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25 दिसंबर पर राजनीति: दलों ने चुने अपने-अपने नायक

आज अटलजी की जयंती है. 25 दिसंबर पूरी दुनिया के लिए यादगार तारीख बन गई है. प्रभु यीशु के जन्मदिन की तारीख के साथ ही महामना के नाम से मशहूर पंडित मदन मोहन मालवीय और 11 वीं सदी में महाराजा बिजली पासी भी इसी ऐतिहासिक तारीख को पैदा हुए.

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राजनीतिक दलों ने चुने अपने-अपने नायक
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Published : Dec 25, 2020, 4:46 AM IST

Updated : Dec 25, 2020, 5:18 PM IST

लखनऊ: 25 दिसंबर पूरी दुनिया के लिए यादगार तारीख बन गई है. बाजार ने प्रभु यीशु के जन्मदिन की तारीख को दुनिया के उन देशों में भी त्योहारी दिन बना दिया, जहां क्रिश्चियन आबादी के अनुपात में कम हैं. ऐतिहासिक तारीख को बड़ा दिन के तौर पर भी याद किया जाता है. भारत में यह बड़ा दिन और बड़ा इसलिए है कि 25 तारीख को कई महापुरुषों का जन्म हुआ. महामना के नाम से मशहूर पंडित मदन मोहन मालवीय, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और 11 वीं सदी में महाराजा बिजली पासी भी इसी ऐतिहासिक तारीख को पैदा हुए. अगर अखंड भारत की शख्सियतों को शुमार करें तो मुहम्मद अली जिन्ना की जयंती भी 25 दिसंबर को मनाई जाती है.

25 दिसंबर के मौके पर राजनीतिक पार्टियां महापुरुषों का बंटवारा करती दिख रही हैं.

राजनीतिक दलों ने चुने अपने-अपने नायक

अब सवाल यह है कि जिन्ना को छोड़ भी दें तो भारत के तीन महापुरुषों को 25 दिसंबर को कैसे याद किया जाता है. जवाब है सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक तौर पर. हमारे महापुरुष भी देश और समाज के नायक के तौर पर कम, वोट बैंक के नेता के तौर पर याद किए जाते हैं. राजनीतिक दलों ने अपने-अपने नायक चुन लिए हैं. 25 दिसंबर को भाजपा अटल दिवस मना रही है तो कई संगठन मालवीय जयंती, समाजवादी पार्टी ने महाराजा बिजली पासी को चुना है. आज प्रदेश भर में सपा महाराजा बिजली पासी जयंती मनाएगी.

जब कृषि कानूनों के खिलाफ महीने भर से किसान धरने पर बैठे हैं, जब देश उनके साथ और खिलाफ के दो धड़ों में बंटता नजर आ रहा है तो फिर किसान दिवस का मौका कैसे छूट सकता है. 23 फरवरी चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन मना तो देशभर में, लेकिन रालोद ने उन्हें रालोद के नायक और रालोद को किसानों का नायक जैसे पेश किया.

सबसे बड़े सूबे की सियासत

देश के सबसे बड़े सूबे की सियासत है, तो सियासी चालें भी बड़ी होंगी. देश के महानायकों का बंटवारा होने लगा है. अपने-अपने नायक गढ़े जाने लगे हैं, आखिर चुनाव जो आ रहे हैं. बस साल भर ही तो बचा है. पंचायतों का कार्यकाल तो पूरा हो गया. अब 2021 की तैयारी है. सभी राजनीतिक दलों ने सूबे को सियासी दाव-पेंच का दलदल बना दिया है और एक-दूसरे को इस दलदल के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

अटलजी ने एक भाषण में कहा था, महत्वपूर्ण यह नहीं है कि देश का नेता कैसा हो, महत्वपूर्ण यह है कि देश कैसा हो. सरकारें आएंगी और जाएंगी, मगर देश को आगे बढ़ते रहना चाहिए.

