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विपक्ष बताए कि उसने गन्ना किसानों के हित में क्या किया: सुरेश राणा

उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने विपक्षी दलों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के लिए योगी सरकार की तरफ से किए गए काम विपक्षियों को नजर नहीं आते. सुरेश राणा ने कहा कि गन्ना किसानों को लेकर घड़ियालू आंसू बहाने वालों को अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए.

गन्ना मंत्री सुरेश राणा
गन्ना मंत्री सुरेश राणा
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Published : Feb 17, 2021, 4:33 PM IST

लखनऊ: गन्ना मूल्य बकाए पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के ट्वीट पर योगी सरकार ने पलटवार किया है. राज्य के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि कुछ लोगों की सोच ही नकारात्मक होती है. ऐसे लोगों को दूसरे के हर काम में बुराई दिखती है. विपक्ष की स्थिति ऐसी ही है. यह उनका नहीं उनके नजरिए का दोष है. आज गन्ना किसानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वालों को अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए.

'पिछली सरकारों में कौड़ियों के भाव बेच दी गईं मिलें'

सुरेश राणा ने बुधवार को कहा कि यह वही लोग हैं जिनके कार्यकाल में कौड़ियों के भाव कई चीनी मिलें बेच दी गईं. किसानों के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह की कर्मस्थली में स्थित रमाला चीनी मिल के आधुनिकीकरण की दशकों पुरानी मांग को अनसुनी करते रहे. इनके कार्यकाल में करोड़ों रुपये का गन्ना मूल्य बकाया रहा. इसके कारण बड़ी संख्या में किसानों ने खुदकुशी की. तमाम किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा कर ली. किसानों के नकली और सीजनल हमदर्दो के आंसू तब क्यों सूख गये थे.

'कोरोना में दिखी लड़ाई'

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान, रिकॉर्ड पेराई, रिकॉर्ड उत्पादन और चीनी परता जैसी उपलब्धियां क्यों नहीं दिखतीं? वैश्विक महामारी कोरोना के संकट के दौरान जब देश-दु़निया में सारी गतिविधियां ठप पड़ गईं थीं, उस समय सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश की सभी मिलों का सफलता से संचालन, कोरोना के खिलाफ जंग में प्रमुख सैनिटाइजर का रिकॉर्ड उत्पादन भी इनको नहीं दिखता.


'जनता सब जानती है, आंकड़े गवाह हैं'

गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि जनता और किसानों को सब पता है. गन्ने के मामले में बाल की खाल निकालने वालों के लिए ये आंकड़े ही जवाब हैं. मौजूदा सरकार ने सपा और बसपा कार्यकाल की तुलना में अधिक भुगतान किया. बसपा सरकार के कार्यकाल 2007-2008 से लेकर 2011-2012 के दौरान 52,131 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ. इसी तरह सपा सरकार के कार्यकाल 2012-2013 से लेकर 2016-2017 के दौरान 95,215 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. दोनों सरकारों के 10 साल के कार्यकाल के दौरान कुल भुगतान 1,47,346 करोड़ रुपये हुआ, जबकि योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में 1,22,251 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. प्रदेश में प्रति कुंतल गन्ने का औसत मूल्य देश के औसत मूल्य से अधिक है.


'नई खांडसारी इकाईयों की स्थापना से बढ़ेगा रोजगार'

सरकार ने नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए 25 सालों में पहली बार 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किए. इनमें से 133 इकाइयां संचालित हो चुकी हैं. इन इकाइयों में 273 करोड़ का पूंजी निवेश होने के साथ करीब 16,500 लोगों को रोजगार मिलेगा और 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना होने पर 50 हजार लोग रोजगार पाएंगे.

'बंद चीनी मिलों को चलवाया'

पिछली सरकारों में 2007-2017 तक 21 चीनी मिलें बंद की गईं, जबकि योगी सरकार ने 20 बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर शुरू कराया. इसके तहत पिपराइच-मुंडेरवा में नई चीनी मिलें लगाकर शुरू कराई. उत्तर भारत में सिर्फ मुंडेरवा में गन्ने के जूस से सीधे एथनॉल बनेगा. इसके अलावा यूपी में सल्फरलेस चीनी का भी उत्पादन होगा. बंद पड़ी रमाला चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर उसे चलवाया गया.

11 मिलों की क्षमता बढ़ाई गई

संभल और सहारनपुर की बंद चीनी मिलें भी अब चलने लगी हैं. 11 निजी मिलों की क्षमता भी बढ़वाई गई. करीब आठ साल से बंद वीनस, दया और वेव शुगर मिलें चलवाई गईं. सठियांव और नजीबाबाद सहकारी मिलों में एथनॉल प्लांट लगा. छह बंद आसवानी को भी मुख्यमंत्री के निर्देश पर सरकार ने चलवाया.

