लखनऊ: रक्तचाप या हाइपरटेंशन के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के रूप में मनाया जाता है, लेकिन चिकित्सा जगत में इस साल यह दिल 17 मई की जगह 17 अक्टूबर को मनाने का फैसला किया गया है. इस फैसले के पीछे विशेषज्ञ कोविड-19 की महामारी बता रहे हैं. हाइपरटेंशन हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है. इस पर ईटीवी भारत ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के फिजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नरसिंह वर्मा से बात की.
हाइपरटेंशन दो प्रकार का होता है. प्राइमरी हाइपरटेंशन, जिसके कई कारण होते हैं. एक निश्चित उम्र तक आने पर लोगों को अक्सर हाइपरटेंशन की शिकायत होने लगती है. भारत में कहा जाए तो 25 से 30 साल तक की आयु के बाद हमारे देश में यह समस्या देखी जाती है. वहीं विदेशों में 35 से 40 वर्ष की उम्र के बाद इसके मरीज सामने आते हैं. सेकेंडरी हाइपरटेंशन तब होता है. जब शरीर का कोई अंग खराब होने लगता है. जैसे कि गुर्दा ह्रदय या शरीर की कोई ग्लैंड खराब हो जाती है तो यह उन से होता है.
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डॉ. वर्मा कहते हैं कि रक्तचाप या उच्च रक्तचाप का इलाज कराने की आवश्यकता इसलिए होती है, क्योंकि यदि उसका समय पर इलाज न किया जाए तो हमारे शरीर के टारगेट ऑर्गन खराब होने लगते हैं. यानी हमारी शरीर में जहां खून की नलियां हैं, वह खराब होने लगती हैं. गुर्दा खराब हो सकता है, ब्रेन खराब हो सकता है, स्ट्रोक हो सकता है, हृदय की गतिविधि बिगड़ सकती है. हार्ट फेलियर या पक्षाघात हो सकता है. इस प्रकार की तमाम समस्याएं अचानक हो सकती हैं और इसके लिए रक्तचाप का निश्चित होना बेहद जरूरी है.
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के बारे में डॉक्टर वर्मा कहते हैं कि इसे मनाने का विचार वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग संस्था को आया था. यह संस्था दुनिया भर के 35 हाइपरटेंशन की सोसायटी द्वारा मिलाकर बनाई गई है. इस 35 संस्थाओं में इंडियन सोसायटी ऑफ हाइपरटेंशन, पाकिस्तान हाइपरटेंशन लीग, कनाडियन हाइपरटेंशन लीग समेत कई अन्य संस्थाएं शामिल हैं. वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग और इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ हाइपरटेंशन ने यह तय किया है कि इस वर्ष वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे को 17 अक्टूबर को कोमोब्रेट किया जाएगा. हाइपरटेंशन डे के लिए मनाना शब्द गलत है क्योंकि इस दिन हम हाइपरटेंशन के बारे में कई कार्यक्रम कर लोगों को हाइपरटेंशन का ख्याल रखने के बारे में याद दिलाते हैं.
डॉ. वर्मा बताते हैं कि पिछले वर्ष तक मई के पूरे महीने में पूरी दुनिया में सभी लोगों का ब्लड प्रेशर नापने का लक्ष्य रखा जाता था. पिछले साल तक हमारे देश में भारत से ढाई लाख लोगों के ब्लड प्रेशर नापकर हमारी संस्था इंडियन सोसायटी ऑफ हाइपरटेंशन ने लक्ष्य पूरा किया था. तब ही पूरी दुनिया से लगभग डेढ़ करोड़ लोगों का डाटा इकट्ठा हुआ था.