लखनऊ: चौथे चरण का मतदान होने के बाद अब राज्य के पूर्वी हिस्से की 41 सीटों पर मतदान होना है. इसे देखते हुए सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस खुद को मजबूत दिखाने की होड़ में जुटे हैं. साथ ही भाजपा को हराने के लिए इन दलों के बीच आपसी प्रतिद्वंदिता भी देखने को मिल रही है.
यूपी में कांग्रेस और गठबंधन के बीच भाजपा को हराने की जंग मतदाताओं को भरोसा दिलाया जा रहा है कि उनकी पार्टी ही भाजपा को हरा सकती है इसलिए वोटरों को उन्हीं पर भरोसा करना चाहिए. राज्य की सीटों पर टिकट बंटवारे और प्रत्याशियों के समीकरण से विपक्षी पार्टियों के बीच तालमेल होने की बात कही जा रही थी. हाल ही में प्रियंका गांधी ने कहा था कि उन्होंने कई प्रत्याशी इस तरह से उतारे हैं जो वोट काटकर भाजपा को हराने का काम करेंगे. इससे गैर-भाजपा मतों के अलंबरदार बनने का सवाल खड़ा हो गया. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है कि वह गैर-भाजपा मतदाताओं के लिए सीधी लड़ाई लड़ते हुए दिखाई दे.
गैर भाजपा मतों पर एकाधिकार करने की कांग्रेसी कोशिश से समाजवादी पार्टी भड़की हुई है. पार्टी प्रवक्ता अमीक जामई ने कांग्रेस और भाजपा पर आपस में सांठगांठ का भी आरोप लगाया. वह कहते हैं कि अगर कांग्रेस को भाजपा विरोधी मतों की इतनी ही परवाह थी तो उसने गुजरात दंगों के बाद 10 साल में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की.