लखनऊ : घोसी विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. समाजवादी पार्टी के इंडिया गठबंधन समर्थित प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के एनडीए समर्थित प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को बुरी तरह हरा दिया है. नतीजे आने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन को लेकर तो चर्चा तेज हो ही गई हैं, इसी बीच एक चर्चा और भी तेज है और वह है बहुजन समाज पार्टी के कदम की.
मायावती की अपील का उनके वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ने के बाद अब यह कहा जा रहा है कि मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लग गई है. खुद को दलितों की मसीहा कहलाने वाली मायावती का ही जादू अब दलितों पर नहीं चल रहा है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या मायावती का कहना दलित अब नहीं मान रहे हैं? क्या अब मायावती का साथ दलितों ने छोड़ दिया है? क्या अब मायावती बेसहारा हो गई हैं? कुल मिलाकर पिछले कई चुनाव नतीजे ने तो यही संदेश देने की कोशिश की है.
बहरहाल वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन के साथ तमाम छोटे-बड़े दल आ चुके हैं तो इंडिया गठबंधन ने भी तमाम दलों को अपने साथ जुटा लिया है, लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी न इंडिया की तरफ ही जाने को तैयार है और न ही एनडीए गठबंधन का हिस्सा ही बनने को तैयार है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ तौर पर कह दिया है कि लोकसभा चुनाव पार्टी अकेले ही दम पर लड़ेगी. अब सवाल यह है कि जब मायावती अकेले दम चुनाव लड़ेंगी तो उनकी पार्टी का हश्र क्या होगा? वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तो मायावती की पार्टी विलीन होती नजर आ रही है.
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