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शॉर्प शूटर गिरधारी के एनकाउंटर मामले में पुलिस पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश खारिज - हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुख्यात शूटर गिरधारी उर्फ कन्हैया विश्वकर्मा के एनकाउंटर मामले में पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को खारिज कर दिया.

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Published : Dec 24, 2021, 10:09 PM IST

लखनऊः कुख्यात शूटर गिरधारी उर्फ कन्हैया विश्वकर्मा के एनकाउंटर मामले में शामिल पुलिस को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने एनकाउंटर में शामिल पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के 25 फरवरी 2021 के आदेश को खारिज कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही की दलील थी कि पुलिस अधिकारियों द्वारा जो भी कथित अपराध किया जाना बताया जा रहा है, वह सरकारी कार्य के दौरान किया गया है, जबकि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 197 तथा 30 जनवरी 1975 को पारित राज्य सरकार के उस शासनादेश की अनदेखी की जिसमें सेवा कार्य के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए कृत्यों से उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई है.

ये भी पढ़ेंः स्मृति ईरानी से पानी मांगने पहुंची महिलाओं को भाजपाइयों ने पीटा

याचिका पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने पाया कि सीजेएम को अभियोजन स्वीकृति से सम्बंधित प्रावधानों पर विचार करने के पश्चात ही आदेश पारित करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया लिहाजा सीजेएम द्वारा पारित आदेश खारिज किए जाने योग्य है.

उल्लेखनीय है कि सीजेएम ने अधिवक्ता सर्वजीत यादव की सीआरपीसी की धारा 156 की उपधारा 3 के तहत दाखिल अर्जी को मंजूर करते हुए 25 फरवरी 2021 गिरधारी एनकाउंटर मामले की विवेचना के आदेश जारी किये थे.

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लखनऊः कुख्यात शूटर गिरधारी उर्फ कन्हैया विश्वकर्मा के एनकाउंटर मामले में शामिल पुलिस को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने एनकाउंटर में शामिल पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के 25 फरवरी 2021 के आदेश को खारिज कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही की दलील थी कि पुलिस अधिकारियों द्वारा जो भी कथित अपराध किया जाना बताया जा रहा है, वह सरकारी कार्य के दौरान किया गया है, जबकि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 197 तथा 30 जनवरी 1975 को पारित राज्य सरकार के उस शासनादेश की अनदेखी की जिसमें सेवा कार्य के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए कृत्यों से उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई है.

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याचिका पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने पाया कि सीजेएम को अभियोजन स्वीकृति से सम्बंधित प्रावधानों पर विचार करने के पश्चात ही आदेश पारित करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया लिहाजा सीजेएम द्वारा पारित आदेश खारिज किए जाने योग्य है.

उल्लेखनीय है कि सीजेएम ने अधिवक्ता सर्वजीत यादव की सीआरपीसी की धारा 156 की उपधारा 3 के तहत दाखिल अर्जी को मंजूर करते हुए 25 फरवरी 2021 गिरधारी एनकाउंटर मामले की विवेचना के आदेश जारी किये थे.

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