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लखीमपुर खीरी हिंसा मामला: जमानत मिलने के बाद भी नहीं रिहा हो सकेगा आरोपी आशीष मिश्रा

लखीमपुर हिंसा केस में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा को जमानत दी है. लेकिन आशीष मिश्रा की रिहाई में एक पेंच फंस गया है.

आशीष मिश्रा
आशीष मिश्रा
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Published : Feb 10, 2022, 1:31 PM IST

Updated : Feb 10, 2022, 7:53 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने लखीमपुर खीरी तिकुनिया कांड में अभियुक्त केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका पर 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित किया था. गुरुवार को मामले में न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने अपना आदेश पारित किया. लेकिन लेकिन आशीष मिश्रा की रिहाई में एक पेंच फंस गया है.

मामले की सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि आशीष मिश्रा गाड़ी की बाईं सीट पर बैठा गाड़ी चला रहा था, जबकि मृतकों अथवा घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली से लगने वाली चोट नहीं आई है. दलील दी गई कि यदि अभियोजन के इस तथ्य को देखा जाए तो यह भी स्पष्ट होता है कि आशीष मिश्रा गाड़ी नहीं चला रहा था, जबकि मृतकों की मौत गाड़ी से कुचले जाने के कारण हुई है.

बहस के दौरान कहा गया कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया हो अथवा वह उक्त अपराध के लिए समान आशय रखता हो. अभियुक्त की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि घटना के वक्त आशीष मिश्रा दंगल के आयोजन में मौजूद था और इस सम्बंध में जांच एजेंसी को साक्ष्य भी मुहैया कराए गए थे. लेकिन विवेचना में उनकी अनदेखी की गई. वहीं, जमानत याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि आशीष मिश्रा वह एकलौता अभियुक्त है जिसे एफआईआर में नामजद किया गया है.

कहा गया कि घटना के समय उसके गाड़ी में ही मौजूद रहने के साक्ष्य मिले हैं. शिकायतकर्ता की ओर से बहस करते हुए कहा गया था कि आशीष मिश्रा गाड़ी में मौजूद था और यदि उसके ड्राइवर ने उसके ही कहने पर गाड़ी चढ़ाई थी. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने अभियुक्त की इस दलील में बल पाया कि स्वयं अभियोजन के मुताबिक, अभियुक्त गाड़ी की बाईं सीट पर था, ऐसे में गाड़ी चढ़ाने का आरोप प्रथम दृष्टया कमजोर प्रतीत होता है. उल्लेखनीय है कि इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन की मॉनीटरिंग में हुई है. वहीं जांच को महाराष्ट्र के एडीजी इंटेलिजेंस एसबी शिराडकर ने आईपीएस अधिकारियों डॉ. प्रीतिंदर सिंह व पद्मजा चौहान के सुपरवाइज किया है.

ओम प्रकाश राजभर से बातचीत

खीरी प्रशासन को भी लगाई लताड़
कोर्ट ने खीरी जिला प्रशासन की भी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के कुछ लोगों ने राजनीतिक फायदे के लिए बेगुनाह लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुला लिया. जबकि सीआरपीसी की धारा 144 पहले से लागू थी. हजारों लोगों को दूसरे जनपदों और दूसरे राज्यों से बुलाया गया और यह बात जिला प्रशासन को अच्छी तरह पता थी. बावजूद इसके उसने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और न ही आयोजनकर्ताओं पर कोई कार्रवाई की. कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि इस प्रकार के जमावड़े और प्रदर्शन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

आशीष मिश्रा की रिहाई में ये पेंच फंसा
हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को पुलिस द्वारा 147, 148, 148, 307, 326, 427/34 आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर पर जमानत मंजूर की है. जबकि 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ने अपनी 5 हजार पन्नो की चार्जशीट में आशीष व 13 अन्य को हत्या का आरोपी माना था और उनके ऊपर 302 व 120 बी की धारा बढ़ाई थी. ऐसे में उसकी रिहाई में यही सबसे बड़ा रोड़ा है. आशीष के वकील ने धारा 302 व 120 बी में जमानत के लिए अर्जी ही नहीं दी थी, लिहाजा इन दोनों संगीन धाराओं में जमानत नहीं हुई हैं. जेल विभाग के प्रवक्ता ने ईटीवी को बताया कि अभी तक आदेश लखीमपुर जिला जेल नही पहुंचा है. ऑर्डर हाईकोर्ट से जिला कोर्ट पहुंचने के बाद जेल पहुंचेगा. जिसके बाद जेल विभाग जिन धाराओं में निरुद्ध बंदी को बेल मिली है उस मामलें में रिहाई को लेकर जेल रजिस्टर में बंदी का अंगूठा ले लेगा. जिन धाराओं में बेल नही हुई है उसका कारण बता कर उक्त विचाराधीन बंदी को जेल में ही रोक लिया जाएगा.

