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Science Van of Zonal Science Center : आंचलिक विज्ञान केंद्र की साइंस वैन ग्रामीणों और छात्रों को समझा रही विज्ञान के चमत्कार

आंचलिक विज्ञान केंद्र अलीगंज में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बच्चे विज्ञान के चमत्कारों से रूबरू होते हैं. इसके अलावा आंचलिक विज्ञान केंद्र के द्वारा साइंस वैन (Science Van of Zonal Science Center) चलाई जा रही है. यह वैन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करती है. इस दौरान वैन में मौजूद साइंटिस्ट और विशेषज्ञ लोगों को विज्ञान की अवधारण और विभिन्न अविष्कारों की जानकारी देते हैं.

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Published : Jan 24, 2023, 12:01 PM IST

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लखनऊ : आंचलिक विज्ञान नगरी अलीगंज में बच्चों के लिए काफी कुछ सीखने को है. आंचलिक विज्ञान केंद्र के द्वारा साइंस वैन चलाई जा रही है. इस वैन में साइंटिस्ट में मौजूद होते हैं जो लोगों को साइंस के बारे में बताते हैं और समझाते हैं किस तरह से सोलर लाइट का निर्माण हुआ, किस तरह से बल्ब का विष्कार हुआ. इस तरह की तमाम साइंस से जुड़ी बातों को लोगों को समझाते हैं वैज्ञानिक के मुताबिक यह काफी ज्यादा दिलचस्प होता है लोगों को तमाम चीजें सीखने का मौका मिलता है. आंचलिक विज्ञान केंद्र की इस पहल की हर ओर सराहना हो रही है.

आंचलिक विज्ञान केंद्र की ट्रेनर अंकिता सिंह ने बताया कि आंचलिक विज्ञान नगरी में जो मोबाइल वैन मौजूद है. वह शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जाती है और इस बैंड के साथ टेक्नीशियन भी जाते हैं. वैज्ञानिक व ट्रेनर्स भी जाते हैं जो स्कूलों में बच्चों को साइंस के बारे में समझाते व बताते हैं. अंकिता ने बताया कि किस तरह से हमारी रोजमर्रा जिंदगी में मशीनों का इस्तेमाल होता फिर चाहे वह सोलर लाइट हो, कंक्रीट मिश्रण ट्रक हो या फिर बुनियादी ढांचे के विकास की मशीनें हो वह किस तरह से कार्य करती हैं. किस तरह से इसमें इलेक्ट्रिसिटी का प्रयोग होता है. इसके बारे में प्रेजेंटेशन के तौर पर दिखाया गया है. अंकिता ने बच्चों को सोलर लाइट व कृषि यंत्र के बारे में बताया. राजकीय महिला विद्यालय की छात्राओं ने बताया कि बहुत सारी चीजें जो हम रोज यूज़ करते हैं. जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या फिर बुनियादी ढांचे के विकास में जो मशीनें मदद करती हैं. उसके बारे में हमने एक प्रेजेंटेशन के तौर पर देखा. यह चीजें किताबों में कम समझ में आती हैं, क्योंकि वहां पर प्रैक्टिकल नहीं होता है, लेकिन आंचलिक विज्ञान केंद्र की मोबाइल वैन में सभी चीजें प्रैक्टिकली है. यहां पर चीजें आसानी से समझ में आ रही हैं.

आंचलिक विज्ञान केंद्र के परियोजना समन्वयक मोइनुद्दीन अंसारी ने बताया कि आंचलिक विज्ञान केंद्र में पहले दो मोबाइल वैन थीं. फिलहाल इस समय तीन वैन हो गई हैं. बीते 12 जनवरी को तीसरी वैन का उद्घाटन सुबह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी से किया. तीसरी मोबाइल वैन का नाम अर्थ गंगा है. इस समय यह वैन वाराणसी के घाट पर ही लगी हुई है. एक महीने के लिए यह वहां लगी रहेगी. यहां से पूरी टीम इस समय वाराणसी गई है. उन्होंने बताया कि मोबाइल वैन का उद्देश्य मात्र इतना है कि बच्चे व आम लोग साइंस के बारे में अच्छी तरह से जाने. यह मोबाइल वैन शहरीय और ग्रामीण क्षेत्र में विजिट पर जाती है और दो दिन के लिए स्कूल में ठहरती हैं और इन दो दिनों में बच्चों को साइंस की दुनिया में ले जाया जाता है. जहां पर उन्हें प्रयोगात्मक तरीके से हमारी जो ट्रेनर्स होते हैं वह उन्हें समझाते हैं.

