लखनऊ: रमजान महीने के 19वें और 21वें रमजान को हर साल राजधानी लखनऊ में हजरत अली की याद में जुलूस निकलता है. इस जुलूस में हजारों की संख्या में अकीदतमंद शरीक होते है और हजरत अली को याद करते हैं, लेकिन पिछले साल देश में लगे लॉकडाउन के चलते 150 साल पुरानी परंपरा टूट गई थी. जिसके बाद इस वर्ष जुलूस निकाले जाने को लेकर शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जुलूस की इजाजत मांगी है. वहीं, मौलाना के इस पत्र का अल्पसंख्यक आयोग ने विरोध किया है.
19 रमजान को तड़के सुबह यह जुलूस पुराने लखनऊ के काजमैन से निकलकर विक्टोरिया स्ट्रीट जाता है तो 21 रमजान को नजफ से निकलकर शहर की सबसे बड़ी कर्बला तालकटोरा पर यह जुलूस संपन्न होता है. इस जुलूस में शहर के साथ आसपास के इलाकों से हजारों की संख्या में शिया समुदाय के अकीदतमंद शरीक होते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार इन दोनों जुलूसों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
मौलाना ने सीएम से जुलूस को निकालने की मांग की
मौलाना यासूब अब्बास ने हजरत अली की याद में लखनऊ शहर में निकाले जाने वाले इस ऐतिहासिक जुलूस को इस वर्ष कोविड प्रोटोकाल के तहत निकालने की इजाजत मांगी है. मौलाना ने कहा कि जब देश के कई सूबों में विधानसभा चुनाव कराया जा सकता है तो इन जुलूस को भी गाइडलाइंस के तहत निकलवाया जाना चाहिए. मौलाना की इस मांग का अब विरोध शुरू हो गया है. उत्तरप्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार परविंदर सिंह ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि इससे निर्दोष अल्पसंख्यकों के बीच महामारी का संक्रमण बढ़ेगा. परविंदर सिंह ने कहा कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य होने के नाते मैं इस मांग का विरोध करता हूं और अपील करता हूं कि सभी वर्ग ऐसे कठिन समय में प्रदेश को मजबूत करें.
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