लखनऊ: राजथान में सौ से ज्यादा बच्चों की मौत पर यूपी में सियासी घमासान शुरु हो गया है. बच्चों की मौत पर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा तो अखिलेश बचाव में उतर आए. अखिलेश ने कहा कि पहले योगी सरकार बीआरडी में हुई बच्चों की मौत का हिसाब दे. अखिलेश ने प्रेस कांफ्रेंस कर एक सूची जारी कर कहा कि बीआरडी में 1200 बच्चों की मौत हुई थी. बीजेपी ने अखिलेश के इन आंकड़ों को झूठा बताया और इसे अखिलेश की बचकानी हरकत करार दिया.
राजस्थान के कोटा में हुई बच्चों की मौत पर उत्तर प्रदेश में शुरु हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. बच्चों की मौत पर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस के बचाव में उतर पड़ें. अखिलेश ने कहा कि पहले योगी सरकार बीआरडी में हुई 1200 बच्चों की मौत का हिसाब दे.
योगी सरकार दे बच्चों की मौत का हिसाब
इस पर बीजेपी ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अखिलेश के पास क्या आंकडा है. अगर उनके पास कोई आंकड़ा है तो पेश करे सरकार पर बिना तथ्य के आरोप न लगाए. इसके बाद अखिलेश यादव ने मंगलवार को फिर से प्रेस कांफ्रेंस की और बीआरडी में हुई बच्चों की मौत की लिस्ट मीडिया के समक्ष पेश की. हालांकि लिस्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया.
झूठे आंकड़े पेश कर भ्रमित कर रहे हैं अखिलेश
योगी सरकार में मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने अखिलेश पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव झंठे आंकड़े पेश कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं, वो बचकानी हरकतें कर रहे हैं. हम लोगों ने अनेक मंच से यहां तक कि मैं खुद विधानसभा में आंकड़े दे चुका हूं. वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे बाहर के अखबारों ने भी योगी सरकार की जेई जैसी बीमारी को रोकने में मिली सफलता को लेकर सराहना की है, लेकिन मैं फिर से जनता के बीच आंकड़े रख देता हूं.
अखिलेश को नहीं पता जेई और एईएस
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा ये दुर्भाग्य की बात है कि अखिलेश जी पांच साल मुख्यमंत्री रहे, लेकिन आपको यह भी नहीं समझ आया कि जेई क्या है और एईएस क्या है. आप तो कल जेई के बारे में बोल गए, निको के अंदर वे बच्चे मरते हैं जो कुपोषित होते हैं. निको में इस तरह के बच्चों की मौत को शामिल किया जाता है. अगर यह अंतर समझ आ जाता तो अखिलेश जी 2014 से 2017 के बीच इतने बच्चों की मौत नहीं हुई होती.
कम हुईं है घटनाएं
मगर आपको तो हर मुद्दे पर राजनीति करनी है. इसीलिए आपने बच्चों की मौत पर भी राजनीति की. उन्होंने बताया कि 2016 में जेई की जो घटनाएं होती थी, आज उसमें 65 से 70 फीसद कम हुई हैं. केस भी 70 से 80 फीसद गिरे हैं. एईएस की घटना भी कम हुई है न के बराबर तक पहुंचा दिया गया है. उसका एक ही कारण है इसके लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम हो सकता है.
38 जिलों को किया ओडीएफ
हम लोगों ने 2017 से लेकर 2018, 2019 के अंदर डेढ़ करोड़ वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाए थे. एईएस के लिए कोई वैक्सीनेशन प्रोग्राम नहीं है, इसलिए उसका बचाव केवल सावधानी ही है, साफ सफाई रखना है. इसलिए 38 जिलों को ओडीएफ किया गया है. घरों में यूनिसेफ के साथ दस्तक अभियान के तहत पहुंचा गया.
हमारी सरकार प्रतिबद्ध है
दस्तक अभियान 11 विभागों ने मिलकर तीन चरणों में चलाया. इसमें केवल 229 केस सामने आए हैं और 18 मौतें हुई हैं. एईएस की बात करें तो पहले करीब 4000 से ऊपर उसके केस सामने आते थे. वह घटकर 2000 के आसपास आ गए हैं, इसमें सौ के आसपास मौतें हुई हैं. यह आंकड़ा पहले की अपेक्षा बहुत नीचे आया है, लेकिन हमारी सरकार इसे एकदम कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और काम कर रही है.
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