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'कर्माबाई को खीचड़ो' नृत्य नाटिका में दिखा भक्त और भगवान का प्रेम

राजधानी लखनऊ के श्रीश्याम मंदिर में गुरुवार को दो दिवसीय फागुनोत्सव का आयोजन किया गया. उत्सव में नृत्य नाटिका के जरिए 'कर्माबाई को खीचड़ो' प्रस्तुत किया. फागुनोत्सव में लगने वाला मेला आज शाम तक चलेगा.

खाटू मन्दिर में मची फागुनोत्सव की धूम
खाटू मन्दिर में मची फागुनोत्सव की धूम
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Published : Mar 26, 2021, 9:41 AM IST

लखनऊ: शहर के श्रीश्याम परिवार लखनऊ की ओर से बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्रीश्याम मंदिर में गुरुवार को फागुन महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव में नृत्य नाटिका का मंचन हुआ. मंचन में 'कर्माबाई को खीचड़ो' कथा प्रस्तुत किया गया. जिसमें दर्शाया गया कि भगवान के प्रति हमारा सच्चा प्रेम है तो उन्हें खोजने की जरुरत नहीं, वह हर पल हमारे साथ हैं.

कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किया.
कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किया.

सम्मानित किया गया
देबाजीत डांस ग्रुप ने मंचित 'कर्माबाई को खीचड़ो' व 'डाकिया डाक लाया' नृत्य नाटिका का मंचन किया गया. नाटक मंचन से पूर्व श्रीश्याम परिवार लखनऊ व फागुनोत्सव संयोजक प्रशांत डालमिया आदि लोगों ने कलाकारों को सम्मानित किया. इसके बाद नाटक की शुरुआत हुई. कर्माबाई में भगवान के प्रति अगाध प्रेम को जिस प्रकार सुन्दरता और मिठास के साथ दिखाया कि लोगों के आंखों में आंसू छलक आए.

भक्त कर्माबाई की कथा
नाटक में दर्शाया गया कि राजस्थान के नागौर जिले के एक गांव में जीवन राम डूडी के घर साल 1615 में एक बेटी का जन्म हुआ. जिसके चेहरे पर एक अनोखी आभा थी. बचपन से ही उसमें भक्ति भाव के संस्कार थे. जब कर्मा 13 वर्ष की थी तो एक बार जीवन राम को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए पुष्कर जाना था. उनकी पत्नी भी उनके साथ जा रही थी. वह कर्मा को भी साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि उनकी अनुपस्थिति में भगवान को भोग कौन लगाएगा. जीवन राम अपनी बेटी कर्मा को भोग की जिम्मेदारी सौंपकर अपनी पत्नी के साथ पुष्कर चले गए.

सैलानियों ने ऊंटों की भी सवारी की.
सैलानियों ने ऊंटों की भी सवारी की.

अगले दिन कर्मा ने सुबह बाजरे का खिचड़ा बनाया, उसमें खूब घी डाला और पूजा के लिए भगवान की मूर्ति के पास आ गई. हाथ जोड़कर भोग लगाने की प्रार्थना की, लेकिन प्रभु नहीं आए. कर्मा बार-बार भगवान शिव को बुलाती रही. भक्त और भगवान का यह खेल काफी देर चलता रहा. आखिरकार अंत में भगवान को आना पड़ा और खिचड़े का भोग लगाया. कुछ दिन बाद कर्मा के माता-पिता घर आए और जब यह सब पता चला तो आश्चर्यचकित हो गए. जिस ईश्वर के लिए वे तीर्थ यात्रा करने गए थे, जिसे लोग न जाने कहां-कहां ढूंढ रहे हैं, उन्हें उनकी बेटी ने अपने हाथ से खीचड़े का भोग लगाया. उसी दिन से कर्माबाई जगत में विख्यात हो गईं.

भजन भी गाए गए
मंच संचालन कर रहे यश टिबरेवाल ने नाटक के बीच-बीच में भजन 'थाणी भर के ल्याई रे खीचड़ो, ऊपर घी की बाटकी' सुनाया तो दरबार बाबा के जयकारों से गूंज उठा. अगले क्रम में जब उन्होंने 'संचो प्रेम प्रभु में हो तो मुरती बोलै काठ की' सुनाया तो श्रीश्याम परिवार के लोग झूमने लगे. बाद में श्याम बाबा को आठ बड़ी संस्थाओं द्वारा सवामन का भोग लगाया गया.

खाटू मेला बना आकर्षण का केंद्र
फागुन उत्सव संयोजक प्रशांत डालमिया ने बताया कि खाटू श्याम मन्दिर में चल रहा खाटू मेला लोगों को खूब भा रहा है. जहां एक ओर बच्चे व बड़े झूले का आनंद ले रहे हैं. वहीं मेले में लोग ऊंट की सैर कर रहे हैं. मेले में श्याम बाबा के साथ सेल्फी लेने के लिए सेल्फी प्वॉइंट बनाए गए हैं. इसके अलावा 40-45 स्टॉल पर लोग खरीदारी कर रहे हैं. इन स्टॉलों में जयपुर के पापड़, बेलपूड़ी, बुटीक, राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजनों के अलावा विभिन्न प्रकार की घरेलू सामग्री के स्टॉल लगे हैं. मेला आज शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक चलेगा.

