लखनऊ : चिकित्सा शिक्षा विभाग में डॉक्टरों का ग्रीष्मकालीन अवकाश 16 मई से शुरू होना है. इसके बाद ओपीडी तो नियमित रूप से चलेगी पर इलेक्टिव ओटी पर इसका सीधा असर पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक, अभी भी विभागों में ऑपरेशन की लंबी लाइन है. डॉक्टरों की संख्या आधी होने पर सर्जरी की वेटिंग और लंबी हो जाएगी. डॉक्टरों के अवकाश पर जाने के बाद जिन मरीजों का ऑपरेशन होना है, उनको खास दिक्कत होगी. इसके अलावा राजधानी के अस्पतालों में प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.
16 मई से 14 जून तक केजीएमयू के आधे डॉक्टर छुट्टी पर रहेंगे और आधे काम करेंगे, वहीं 16 जून से 15 जुलाई तक वो डॉक्टर छुट्टी पर जाएंगे जो पहली शिफ्ट में काम कर रहे थे. रजिस्ट्रार रेखा एस चौहान की ओर से सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर पहली और दूसरी शिफ्ट में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों की सूची मांगी जा चुकी है. 16 मई के बाद केजीएमयू में आधे डॉक्टरों की छुट्टी पर रहने की वजह से आधे ऑपरेशन थियेटर ही चलेंगे. डॉक्टरों की संख्या कम होने से सर्जरी भी कम हो जाएगी. इस समय गैस्ट्रो सर्जरी, सर्जरी, इंडोक्राइन सर्जरी, सीटीवीएस जैसे विभागों में कई महीने की वेटिंग है. इस बीच छुट्टी होने की वजह से यह वेटिंग और बढ़ने का अनुमान है.
मरीजों को नहीं होगी कोई परेशानी : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि 'गर्मियों का अवकाश हर साल होता है. अवकाश की अवधि में सभी इमरजेंसी सेवाएं पहले की तरह चलती रहेंगी. गंभीर मरीजों का ऑपरेशन प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा. मरीजों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होने पाएगी. एक साथ किसी भी विभाग के डॉक्टरों को छुट्टी नहीं मिलती है, जब एक डॉक्टर छुट्टी पर जाता है तो उसकी जगह दूसरा डॉक्टर ओपीडी में और इमरजेंसी में तैनात रहता है. हर विभाग में कम से कम चार से पांच विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और सभी को एक साथ छुट्टी की अनुमति नहीं है. यदि दो की छुट्टी होगी तो तीन डॉक्टर कार्यरत रहेंगे, जो ओपीडी और इमरजेंसी की जिम्मेदारी को संभालेंगे. जब पहले दो गए डॉक्टर छुट्टी से वापस लौटेंगे तो फिर अन्य दो डॉक्टर को छुट्टी दी जाएगी. इस तरह क्रमवार तरीके से डॉक्टर छुट्टी पर जाएंगे. इस तरह से मरीजों को भी कोई दिक्कत परेशानी नहीं होगी.'
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