लखनऊ : डिजिटल युग में भी अभी तक चेकिंग अभियान के दौरान परिवहन विभाग के अधिकारी हों या पुलिस और यातायात विभाग के अफसर, डिजिलॉकर पर उपलब्ध प्रपत्रों को वैद्य नहीं मानते और कार्रवाई कर देते हैं. जबकि सरकार की तरफ से ऐसे दस्तावेजों को भी डिजिलॉकर पर दिखाने के बाद वैध मानने के निर्देश हैं. चेकिंग अधिकारियों की इस तरह की शिकायत मिलने पर अब उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कड़े निर्देश जारी किए हैं.
परिवहन राज्यमंत्री के अनुसार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि डिजिलॉकर और परिवहन ऐप पर उपलब्ध वाहनों के अभिलेखों को क्षेत्रीय पुलिस विभाग और परिवहन अधिकारी वैध नहीं मान रहे हैं. जबकि भारत सरकार की तरफ से पंजीयन प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य प्रमाणपत्रों को डिजिलॉकर में रखने या फिर एम परिवहन ऐप पर भी ऐसे अभिलेखों को इलेक्ट्रानिक रूप में रखने की सुविधा दी गई है. इसी तरह इन्श्योरेंस इन्फारमेशन बोर्ड ने भी नए और पुराने वाहनों के बीमा विवरण वाहन डाटाबेस पर अपलोड करने की सुविधा प्रदान की है. फिर भी अधिकारी इन्हे वैध नहीं मान रहे. यह गम्भीर प्रकरण है. परिवहन मंत्री ने कहा कि भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत समाज को डिजिटली सम्पन्न और सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है. इसलिए क्षेत्रीय पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म या एम परिवहन ऐप पर इलेक्ट्रानिक फॉर्म में उपलब्ध डाक्यूमेंट्स को भी वैध मानेंगे. उन्हें परिवहन अधिकारियों की तरफ से जारी प्रमाण पत्रों के समान समझा जाएगा.
बता दें, डिजिटल व्यवस्था के तहत भारत सरकार ने डिजिलॉकर में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रपत्र को वैध मानने की इजाजत दे रखी है. ऐसे में चेकिंग अभियान के दौरान अगर किसी के पास भौतिक रूप से कागज उपलब्ध नहीं हैं और डिजिलॉकर पर सभी प्रपत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से मौजूद हैं तो उनको हरहाल में वैध माना ही जाएगा. अप परिवहन मंत्री के निर्देशों के बाद चेकिंग अधिकारियों को डिजीलॉकर में कागज दिखाने के बाद चालान की कार्रवाई नहीं की जा सकेगी.
यह भी पढ़ें : बस्ती में दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद किशोर ने की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस
डिजिलॉकर और परिवहन ऐप पर उपलब्ध कागजों को नहीं मानते अधिकारी, परिवहन मंत्री ने दिए ये निर्देश
डिजिलॉकर पर उपलब्ध प्रपत्रों को वैद्य नहीं मानने और कार्रवाई करने की तमाम शिकायतों के बाद परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कड़े निर्देश जारी किए हैं.
लखनऊ : डिजिटल युग में भी अभी तक चेकिंग अभियान के दौरान परिवहन विभाग के अधिकारी हों या पुलिस और यातायात विभाग के अफसर, डिजिलॉकर पर उपलब्ध प्रपत्रों को वैद्य नहीं मानते और कार्रवाई कर देते हैं. जबकि सरकार की तरफ से ऐसे दस्तावेजों को भी डिजिलॉकर पर दिखाने के बाद वैध मानने के निर्देश हैं. चेकिंग अधिकारियों की इस तरह की शिकायत मिलने पर अब उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कड़े निर्देश जारी किए हैं.
परिवहन राज्यमंत्री के अनुसार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि डिजिलॉकर और परिवहन ऐप पर उपलब्ध वाहनों के अभिलेखों को क्षेत्रीय पुलिस विभाग और परिवहन अधिकारी वैध नहीं मान रहे हैं. जबकि भारत सरकार की तरफ से पंजीयन प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य प्रमाणपत्रों को डिजिलॉकर में रखने या फिर एम परिवहन ऐप पर भी ऐसे अभिलेखों को इलेक्ट्रानिक रूप में रखने की सुविधा दी गई है. इसी तरह इन्श्योरेंस इन्फारमेशन बोर्ड ने भी नए और पुराने वाहनों के बीमा विवरण वाहन डाटाबेस पर अपलोड करने की सुविधा प्रदान की है. फिर भी अधिकारी इन्हे वैध नहीं मान रहे. यह गम्भीर प्रकरण है. परिवहन मंत्री ने कहा कि भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत समाज को डिजिटली सम्पन्न और सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है. इसलिए क्षेत्रीय पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म या एम परिवहन ऐप पर इलेक्ट्रानिक फॉर्म में उपलब्ध डाक्यूमेंट्स को भी वैध मानेंगे. उन्हें परिवहन अधिकारियों की तरफ से जारी प्रमाण पत्रों के समान समझा जाएगा.
बता दें, डिजिटल व्यवस्था के तहत भारत सरकार ने डिजिलॉकर में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रपत्र को वैध मानने की इजाजत दे रखी है. ऐसे में चेकिंग अभियान के दौरान अगर किसी के पास भौतिक रूप से कागज उपलब्ध नहीं हैं और डिजिलॉकर पर सभी प्रपत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से मौजूद हैं तो उनको हरहाल में वैध माना ही जाएगा. अप परिवहन मंत्री के निर्देशों के बाद चेकिंग अधिकारियों को डिजीलॉकर में कागज दिखाने के बाद चालान की कार्रवाई नहीं की जा सकेगी.
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