लखनऊ: शहर के श्रीश्याम परिवार लखनऊ की ओर से बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्रीश्याम मंदिर में गुरुवार को फागुन महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव में नृत्य नाटिका का मंचन हुआ. मंचन में 'कर्माबाई को खीचड़ो' कथा प्रस्तुत किया गया. जिसमें दर्शाया गया कि भगवान के प्रति हमारा सच्चा प्रेम है तो उन्हें खोजने की जरुरत नहीं, वह हर पल हमारे साथ हैं.

कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किया.
कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किया.

सम्मानित किया गया
देबाजीत डांस ग्रुप ने मंचित 'कर्माबाई को खीचड़ो' व 'डाकिया डाक लाया' नृत्य नाटिका का मंचन किया गया. नाटक मंचन से पूर्व श्रीश्याम परिवार लखनऊ व फागुनोत्सव संयोजक प्रशांत डालमिया आदि लोगों ने कलाकारों को सम्मानित किया. इसके बाद नाटक की शुरुआत हुई. कर्माबाई में भगवान के प्रति अगाध प्रेम को जिस प्रकार सुन्दरता और मिठास के साथ दिखाया कि लोगों के आंखों में आंसू छलक आए.

भक्त कर्माबाई की कथा
नाटक में दर्शाया गया कि राजस्थान के नागौर जिले के एक गांव में जीवन राम डूडी के घर साल 1615 में एक बेटी का जन्म हुआ. जिसके चेहरे पर एक अनोखी आभा थी. बचपन से ही उसमें भक्ति भाव के संस्कार थे. जब कर्मा 13 वर्ष की थी तो एक बार जीवन राम को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए पुष्कर जाना था. उनकी पत्नी भी उनके साथ जा रही थी. वह कर्मा को भी साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि उनकी अनुपस्थिति में भगवान को भोग कौन लगाएगा. जीवन राम अपनी बेटी कर्मा को भोग की जिम्मेदारी सौंपकर अपनी पत्नी के साथ पुष्कर चले गए.

सैलानियों ने ऊंटों की भी सवारी की.
सैलानियों ने ऊंटों की भी सवारी की.

अगले दिन कर्मा ने सुबह बाजरे का खिचड़ा बनाया, उसमें खूब घी डाला और पूजा के लिए भगवान की मूर्ति के पास आ गई. हाथ जोड़कर भोग लगाने की प्रार्थना की, लेकिन प्रभु नहीं आए. कर्मा बार-बार भगवान शिव को बुलाती रही. भक्त और भगवान का यह खेल काफी देर चलता रहा. आखिरकार अंत में भगवान को आना पड़ा और खिचड़े का भोग लगाया. कुछ दिन बाद कर्मा के माता-पिता घर आए और जब यह सब पता चला तो आश्चर्यचकित हो गए. जिस ईश्वर के लिए वे तीर्थ यात्रा करने गए थे, जिसे लोग न जाने कहां-कहां ढूंढ रहे हैं, उन्हें उनकी बेटी ने अपने हाथ से खीचड़े का भोग लगाया. उसी दिन से कर्माबाई जगत में विख्यात हो गईं.

भजन भी गाए गए
मंच संचालन कर रहे यश टिबरेवाल ने नाटक के बीच-बीच में भजन 'थाणी भर के ल्याई रे खीचड़ो, ऊपर घी की बाटकी' सुनाया तो दरबार बाबा के जयकारों से गूंज उठा. अगले क्रम में जब उन्होंने 'संचो प्रेम प्रभु में हो तो मुरती बोलै काठ की' सुनाया तो श्रीश्याम परिवार के लोग झूमने लगे. बाद में श्याम बाबा को आठ बड़ी संस्थाओं द्वारा सवामन का भोग लगाया गया.

खाटू मेला बना आकर्षण का केंद्र
फागुन उत्सव संयोजक प्रशांत डालमिया ने बताया कि खाटू श्याम मन्दिर में चल रहा खाटू मेला लोगों को खूब भा रहा है. जहां एक ओर बच्चे व बड़े झूले का आनंद ले रहे हैं. वहीं मेले में लोग ऊंट की सैर कर रहे हैं. मेले में श्याम बाबा के साथ सेल्फी लेने के लिए सेल्फी प्वॉइंट बनाए गए हैं. इसके अलावा 40-45 स्टॉल पर लोग खरीदारी कर रहे हैं. इन स्टॉलों में जयपुर के पापड़, बेलपूड़ी, बुटीक, राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजनों के अलावा विभिन्न प्रकार की घरेलू सामग्री के स्टॉल लगे हैं. मेला आज शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक चलेगा.

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