लखनऊ: अक्सर सुनने में आता है कि फलां ट्रेन किसी जगह पटरी से उतर गई, कोई मालगाड़ी बेपटरी हो गई है. ट्रेनों के बेपटरी होने की वजह लोको पायलट की तो गलती हो ही सकती है, साथ ही ट्रैक की समय पर मरम्मत न कराया जाना भी अहम वजह हो सकता है. इसीलिए अब ट्रेन बेपटरी न हो इसे लेकर रेलवे गंभीर हो गया है. लिहाजा, ट्रैक को दुरुस्त करने की कवायद तेज कर दी गई है. होली में निर्बाध रूप से ट्रेन पटरी पर दौड़ सके, कोई अप्रिय घटना न हो इसे लेकर ट्रैक मैन को ट्रैक दुरुस्त करने के लिए लगाया गया है. जोर-शोर से ट्रैक पर रबरपैड पर काम चल रहा है. 'ईटीवी भारत' ने ट्रैकमैन से बात कर ये जानने का प्रयास किया कि आखिर ट्रेनों के बेपटरी होने में ट्रैक की क्या भूमिका होती है और ट्रैकमैन ट्रक को दुरुस्त करने के दौरान किस तरह के काम करते हैं. इसे लेकर ट्रैकमैन ने कहा कि ट्रेन ट्रैकमैन के ही भरोसे चलती है.
ट्रैक के रबरपैड निभाते हैं अहम भूमिका
ट्रैक मैन संदीप कुमार का कहना है कि पटरी के नीचे रबर पैड इसीलिए चेंज करते हैं क्योंकि रबरपैड सही न होने पर स्लीपर टूटने का खतरा रहता है. ट्रैक पर अगर रबरपैड सही नहीं होगा तो ट्रैक पर प्रेशर पड़ेगा और ट्रैक के टूटने का खतरा रहता है. यही वजह है कि ट्रैक के नीचे कंक्रीट होता है. एक या दो रबरपैड टूट जाते हैं तब तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन ज्यादा रबरपैड टूटेंगे तो ट्रेन के बेपटरी होने का खतरा बढ़ जाता है. रबरपैड की लाइफ पांच साल की होती है. बुजुर्ग ट्रैक मैन रामप्रसाद का कहना है कि ट्रैक पर कई तरह के काम होते हैं. ठंड में पटरी टूटती है इसकी वजह से ट्रैक खराब हो जाता है. जब रबरपैड जोड़ दिया जाता है उसके बाद ही गाड़ी चल सकती है. उनका कहना है कि ट्रैक मैन की बड़ी जिम्मेदारी होती है. ट्रैक मैन के ऊपर ही रेल चलती है. ट्रैक पर पिनड्रॉल लगती है, क्लिप लगती है, ग्रीस लगती है तब ट्रैक मजबूत होता है.