लखनऊ: गन्ना मूल्य बकाए पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के ट्वीट पर योगी सरकार ने पलटवार किया है. राज्य के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि कुछ लोगों की सोच ही नकारात्मक होती है. ऐसे लोगों को दूसरे के हर काम में बुराई दिखती है. विपक्ष की स्थिति ऐसी ही है. यह उनका नहीं उनके नजरिए का दोष है. आज गन्ना किसानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वालों को अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए.

'पिछली सरकारों में कौड़ियों के भाव बेच दी गईं मिलें'

सुरेश राणा ने बुधवार को कहा कि यह वही लोग हैं जिनके कार्यकाल में कौड़ियों के भाव कई चीनी मिलें बेच दी गईं. किसानों के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह की कर्मस्थली में स्थित रमाला चीनी मिल के आधुनिकीकरण की दशकों पुरानी मांग को अनसुनी करते रहे. इनके कार्यकाल में करोड़ों रुपये का गन्ना मूल्य बकाया रहा. इसके कारण बड़ी संख्या में किसानों ने खुदकुशी की. तमाम किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा कर ली. किसानों के नकली और सीजनल हमदर्दो के आंसू तब क्यों सूख गये थे.

'कोरोना में दिखी लड़ाई'

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान, रिकॉर्ड पेराई, रिकॉर्ड उत्पादन और चीनी परता जैसी उपलब्धियां क्यों नहीं दिखतीं? वैश्विक महामारी कोरोना के संकट के दौरान जब देश-दु़निया में सारी गतिविधियां ठप पड़ गईं थीं, उस समय सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश की सभी मिलों का सफलता से संचालन, कोरोना के खिलाफ जंग में प्रमुख सैनिटाइजर का रिकॉर्ड उत्पादन भी इनको नहीं दिखता.


'जनता सब जानती है, आंकड़े गवाह हैं'

गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि जनता और किसानों को सब पता है. गन्ने के मामले में बाल की खाल निकालने वालों के लिए ये आंकड़े ही जवाब हैं. मौजूदा सरकार ने सपा और बसपा कार्यकाल की तुलना में अधिक भुगतान किया. बसपा सरकार के कार्यकाल 2007-2008 से लेकर 2011-2012 के दौरान 52,131 करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ. इसी तरह सपा सरकार के कार्यकाल 2012-2013 से लेकर 2016-2017 के दौरान 95,215 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. दोनों सरकारों के 10 साल के कार्यकाल के दौरान कुल भुगतान 1,47,346 करोड़ रुपये हुआ, जबकि योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में 1,22,251 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. प्रदेश में प्रति कुंतल गन्ने का औसत मूल्य देश के औसत मूल्य से अधिक है.


'नई खांडसारी इकाईयों की स्थापना से बढ़ेगा रोजगार'

सरकार ने नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए 25 सालों में पहली बार 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी किए. इनमें से 133 इकाइयां संचालित हो चुकी हैं. इन इकाइयों में 273 करोड़ का पूंजी निवेश होने के साथ करीब 16,500 लोगों को रोजगार मिलेगा और 243 नई खांडसारी इकाइयों की स्थापना होने पर 50 हजार लोग रोजगार पाएंगे.

'बंद चीनी मिलों को चलवाया'

पिछली सरकारों में 2007-2017 तक 21 चीनी मिलें बंद की गईं, जबकि योगी सरकार ने 20 बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर शुरू कराया. इसके तहत पिपराइच-मुंडेरवा में नई चीनी मिलें लगाकर शुरू कराई. उत्तर भारत में सिर्फ मुंडेरवा में गन्ने के जूस से सीधे एथनॉल बनेगा. इसके अलावा यूपी में सल्फरलेस चीनी का भी उत्पादन होगा. बंद पड़ी रमाला चीनी मिल की क्षमता बढ़ाकर उसे चलवाया गया.

11 मिलों की क्षमता बढ़ाई गई

संभल और सहारनपुर की बंद चीनी मिलें भी अब चलने लगी हैं. 11 निजी मिलों की क्षमता भी बढ़वाई गई. करीब आठ साल से बंद वीनस, दया और वेव शुगर मिलें चलवाई गईं. सठियांव और नजीबाबाद सहकारी मिलों में एथनॉल प्लांट लगा. छह बंद आसवानी को भी मुख्यमंत्री के निर्देश पर सरकार ने चलवाया.

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