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लखनऊ: दोबारा शुरू होगा ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर, जानें क्या होगा इसका असर

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के कारनामों की फेहरिस्त काफी लंबी है. 5 साल पहले जिस ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर को अपनी जेब की इनकम कम हो जाने के चलते अफसरों ने बंद करा दिया था, उसी सॉफ्टवेयर को एक बार फिर से जिंदा करने की तैयारी है.

ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर
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Published : Jul 12, 2019, 10:39 AM IST

लखनऊ: यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए सड़क हादसे के बाद परिवहन मंत्री के निर्देश पर अब दोबारा से ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर के जरिए बसों पर क्रू की तैनाती किए जाने की तैयारी है. बताया जा रहा है कि इससे ड्राइवर और कंडक्टर की ड्यूटी लगाने में होने वाले धन की धांधली पर रोक लग सकेगी. 'ईटीवी भारत' आपके सामने ये खुलासा कर रहा है कि किस तरह से अधिकारियों की मिलीभगत से एक फर्म का भुगतान रोककर ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर को पहले बंद करा दिया गया था.

जानकारी देते परिवहन निगम एमडी.
  • साल 2014 के आस-पास परिवहन निगम के कुछ डिपो में ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर के जरिए ही बस पर क्रू की तैनाती की जाती थी.
  • मैगनस नाम की कंपनी को यह सॉफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
  • इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने कई डिपो में सॉफ्टवेयर अपलोड कर इसी के जरिए ड्यूटी लगानी शुरू कर दी थी.
  • इससे कंडक्टर, ड्राइवर की मैनुअल ड्यूटी में जो घूस का खेल चलता था उस पर रोक लगने लगी जो अधिकारियों को हजम नहीं हुआ.
  • लिहाजा जब उनकी जेब की इनकम कम हुई तो कंपनी का भुगतान रोकना शुरू कर दिया गया.
  • धीरे-धीरे अधिकारी इसमें सफल हो गए और कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर खुद ही बांध लिया.

गौर करने वाली बात यह है कि मैगनस नाम की इस फर्म का ढाई से तीन लाख रुपये का भुगतान अब भी परिवहन निगम पर बकाया है. एक और बात यह भी है कि कंपनी को इसलिए भी अधिकारियों ने हटा दिया था, क्योंकि एक बड़ी कंपनी ट्राईमैक्स को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. आईटीएमएस से ड्यूटी लगाने की बात कही गई थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ भी नहीं और ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर पूरी तरह से किनारे कर दिया गया.

इसके बाद फिर से ड्यूटी लगाने में लेन-देन का खेल चलने लगा जो अब तक जारी था. अब जब यमुना एक्सप्रेस वे जनरथ दुर्घटनाग्रस्त हुई और 29 लोग के साथ ड्राइवर भी मौत के मुंह में समा गया तो अब परिवहन निगम के अधिकारियों समेत विभागीय मंत्री जागे हैं. एक बार फिर ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर बनाने के पीछे भागे हैं. रोडवेज के जानकार बताते हैं कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए अगर ड्यूटी लगाई जाएगी तो निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार में काफी कमी आएगी.

अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक सॉफ्टवेयर बनकर तैयार होता है और कब इसी सॉफ्टवेयर से ईमानदारी से बसों पर ड्राइवर और कंडक्टर की तैनाती होती है. क्या यह सॉफ्टवेयर फिर से उन अधिकारियों को रास आएगा, जिन्होंने अपनी इनकम कम होने के चलते इस सॉफ्टवेयर को किनारे करवा दिया था. इस सॉफ्टवेयर से ड्राइवर कंडक्टर की ड्यूटी जिस बस पर अगले दिन होगी, उससे एक दिन पहले ही मोबाइल पर मैसेज पहुंच जाएगा. इससे मैनुअल ड्यूटी में होने वाला खेल खत्म हो जाएगा.

लखनऊ: यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए सड़क हादसे के बाद परिवहन मंत्री के निर्देश पर अब दोबारा से ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर के जरिए बसों पर क्रू की तैनाती किए जाने की तैयारी है. बताया जा रहा है कि इससे ड्राइवर और कंडक्टर की ड्यूटी लगाने में होने वाले धन की धांधली पर रोक लग सकेगी. 'ईटीवी भारत' आपके सामने ये खुलासा कर रहा है कि किस तरह से अधिकारियों की मिलीभगत से एक फर्म का भुगतान रोककर ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर को पहले बंद करा दिया गया था.

जानकारी देते परिवहन निगम एमडी.
  • साल 2014 के आस-पास परिवहन निगम के कुछ डिपो में ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर के जरिए ही बस पर क्रू की तैनाती की जाती थी.
  • मैगनस नाम की कंपनी को यह सॉफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
  • इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने कई डिपो में सॉफ्टवेयर अपलोड कर इसी के जरिए ड्यूटी लगानी शुरू कर दी थी.
  • इससे कंडक्टर, ड्राइवर की मैनुअल ड्यूटी में जो घूस का खेल चलता था उस पर रोक लगने लगी जो अधिकारियों को हजम नहीं हुआ.
  • लिहाजा जब उनकी जेब की इनकम कम हुई तो कंपनी का भुगतान रोकना शुरू कर दिया गया.
  • धीरे-धीरे अधिकारी इसमें सफल हो गए और कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर खुद ही बांध लिया.

