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एक अप्रैल से महंगा हो जाएगा इलाज, जानिए कितनी महंगी हुईं दवाएं?

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Published : Mar 31, 2022, 6:45 PM IST

डीजल-पेट्रोल के बाद अब दवाओं पर भी महंगाई का बम फूट रहा है. 1 अप्रैल से 800 आवश्यक दवाओं की कीमत में बढोत्तरी की गई है. जानिए कितनी महंगी हो रही हैं दवाएं...

रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी
रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी

लखनऊ: पांच राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद डीजल-पेट्रोल के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. रसोई गैस भी महंगी हो गई है. वहीं अब एक अप्रैल से दवाओं पर महंगाई का बम फूट रहा है. ऐसे में कई बीमारियों का इलाज करना अब महंगा होगा. रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी के सदस्य विकास रस्तोगी के मुताबिक औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एमपीपीए) ने 800 आवश्यक दवाओं के दाम बढ़ाये हैं. यह बढ़ोतरी 10.76 फीसदी तक की गई है. जिसे एक अप्रैल से लागू किया जाएगा.

रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी.
800 आवश्यक दवाओं के दामों में इजाफा
रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी के विकास रस्तोगी ने बताया कि सूचीबद्ध आवश्यक दवाओं की मूल्यवृद्धि हर वर्ष की जाती रही है. लेकिन इस बार होने वाली मूल्य वृद्धि अब तक की सबसे अधिक है. पहले मूल्य वृद्धि प्रति वर्ष एक से दो फीसदी की जाती थी. वर्ष 2019 में एनपीपीए ने दवाओं की कीमतों में दो फीसदी, वर्ष 2020 में दवाओं के दाम में 0.5 फीसदी की वृद्धि करने की अनुमति दी गई थी. जबकि इस साल 10.76 फीसद कीमत की वृद्धि दवाओं पर की गई हैं. उन्होंने बताया कि कंपनियों ने इसका तर्क रॉ मैटेरियल की कीमतें बढ़ना बताया है. आम आदमी को कौन दवा कितने दाम बढ़कर मिलेगी, यह बाजार में नई आपूर्ति होने पर पता चलेगा.

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इन बीमारियों का इलाज होगा महंगा
जिन दवाओं की कीमत बढ़ाई गई है. उनमें बुखार की आम दवा पैरासिटामोल भी शामिल है. इसके अलावा एजिथ्रोमाइसिन भी है. इसकी कोरोना काल में बहुत डिमांड रही. वहीं सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल, फेनोबार्बिटोने जैसी दवाएं भी महंगी हो रही हैं. इसके अलावा मल्टीविटामिन, खून बढ़ाने वाली एनिमिया में दी जाने वाली दवाएं, मिनरल के भी दाम बढ़े हैं. इसी तरह संक्रमण, त्वचा व हृदय रोग, एनीमिया, किडनी रोगों, डायबिटीज व बीपी की दवाओं पर महंगाई का असर होगा. एंटी एलर्जिक, खून पतला करने, कुष्ठ रोग, टीबी, माइग्रेन, पार्किंसन, डिमेंशिया, साइकोथेरेपीप, हार्मोन, लिवर, पेट रोग की दवाओं के दाम में भी बढोत्तरी हुई है.

प्रदेश में रोजाना 150 करोड़ का दवा व्यापार
विकास रस्तोगी के मुताबिक राज्य में करीब सवा लाख थोक व फुटकर दवा दुकानें हैं. इन पर हर रोज डेढ़ सौ करोड़ का दवा व्यवसाय होता है. राजधानी लखनऊ में 4800 फुटकर व 3491 थोक दवा दुकाने हैं.

लखनऊ: पांच राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद डीजल-पेट्रोल के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. रसोई गैस भी महंगी हो गई है. वहीं अब एक अप्रैल से दवाओं पर महंगाई का बम फूट रहा है. ऐसे में कई बीमारियों का इलाज करना अब महंगा होगा. रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी के सदस्य विकास रस्तोगी के मुताबिक औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एमपीपीए) ने 800 आवश्यक दवाओं के दाम बढ़ाये हैं. यह बढ़ोतरी 10.76 फीसदी तक की गई है. जिसे एक अप्रैल से लागू किया जाएगा.

रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी.
800 आवश्यक दवाओं के दामों में इजाफा
रिटेल केमिस्ट एसोशिएशन यूपी के विकास रस्तोगी ने बताया कि सूचीबद्ध आवश्यक दवाओं की मूल्यवृद्धि हर वर्ष की जाती रही है. लेकिन इस बार होने वाली मूल्य वृद्धि अब तक की सबसे अधिक है. पहले मूल्य वृद्धि प्रति वर्ष एक से दो फीसदी की जाती थी. वर्ष 2019 में एनपीपीए ने दवाओं की कीमतों में दो फीसदी, वर्ष 2020 में दवाओं के दाम में 0.5 फीसदी की वृद्धि करने की अनुमति दी गई थी. जबकि इस साल 10.76 फीसद कीमत की वृद्धि दवाओं पर की गई हैं. उन्होंने बताया कि कंपनियों ने इसका तर्क रॉ मैटेरियल की कीमतें बढ़ना बताया है. आम आदमी को कौन दवा कितने दाम बढ़कर मिलेगी, यह बाजार में नई आपूर्ति होने पर पता चलेगा.

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इन बीमारियों का इलाज होगा महंगा
जिन दवाओं की कीमत बढ़ाई गई है. उनमें बुखार की आम दवा पैरासिटामोल भी शामिल है. इसके अलावा एजिथ्रोमाइसिन भी है. इसकी कोरोना काल में बहुत डिमांड रही. वहीं सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल, फेनोबार्बिटोने जैसी दवाएं भी महंगी हो रही हैं. इसके अलावा मल्टीविटामिन, खून बढ़ाने वाली एनिमिया में दी जाने वाली दवाएं, मिनरल के भी दाम बढ़े हैं. इसी तरह संक्रमण, त्वचा व हृदय रोग, एनीमिया, किडनी रोगों, डायबिटीज व बीपी की दवाओं पर महंगाई का असर होगा. एंटी एलर्जिक, खून पतला करने, कुष्ठ रोग, टीबी, माइग्रेन, पार्किंसन, डिमेंशिया, साइकोथेरेपीप, हार्मोन, लिवर, पेट रोग की दवाओं के दाम में भी बढोत्तरी हुई है.

प्रदेश में रोजाना 150 करोड़ का दवा व्यापार
विकास रस्तोगी के मुताबिक राज्य में करीब सवा लाख थोक व फुटकर दवा दुकानें हैं. इन पर हर रोज डेढ़ सौ करोड़ का दवा व्यवसाय होता है. राजधानी लखनऊ में 4800 फुटकर व 3491 थोक दवा दुकाने हैं.

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