लखनऊ:
प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में तीन दिवसीय अवध महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विभिन्न कलाकारों ने गायन, वादन और नृत्य की छटा बिखेरी. कला, संस्कृति की विरासत को सहेजने के इस प्रयास को बड़ी संख्या में कला प्रेमी दर्शकों का प्रोत्साहन मिला.
अवध की कला-संस्कृति के विविध रूप
संध्या के कार्यक्रमों का उद्घाटन प्रदेश के ग्रामीण अभियंत्रण मंत्री बृजेश पाठक ने किया. उन्होंने अवध की संस्कृति के संरक्षण के प्रयासों की सराहना की. अकादमी के सचिव तरुण राज ने कहा कि , उत्सव में अवध की कला-संस्कृति के विविध रूपों की प्रस्तुति का प्रयास किया गया है.
बाजत अवध बधइया
लोक गायिका मालिनी अवस्थी और यतीन्द्र मिश्र की बातचीत पर आधारित रोशन चौकी अवध की थीम संगीतमय प्रस्तुति थी. यह प्रस्तुति अवध के शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, लोक संगीत की बानगी थी. रोशन चौकी की परंपरा नवाबों के दौर में थी, जिसमें संगीतकारों का दल होता था. मालिनी अवस्थी द्वारा राम जन्म के सोहर ' बाजत अवध बधइया..'से अवध के संगीत की यात्रा शुरू की गई. इसके बाद उन्होंने अवध के विभिन्न संस्कार गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी.
रंग डारूंगी नंद के लालन पे
कथक केन्द्र के कलाकारों द्वारा डॉ. सुरभि शुक्ला के निर्देशन में प्रस्तुत वसंत बहार में विभिन्न रंग देखने को मिले. वसंत में नई पत्तियों के आगमन से लेकर होली तक के विविध वर्णन इस समूह ने नृत्य में प्रस्तुत किए. होली का खूबसूरत वर्णन 'जब फागुन रंग झमकते हैं ' 'रंग डारूंगी नंद के लालन पे...' में दिखा. गायन में कमलाकांत एवं ज्योतिशा सिंह तथा तबला एवं पढ़ंत में राजीव शुक्ल ने संगत की.
इस मौके पर गजल गायक युगांतर सिंदूर ने गजल गायन पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि, इसके लिए शास्त्रीय संगीत की जानकारी जरूरी है. उनसे अकादमी सचिव तरुण राज ने बातचीत की.