एसआईटी ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी
लखीमपुर हिंसा केस (LaKhimpur Kheri Case) में SIT ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. 5000 पन्नों की चार्जशीट में SIT ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था. एसआईटी की चार्जशीट में बताया गया था कि हिंसा के वक्त आशीष मिश्रा घटनास्थल पर ही मौजूद था. एसआईटी ने चार्जशीट में 14 आरोपियों के नाम शामिल किए थे. इस चार्जशीट में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी का नाम नहीं था. पीड़ित पक्ष के वकील ने इस चार्जशीट पर सवाल उठाया था.

सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी की जांच में पाया गया था कि आशीष मिश्रा ने साजिशन किसानों को गाड़ी से कुचला था. जिस महिंद्रा थार (UP31 AS 1000) गाड़ी से किसानों को कुचला गया था, उसका रजिस्ट्रेशन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के नाम से है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में अजय मिश्रा का नाम क्यों गायब था?

3 अक्टूबर को हुई थी हिंसा
तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपनी जीप से किसानों को कुचल दिया था. इसके बाद गुस्साई भीड़ ने आशीष के ड्राइवर समेत चार लोगों की हत्या कर दी थी.

आशीष मिश्रा को मिली जमानत केंद्र की साजिश : ओम प्रकाश राजभर
उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण के मतदान के दिन ही आशीष मिश्रा को जमानत मिलने पर सियासत तेज हो गई है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चीफ ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का. उन्होंने कहा कि जिसकी मदद प्रधानमंत्री कर रहे हों तो जमानत कैसे नहीं मिलती. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश का पालन किया है. ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि जो किसान मारे गए उन्हें न्याय नहीं मिला, लेकिन उनकी हत्या करने वालों को कोर्ट ने जमानत दे दी है.

लखनऊ: हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने लखीमपुर खीरी तिकुनिया कांड में अभियुक्त केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका पर 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित किया था. गुरुवार को मामले में न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने अपना आदेश पारित किया. लेकिन लेकिन आशीष मिश्रा की रिहाई में एक पेंच फंस गया है.

मामले की सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि आशीष मिश्रा गाड़ी की बाईं सीट पर बैठा गाड़ी चला रहा था, जबकि मृतकों अथवा घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली से लगने वाली चोट नहीं आई है. दलील दी गई कि यदि अभियोजन के इस तथ्य को देखा जाए तो यह भी स्पष्ट होता है कि आशीष मिश्रा गाड़ी नहीं चला रहा था, जबकि मृतकों की मौत गाड़ी से कुचले जाने के कारण हुई है.

बहस के दौरान कहा गया कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया हो अथवा वह उक्त अपराध के लिए समान आशय रखता हो. अभियुक्त की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि घटना के वक्त आशीष मिश्रा दंगल के आयोजन में मौजूद था और इस सम्बंध में जांच एजेंसी को साक्ष्य भी मुहैया कराए गए थे. लेकिन विवेचना में उनकी अनदेखी की गई. वहीं, जमानत याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि आशीष मिश्रा वह एकलौता अभियुक्त है जिसे एफआईआर में नामजद किया गया है.

कहा गया कि घटना के समय उसके गाड़ी में ही मौजूद रहने के साक्ष्य मिले हैं. शिकायतकर्ता की ओर से बहस करते हुए कहा गया था कि आशीष मिश्रा गाड़ी में मौजूद था और यदि उसके ड्राइवर ने उसके ही कहने पर गाड़ी चढ़ाई थी. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने अभियुक्त की इस दलील में बल पाया कि स्वयं अभियोजन के मुताबिक, अभियुक्त गाड़ी की बाईं सीट पर था, ऐसे में गाड़ी चढ़ाने का आरोप प्रथम दृष्टया कमजोर प्रतीत होता है. उल्लेखनीय है कि इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन की मॉनीटरिंग में हुई है. वहीं जांच को महाराष्ट्र के एडीजी इंटेलिजेंस एसबी शिराडकर ने आईपीएस अधिकारियों डॉ. प्रीतिंदर सिंह व पद्मजा चौहान के सुपरवाइज किया है.

