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स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेक्निकल बिड पर उठे सवाल, विद्युत नियामक आयोग में दाखिल हुई याचिका

लखनऊ. विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) की अनुमति के बिना स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन (Standard Bidding Guidelines) के आधार पर सभी बिजली कंपनियों में टेक्निकल बिड का टेंडर खोल दिया गया है. 25 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत के 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के पार्ट-वन टेक्निकल बिड का टेंडर खुलने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग में याचिका दाखिल की है. अवधेश कुमार वर्मा ने मामले में विद्युत नियामक आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

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Published : Oct 21, 2022, 10:06 AM IST

लखनऊ. विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) की अनुमति के बिना स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन (Standard Bidding Guidelines) के आधार पर सभी बिजली कंपनियों में टेक्निकल बिड का टेंडर खोल दिया गया है. 25 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत के 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के पार्ट-वन टेक्निकल बिड का टेंडर खुलने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग में याचिका दाखिल की है. अवधेश कुमार वर्मा ने मामले में विद्युत नियामक आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.



उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (Uttar Pradesh State Electricity Consumer Council) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य बीके श्रीवास्तव से मुलाकात कर उपभोक्ता हितों का पक्ष रखा. अवधेश वर्मा ने मुद्दा उठाया कि इस परियोजना पर जो कुल खर्च होना है उसको प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाए. अवधेश वर्मा ने कहा कि सभी बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को खुलने के बाद वेबसाइट पर कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियों के नाम दिख रहे हैं. जिन्होंने एक ही तिथि 17 अक्टूबर को टेंडर सबमिट किया गया है, जबकि टेंडर वेबसाइट पर डालने की प्रक्रिया लगभग एक महीने से चल रही थी. ऐसे में एक ही दिन इन कंपनियों के टेंडर डालना संदेहास्पद है.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि ऐसे में अन्य मीटर निर्माता कंपनियां (meeter manufacturing companies) टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पा रही हैं. इसलिए दरों में कांपटीशन नहीं होगा और निजी घराने वाली कंपनियां साठगांठ कर मनमाने दर पर टेंडर हासिल कर लेंगी. इसके अलावा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47 (5 ) के तहत प्रीपेड मीटर लगाने के ऑप्शन पर उपभोक्ताओं की सहमति और मीटर लगने की अवधि पर विचार करने पर गौर करना जरूरी है.

अवधेश वर्मा का कहना है कि वर्तमान में 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदे जा रहे हैं. इन मीटरों के लगाने की प्रक्रिया में काफी वक्त लगने वाला है. ऐसे में तकनीकी पुरानी हो जाने पर कोई तैयारी नहीं दिख रही है. मीटर कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर (smart prepaid meter) बदलने की कोई व्यवस्था साझा नहीं की है. वर्तमान में एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड की तरफ से पूर्व में जो 12 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर 2 G टेक्नोलॉजी के लगाए गए हैं. अब जब 4 G टेक्नोलॉजी आ गई है. अब एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड मीटर बदलने के लिए पैसा मांग रही है. यह विद्युत नियामक आयोग से अनुमोदित किए गए रोल आउट प्लान के विपरीत है. ऐसे में आयोग को हस्तक्षेप करना चाहिए.

यह भी पढ़ें : पुलिस स्मृति दिवस पर बलिदानी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देंगे सीएम, योजनाओं की घोषणा भी करेंगे

लखनऊ. विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) की अनुमति के बिना स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन (Standard Bidding Guidelines) के आधार पर सभी बिजली कंपनियों में टेक्निकल बिड का टेंडर खोल दिया गया है. 25 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत के 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के पार्ट-वन टेक्निकल बिड का टेंडर खुलने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग में याचिका दाखिल की है. अवधेश कुमार वर्मा ने मामले में विद्युत नियामक आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.



उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (Uttar Pradesh State Electricity Consumer Council) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य बीके श्रीवास्तव से मुलाकात कर उपभोक्ता हितों का पक्ष रखा. अवधेश वर्मा ने मुद्दा उठाया कि इस परियोजना पर जो कुल खर्च होना है उसको प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाए. अवधेश वर्मा ने कहा कि सभी बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को खुलने के बाद वेबसाइट पर कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियों के नाम दिख रहे हैं. जिन्होंने एक ही तिथि 17 अक्टूबर को टेंडर सबमिट किया गया है, जबकि टेंडर वेबसाइट पर डालने की प्रक्रिया लगभग एक महीने से चल रही थी. ऐसे में एक ही दिन इन कंपनियों के टेंडर डालना संदेहास्पद है.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि ऐसे में अन्य मीटर निर्माता कंपनियां (meeter manufacturing companies) टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पा रही हैं. इसलिए दरों में कांपटीशन नहीं होगा और निजी घराने वाली कंपनियां साठगांठ कर मनमाने दर पर टेंडर हासिल कर लेंगी. इसके अलावा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47 (5 ) के तहत प्रीपेड मीटर लगाने के ऑप्शन पर उपभोक्ताओं की सहमति और मीटर लगने की अवधि पर विचार करने पर गौर करना जरूरी है.

अवधेश वर्मा का कहना है कि वर्तमान में 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदे जा रहे हैं. इन मीटरों के लगाने की प्रक्रिया में काफी वक्त लगने वाला है. ऐसे में तकनीकी पुरानी हो जाने पर कोई तैयारी नहीं दिख रही है. मीटर कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर (smart prepaid meter) बदलने की कोई व्यवस्था साझा नहीं की है. वर्तमान में एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड की तरफ से पूर्व में जो 12 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर 2 G टेक्नोलॉजी के लगाए गए हैं. अब जब 4 G टेक्नोलॉजी आ गई है. अब एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड मीटर बदलने के लिए पैसा मांग रही है. यह विद्युत नियामक आयोग से अनुमोदित किए गए रोल आउट प्लान के विपरीत है. ऐसे में आयोग को हस्तक्षेप करना चाहिए.

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