गौर करने वाली बात यह है कि मैगनस नाम की इस फर्म का ढाई से तीन लाख रुपये का भुगतान अब भी परिवहन निगम पर बकाया है. एक और बात यह भी है कि कंपनी को इसलिए भी अधिकारियों ने हटा दिया था, क्योंकि एक बड़ी कंपनी ट्राईमैक्स को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. आईटीएमएस से ड्यूटी लगाने की बात कही गई थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ भी नहीं और ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर पूरी तरह से किनारे कर दिया गया.

इसके बाद फिर से ड्यूटी लगाने में लेन-देन का खेल चलने लगा जो अब तक जारी था. अब जब यमुना एक्सप्रेस वे जनरथ दुर्घटनाग्रस्त हुई और 29 लोग के साथ ड्राइवर भी मौत के मुंह में समा गया तो अब परिवहन निगम के अधिकारियों समेत विभागीय मंत्री जागे हैं. एक बार फिर ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर बनाने के पीछे भागे हैं. रोडवेज के जानकार बताते हैं कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए अगर ड्यूटी लगाई जाएगी तो निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार में काफी कमी आएगी.

अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक सॉफ्टवेयर बनकर तैयार होता है और कब इसी सॉफ्टवेयर से ईमानदारी से बसों पर ड्राइवर और कंडक्टर की तैनाती होती है. क्या यह सॉफ्टवेयर फिर से उन अधिकारियों को रास आएगा, जिन्होंने अपनी इनकम कम होने के चलते इस सॉफ्टवेयर को किनारे करवा दिया था. इस सॉफ्टवेयर से ड्राइवर कंडक्टर की ड्यूटी जिस बस पर अगले दिन होगी, उससे एक दिन पहले ही मोबाइल पर मैसेज पहुंच जाएगा. इससे मैनुअल ड्यूटी में होने वाला खेल खत्म हो जाएगा.

Intro:इनकम हुई थी कम तो अफसरों ने बंद करा दिया था सॉफ्टवेयर, अब फिर ड्यूटी लगाने में धन की धांधली रोकने को बनेगा ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के कारनामों की फेहरिस्त काफी लंबी है। 5 साल पहले जिस ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर को अपनी जेब की इनकम कम हो जाने के चलते अफसरों ने बंद करा दिया था उसी सॉफ्टवेयर को एक बार फिर से जिंदा करने की तैयारी है। दरअसल, यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए सड़क हादसे के बाद परिवहन मंत्री के निर्देश पर अब फिर से ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्ट के जरिए बसों पर क्रू की तैनाती किए जाने की योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि इससे ड्राइवर कंडक्टर की ड्यूटी लगाने में होने वाले धन की धांधली पर रोक लग सकेगी। 'ईटीवी भारत' आपके सामने ये खुलासा कर रहा है कि किस तरह से अधिकारियों की मिलीभगत से एक फर्म का भुगतान रोक कर ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर को पहले बंद करा दिया गया था।


Body:वर्ष 2014 के आसपास परिवहन निगम के कुछ डिपो में ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर के जरिए ही बस पर क्रू की तैनाती की जाती थी। मैगनस नाम की कंपनी को यह सॉफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी जिसके बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने कई डिपो में सॉफ्टवेयर अपलोड कर इसी के जरिए ड्यूटी लगानी शुरू कर दी थी। इससे कंडक्टर ड्राइवर की मैन्युअल ड्यूटी में जो घूस का खेल चलता था उस पर रोक लगने लगी। यह अधिकारियों को हजम नहीं हुआ। लिहाजा, जब उनकी जेब की इनकम कम हुई तो कंपनी का भुगतान रोकना शुरू कर दिया गया और धीरे-धीरे अधिकारी इसमें सफल हो गए और कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर खुद ही बांध लिया। गौर करने वाली बात यह है कि मैगनस नाम की इस फर्म का ढाई से तीन लाख रुपए का भुगतान अब भी परिवहन निगम पर बकाया है। एक और बात यह भी है कि कंपनी को इसलिए भी अधिकारियों ने हटा दिया था क्योंकि एक बड़ी कंपनी ट्राईमैक्स को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। आईटीएमएस से ड्यूटी लगाने की बात कही गई थी,लेकिन ऐसा कुछ हुआ भी नहीं और ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर पूरी तरह से किनारे कर दिया गया।फिर से ड्यूटी लगाने में लेन-देन का खेल चलने लगा जो अब तक जारी था। अब जब यमुना एक्सप्रेस वे जनरथ दुर्घटनाग्रस्त हुई और 29 लोग के साथ ड्राइवर भी मौत के मुंह में समा गया तो अब परिवहन निगम के अधिकारियों समेत विभागीय मंत्री जागे हैं और एक बार फिर ड्यूटी अलॉटमेंट सॉफ्टवेयर बनाने के पीछे भागे हैं। रोडवेज के जानकार बताते हैं कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए अगर ड्यूटी लगाई जाएगी तो निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार में काफी कमी आएगी।


Conclusion:अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक सॉफ्टवेयर बनकर तैयार होता है और कब इसी सॉफ्टवेयर से ईमानदारी से बसों पर ड्राइवर कंडक्टर की तैनाती होती है और क्या यह सॉफ्टवेयर फिर से उन अधिकारियों को रास आएगा जिन्होंने अपनी इनकम कम होने के चलते इसी सॉफ्टवेयर को किनारे करवा दिया था। इस सॉफ्टवेयर से ड्राइवर कंडक्टर की ड्यूटी जिस बस पर अगले दिन होगी उससे एक दिन पहले ही मोबाइल पर मैसेज पहुंच जाएगा। इससे मैनुअल ड्यूटी में होने वाला खेल खत्म हो जाएगा।
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