लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन की सरकारी बंगले पर धर्म के प्रचार करते हुए वीडियो वायरल होने के बाद से जहां एक ओर बीजेपी ने धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप लगाया है. वहीं वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के मोहम्मद मतीन ने IAS अधिकारी का समर्थन किया है. मौलाना कल्बे जवाद ने सरकार द्वारा SIT जांच गठित करने को गलत फैसला बताया तो मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद मतीन ने कहा कि मुसलमानों को टारगेट करने का सरकार का यह प्रायोजित प्रोग्राम चल रहा है.
सीनियर IAS अफसर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन कुछ मौलानाओं को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर इस्लाम के बारे में प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद कुछ लोग इफ्तिखारुद्दीन पर पद पर रहते हुए कट्टरता के साथ धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोप लगा रहे है. मामला तूल पकड़ने के बाद यूपी सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए SIT से कराने का फैसला किया है. पूर्व IPS और बीजेपी से राज्यसभा सांसद बृजलाल ने ट्वीट कर इस मामले पर कहा कि सरकारी सेवक का धर्म केवल संविधान होता है और यह कृत्य सर्विस कंडक्ट रूल के खिलाफ है.
विवाद पर बोलते हुए वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए है. उन्होंने कहा कि किसी भी हिन्दू के आवास पर शिव या और किसी की मूर्ति मिल जाएगी और वह लोग अगर पूजा कर रहे होंगे तो क्या वह भी धर्म का प्रचार माना जाएगा? मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि अगर अपने लोगों के साथ घर पर कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हो रहा है तो उससे धर्म का प्रचार थोड़ी किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ऐसे तो सरकारी अधिकारियों के घर पर मूर्ति पूजा पर भी रोक लगनी चाहिए. कोई भी फिर धार्मिक काम अपने सरकारी घर पर न करें. मौलाना ने कहा कि सरकारी अधिकारी जहां रहेगा. वहीं तो धार्मिक कार्यक्रम करेगा या फिर किराए के मकान लेकर कार्यक्रम कराया जाएगा? मौलाना ने कहा कि सीएम योगी सुबह उठते ही गौ माता की खिदमत करते है, क्या यह धार्मिक कार्य नहीं है? मौलाना ने कहा कि इस मामले में SIT गठित करना एकदम गलत कदम है.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद मतीन ने कहा कि यह सरकार का प्रायोजित कार्यक्रम है. जिसके तहत मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है. इससे पहले सियासी लोगों को उसके बाद उलमा को टारगेट किया गया. मौलाना कलीम साहब और उमर गौतम के बाद यह निशाना सीनियर IAS अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन पर साधा गया है. मोहम्मद मतीन ने कहा कि हर व्यक्ति का यह मौलिक अधिकार है कि वह अपने मजहब पर चले, अपने लोगों से मिले और इबादत करे. इसमें कौनसा अपराध कर दिया गया. यह सिर्फ मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए काम किया जा रहा है और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग इसकी सख्त निंदा करती है.
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