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भाषा विश्वविद्यालय में शुरू होंगे उर्दू और हिंदी भाषा में विशेष सर्टिफिकेट कोर्स - लखनऊ ताजा खबर

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की ओर से जल्द ही हिंदी और उर्दू भाषा में विशेष सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की जाएगी. कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला ने मंगलवार को इसकी घोषणा की.

भाषा विश्वविद्यालय में शुरू होंगे उर्दू और हिंदी भाषा में विशेष सर्टिफिकेट कोर्स
भाषा विश्वविद्यालय में शुरू होंगे उर्दू और हिंदी भाषा में विशेष सर्टिफिकेट कोर्स
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Published : Jun 8, 2021, 6:32 AM IST

लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की ओर से जल्द ही हिंदी और उर्दू भाषा में विशेष सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की जाएगी. कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एवं आसपास के क्षेत्रों में यदि कोई व्यक्ति उर्दू और हिंदी भाषा को सीखना चाहता है, तो विभाग को अपने स्तर पर उसे शिक्षित करने का प्रयास करना चाहिए. विभाग उसके लिए विशेष सर्टिफिकेट कोर्स का भी प्रावधान करें.

एनईपी पर आधारित पाठ्यक्रम होगा तैयार
कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में सोमवार को विश्वविद्यालय में बैठक का आयोजन किया गया. उर्दू और हिंदी विभाग के सभी शिक्षक इस बैठक में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि दोनों विभागों को अपने शोधार्थियों से प्रगति आख्या मंगवा कर उनके कार्य का निरीक्षण करना चाहिए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एनईपी पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करते समय नवीन समसामयिक/रोचक विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए. जिससे विद्यार्थियों में रचनात्मकता का संचार हो सके.

लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की ओर से जल्द ही हिंदी और उर्दू भाषा में विशेष सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की जाएगी. कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एवं आसपास के क्षेत्रों में यदि कोई व्यक्ति उर्दू और हिंदी भाषा को सीखना चाहता है, तो विभाग को अपने स्तर पर उसे शिक्षित करने का प्रयास करना चाहिए. विभाग उसके लिए विशेष सर्टिफिकेट कोर्स का भी प्रावधान करें.

एनईपी पर आधारित पाठ्यक्रम होगा तैयार
कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में सोमवार को विश्वविद्यालय में बैठक का आयोजन किया गया. उर्दू और हिंदी विभाग के सभी शिक्षक इस बैठक में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि दोनों विभागों को अपने शोधार्थियों से प्रगति आख्या मंगवा कर उनके कार्य का निरीक्षण करना चाहिए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एनईपी पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करते समय नवीन समसामयिक/रोचक विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए. जिससे विद्यार्थियों में रचनात्मकता का संचार हो सके.

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