ओम प्रकाश राजभर से बातचीत

खीरी प्रशासन को भी लगाई लताड़
कोर्ट ने खीरी जिला प्रशासन की भी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के कुछ लोगों ने राजनीतिक फायदे के लिए बेगुनाह लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुला लिया. जबकि सीआरपीसी की धारा 144 पहले से लागू थी. हजारों लोगों को दूसरे जनपदों और दूसरे राज्यों से बुलाया गया और यह बात जिला प्रशासन को अच्छी तरह पता थी. बावजूद इसके उसने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और न ही आयोजनकर्ताओं पर कोई कार्रवाई की. कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि इस प्रकार के जमावड़े और प्रदर्शन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

आशीष मिश्रा की रिहाई में ये पेंच फंसा
हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को पुलिस द्वारा 147, 148, 148, 307, 326, 427/34 आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर पर जमानत मंजूर की है. जबकि 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ने अपनी 5 हजार पन्नो की चार्जशीट में आशीष व 13 अन्य को हत्या का आरोपी माना था और उनके ऊपर 302 व 120 बी की धारा बढ़ाई थी. ऐसे में उसकी रिहाई में यही सबसे बड़ा रोड़ा है. आशीष के वकील ने धारा 302 व 120 बी में जमानत के लिए अर्जी ही नहीं दी थी, लिहाजा इन दोनों संगीन धाराओं में जमानत नहीं हुई हैं. जेल विभाग के प्रवक्ता ने ईटीवी को बताया कि अभी तक आदेश लखीमपुर जिला जेल नही पहुंचा है. ऑर्डर हाईकोर्ट से जिला कोर्ट पहुंचने के बाद जेल पहुंचेगा. जिसके बाद जेल विभाग जिन धाराओं में निरुद्ध बंदी को बेल मिली है उस मामलें में रिहाई को लेकर जेल रजिस्टर में बंदी का अंगूठा ले लेगा. जिन धाराओं में बेल नही हुई है उसका कारण बता कर उक्त विचाराधीन बंदी को जेल में ही रोक लिया जाएगा.

एसआईटी ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी
लखीमपुर हिंसा केस (LaKhimpur Kheri Case) में SIT ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. 5000 पन्नों की चार्जशीट में SIT ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था. एसआईटी की चार्जशीट में बताया गया था कि हिंसा के वक्त आशीष मिश्रा घटनास्थल पर ही मौजूद था. एसआईटी ने चार्जशीट में 14 आरोपियों के नाम शामिल किए थे. इस चार्जशीट में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी का नाम नहीं था. पीड़ित पक्ष के वकील ने इस चार्जशीट पर सवाल उठाया था.

सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी की जांच में पाया गया था कि आशीष मिश्रा ने साजिशन किसानों को गाड़ी से कुचला था. जिस महिंद्रा थार (UP31 AS 1000) गाड़ी से किसानों को कुचला गया था, उसका रजिस्ट्रेशन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के नाम से है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में अजय मिश्रा का नाम क्यों गायब था?

3 अक्टूबर को हुई थी हिंसा
तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपनी जीप से किसानों को कुचल दिया था. इसके बाद गुस्साई भीड़ ने आशीष के ड्राइवर समेत चार लोगों की हत्या कर दी थी.

आशीष मिश्रा को मिली जमानत केंद्र की साजिश : ओम प्रकाश राजभर
उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण के मतदान के दिन ही आशीष मिश्रा को जमानत मिलने पर सियासत तेज हो गई है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चीफ ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का. उन्होंने कहा कि जिसकी मदद प्रधानमंत्री कर रहे हों तो जमानत कैसे नहीं मिलती. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश का पालन किया है. ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि जो किसान मारे गए उन्हें न्याय नहीं मिला, लेकिन उनकी हत्या करने वालों को कोर्ट ने जमानत दे दी है.

Last Updated : Feb 10, 2022, 7:53 PM IST
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