लखनऊ: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने मांग की है कि सहकारी ग्राम्य विकास बैंक की सभी शाखाओं का निर्वाचन स्थगित किया जाए. वहीं उन्होंने कहा है कि कुछ भ्रष्ट, अक्षम और नकारा अधिकारी सरकार में बैठे लोगों के इशारे पर सहकारिता की मूल भावना का गला घोंट रहे हैं. प्रदेश सरकार की तरफ से सहकारी समिति (संशोधन) अध्यादेश को जल्दबाजी में लागू किया गया. प्रबंध समितियों से अधिकारों को लेने से उसका लोकतांत्रिक ढांचा भी बिखर चुका है. कोरोना संकट काल में जल्दबाजी में चुनाव कराकर निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया में लगे सरकारी कर्मचारी, डेलीगेट और प्रत्याशी को संक्रमण के जोखिम में धकेल रहा है.
शिवपाल ने उठाए सवाल
शिवपाल यादव ने कहा कि जब सहकारी प्रबंध समितियों से अधिकार पहले ही लिए जा चुके हैं तो इतना जोखिम उठाने से अच्छा है कि सरकार सहकारी प्रबंध कमेटी की जगह सरकारीकरण कर दे. प्रसपा प्रमुख ने कहा कि अब किसान नौकरशाही के जाल में फंसकर रह गया है, ऐसे में जिस पवित्र भावना से सहकारिता आन्दोलन का जन्म हुआ था, वह संकट में है.
आपको बता दें कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त, सहकारिता द्वारा बैंक के निर्वाचन के लिए अधिसूचना 27 दिसम्बर 2019 को जारी की गई थी. इसके अनुसार बैंक के निर्वाचन की प्रक्रिया 10 फरवरी से तीन अप्रैल तक सम्पन्न होनी थी. इसी क्रम में 17 जनवरी को चुनाव आयुक्त सहकारिता ने सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के चुनाव को वन टाइम सेटलमेंट, लोनिंग और वसूली के काम में अक्षम हुई है. इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करना था. वन टाइम सेटलमेंट और लोनिंग और वसूली में अक्षम साबित हुई शाखाओं के मर्जर का कार्य अभी भी लंबित है. इसकी आड़ में मतदाता सूची में हेरफेर किया गया है और दोबारा 15 जुलाई को यूपी सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के चुनाव के लिए नई अधिसूचना जारी कर दी है. इसके अनुसार बैंक के निर्वाचन की प्रक्रिया 21 अगस्त से 23 सितम्बर तक सम्पन्न होना सुनिश्चित की गई है.
शिवपाल यादव ने कहा कि बैंक का निर्वाचन गांव स्तर पर स्थापित बैंक शाखाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है. शाखा स्तर पर निर्वाचन के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को प्रचार के लिए गांव-गांव भ्रमण करके सदस्यों से सम्पर्क करना होता है. आज की परिस्थिति में कोरोना महामारी को देखते हुए निर्वाचन के लिए जनसम्पर्क कर पाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है.