आज अटलजी की जयंती है. आज समाज और देश को अटलजी की इस सलाह को याद रखना होगा कि नायक भी जाति के नहीं होते, पूरे समाज और समूचे देश के होते हैं, क्योंकि हमारे देश के नायक देश के लिए जिए और देश के लिए प्राण न्योछावर किया.

लखनऊ: 25 दिसंबर पूरी दुनिया के लिए यादगार तारीख बन गई है. बाजार ने प्रभु यीशु के जन्मदिन की तारीख को दुनिया के उन देशों में भी त्योहारी दिन बना दिया, जहां क्रिश्चियन आबादी के अनुपात में कम हैं. ऐतिहासिक तारीख को बड़ा दिन के तौर पर भी याद किया जाता है. भारत में यह बड़ा दिन और बड़ा इसलिए है कि 25 तारीख को कई महापुरुषों का जन्म हुआ. महामना के नाम से मशहूर पंडित मदन मोहन मालवीय, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और 11 वीं सदी में महाराजा बिजली पासी भी इसी ऐतिहासिक तारीख को पैदा हुए. अगर अखंड भारत की शख्सियतों को शुमार करें तो मुहम्मद अली जिन्ना की जयंती भी 25 दिसंबर को मनाई जाती है.

25 दिसंबर के मौके पर राजनीतिक पार्टियां महापुरुषों का बंटवारा करती दिख रही हैं.

राजनीतिक दलों ने चुने अपने-अपने नायक

अब सवाल यह है कि जिन्ना को छोड़ भी दें तो भारत के तीन महापुरुषों को 25 दिसंबर को कैसे याद किया जाता है. जवाब है सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक तौर पर. हमारे महापुरुष भी देश और समाज के नायक के तौर पर कम, वोट बैंक के नेता के तौर पर याद किए जाते हैं. राजनीतिक दलों ने अपने-अपने नायक चुन लिए हैं. 25 दिसंबर को भाजपा अटल दिवस मना रही है तो कई संगठन मालवीय जयंती, समाजवादी पार्टी ने महाराजा बिजली पासी को चुना है. आज प्रदेश भर में सपा महाराजा बिजली पासी जयंती मनाएगी.

जब कृषि कानूनों के खिलाफ महीने भर से किसान धरने पर बैठे हैं, जब देश उनके साथ और खिलाफ के दो धड़ों में बंटता नजर आ रहा है तो फिर किसान दिवस का मौका कैसे छूट सकता है. 23 फरवरी चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन मना तो देशभर में, लेकिन रालोद ने उन्हें रालोद के नायक और रालोद को किसानों का नायक जैसे पेश किया.

सबसे बड़े सूबे की सियासत

देश के सबसे बड़े सूबे की सियासत है, तो सियासी चालें भी बड़ी होंगी. देश के महानायकों का बंटवारा होने लगा है. अपने-अपने नायक गढ़े जाने लगे हैं, आखिर चुनाव जो आ रहे हैं. बस साल भर ही तो बचा है. पंचायतों का कार्यकाल तो पूरा हो गया. अब 2021 की तैयारी है. सभी राजनीतिक दलों ने सूबे को सियासी दाव-पेंच का दलदल बना दिया है और एक-दूसरे को इस दलदल के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

अटलजी ने एक भाषण में कहा था, महत्वपूर्ण यह नहीं है कि देश का नेता कैसा हो, महत्वपूर्ण यह है कि देश कैसा हो. सरकारें आएंगी और जाएंगी, मगर देश को आगे बढ़ते रहना चाहिए.

आज अटलजी की जयंती है. आज समाज और देश को अटलजी की इस सलाह को याद रखना होगा कि नायक भी जाति के नहीं होते, पूरे समाज और समूचे देश के होते हैं, क्योंकि हमारे देश के नायक देश के लिए जिए और देश के लिए प्राण न्योछावर किया.

Last Updated : Dec 25, 2020, 5:18 PM IST
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