ड्राफ्ट के धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया था. जालसाज ने उत्तर प्रदेश राजमार्ग प्राधिकरण और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से उत्तर प्रदेश राजमार्ग प्राधिकरण वित्त नियंत्रक का फर्जी अथॉरिटी लेटर एवं आईडी बनाकर दिल्ली में खाता खुलवाया. फिर धनराशि को फर्जी खाते में भुगतान कराने के प्रयास में जुट गए, लेकिन बैंक के बड़े अधिकारियों की सजगता की वजह से पूरा मामला पकड़ा गया. इस धोखाधड़ी की रकम की निकासी पर रोक लगा ली गई.
कैसे काम करता था यह गैंग
पकड़े गए जालसाज अमरनाथ और प्रभास से एसटीएफ की टीम ने पूछताछ की है. प्रभास ने बताया कि उनका एक संगठित गैंग है, जो सरकारी संस्थाओं के खातों में उपलब्ध धनराशि का एफडीआर बनावाकर अधिक ब्याज दर दिलाने का लालच देते है. वे लोग अवैध रूप से प्राप्त कमीशन का आपस में बंदरबांट करने का प्रलोभन देकर बैंक में जमा धनराशि का एफडीआर प्राप्त कर लेते हैं. प्रभास ने बताया कि गिरोह में कई बैंक कर्मी भी शामिल है. वही सरकारी संस्थाओं का फर्जी अथॉरिटी लेटर उन के माध्यम से तैयार करके अन्य दूरस्थ बैंकों में खाता खुलवाते हैं फिर उस एफडीआर को फर्जी बैंक खाते में ट्रांसफर कराकर रकम निकाल लेते हैं.
पकड़ी गई 125 करोड़ की धोखाधड़ी
26 मई को उत्तर प्रदेश राजमार्ग प्राधिकरण की धनराशि 125 करोड़ की रकम का लखनऊ के जीबी मार्ग स्थित पीएनबी में एफडीआर को 185 दिन का एफडीआर बनाने के लिए 2 जून को पत्र के माध्यम से पीएनबी महानगर के शाखा प्रबंधक से वित्त नियंत्रक उत्तर प्रदेश राज्य प्राधिकरण द्वारा अनुरोध किया गया. जिस पर 11 जून को अजय कुमार दीक्षित शाखा प्रबंधक व उत्तर प्रदेश राजमार्ग प्राधिकरण लेकर आए. वो बैंक ड्राफ्ट प्राप्त किया. इस पूरी धनराशि को बेमानी पूर्ण ढंग से प्राप्त करने के लिए गिरोह के सदस्यों की सहायता से नई दिल्ली के द्वारिका स्थित पीएनबी ब्रांच में जानने वाले अमरनाथ गुप्ता को उपलब्ध कराया गया.
अमरनाथ गुप्ता ने पीएनबी बैंक के मैनेजर व दिल्ली के रहने वाले गैंग के सदस्यों की सहायता से अमरनाथ गुप्ता की पहचान को अनिल गोयल के रूप में करा कर फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड एवं उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग प्राधिकरण की वित्त नियंत्रक के नाम से एक खाता खुलवाया गया. इस 125 करोड़ के ड्राफ्ट को इस फर्जी बैंक खाते में भुगतान के लिए लगा दिया गया. खाता बंद होने पर इस अवैध कार्य में संलिप्त बैंक कर्मियों से पूछने पर बताया गया कि खाते से अधिक धनराशि की डीडी लगाए जाने के कारण धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के कक्ष के डिप्टी सर्किल हेड ने डीडी निर्गत करने वाले बैंक एवं श्री प्रियरंजन कुमार को अनिल गोयल एवं उपरोक्त खाते के संबंध में एक कंफर्मेशन ई-मेल किया गया. जिसके बाद यह धोखाधड़ी प्रकाश में आई. पूरे भुगतान पर रोक लगा दी गई.
धोखाधड़ी से मिली रकम से खरीदी थी महंगी कार
पकड़े गए जालसाज प्रभास ने बताया की एफडीआर बनवाने पर प्रति करोड़ लगभग 6 हजार रुपये संस्था के अधिकारी एंव कर्मचारी को प्राप्त होते हैं. इसी लालच में आकर पूर्व में भी चेक क्लोन व एफडीओ को फर्जी खातों में भुगतान कराया जा चुका है. एसटीएफ ने अभियुक्तों के व्हाट्सएप से कई महत्वपूर्ण जानकारी और शासन के पत्र की भी जानकारी मिली है. वहीं इन अभियुक्तों ने धोखाधड़ी से प्राप्त रुपयों से एक ऑडी कार और बीएमडब्ल्यू कार भी खरीदी है जो बरामद हुई है.