उन्होंने कहा कि इस मोबाइल वैन में बहुत ही प्रयोगात्मक तरीके से सभी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में व्याख्या की गई है. वैन के अंदर भी बहुत सारी चीजों के बारे में प्रजेंट क्या क्या है. ट्रेनर्स जब ग्रामीण क्षेत्र में जाते हैं और बच्चों को साइंस की छोटी-छोटी चीजों के बारे में बताते हैं फिर उसके बाद उनसे खुद प्रश्न करते हैं कि उन्हें जो हमने बताया समझाया समझ में आया या नहीं आया. उन्होंने कहा कि हमारी ट्रेन और बताते हैं कि एक अच्छा फीडबैक हमें देखने को मिलता है जब हम स्कूल में जाते हैं बच्चों को सिखाते हैं और पढ़ाते हैं तो वह इस प्रेजेंटेशन के द्वारा चीजों को बहुत आसानी से सीख लेते हैं और जब हम पूछते हैं तो सरल भाषा में हमें जवाब भी देते हैं. एक अच्छे फीडबैक मिलने के कारण अब मोबाइल वैन को हम बढ़ावा दे रहे हैं. पहले दो मोबाइल वैन थी, लेकिन अब मौजूदा समय में तीन मोबाइल वैन हो गई है.

यह भी पढ़ें : Prayagraj News: विहिप मार्गदर्शक मंडल बैठक और संत सम्मेलन का होगा आयोजन, जानिए किन मुद्दों पर होगी चर्चा

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लखनऊ : आंचलिक विज्ञान नगरी अलीगंज में बच्चों के लिए काफी कुछ सीखने को है. आंचलिक विज्ञान केंद्र के द्वारा साइंस वैन चलाई जा रही है. इस वैन में साइंटिस्ट में मौजूद होते हैं जो लोगों को साइंस के बारे में बताते हैं और समझाते हैं किस तरह से सोलर लाइट का निर्माण हुआ, किस तरह से बल्ब का विष्कार हुआ. इस तरह की तमाम साइंस से जुड़ी बातों को लोगों को समझाते हैं वैज्ञानिक के मुताबिक यह काफी ज्यादा दिलचस्प होता है लोगों को तमाम चीजें सीखने का मौका मिलता है. आंचलिक विज्ञान केंद्र की इस पहल की हर ओर सराहना हो रही है.

आंचलिक विज्ञान केंद्र की ट्रेनर अंकिता सिंह ने बताया कि आंचलिक विज्ञान नगरी में जो मोबाइल वैन मौजूद है. वह शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जाती है और इस बैंड के साथ टेक्नीशियन भी जाते हैं. वैज्ञानिक व ट्रेनर्स भी जाते हैं जो स्कूलों में बच्चों को साइंस के बारे में समझाते व बताते हैं. अंकिता ने बताया कि किस तरह से हमारी रोजमर्रा जिंदगी में मशीनों का इस्तेमाल होता फिर चाहे वह सोलर लाइट हो, कंक्रीट मिश्रण ट्रक हो या फिर बुनियादी ढांचे के विकास की मशीनें हो वह किस तरह से कार्य करती हैं. किस तरह से इसमें इलेक्ट्रिसिटी का प्रयोग होता है. इसके बारे में प्रेजेंटेशन के तौर पर दिखाया गया है. अंकिता ने बच्चों को सोलर लाइट व कृषि यंत्र के बारे में बताया. राजकीय महिला विद्यालय की छात्राओं ने बताया कि बहुत सारी चीजें जो हम रोज यूज़ करते हैं. जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या फिर बुनियादी ढांचे के विकास में जो मशीनें मदद करती हैं. उसके बारे में हमने एक प्रेजेंटेशन के तौर पर देखा. यह चीजें किताबों में कम समझ में आती हैं, क्योंकि वहां पर प्रैक्टिकल नहीं होता है, लेकिन आंचलिक विज्ञान केंद्र की मोबाइल वैन में सभी चीजें प्रैक्टिकली है. यहां पर चीजें आसानी से समझ में आ रही हैं.

आंचलिक विज्ञान केंद्र के परियोजना समन्वयक मोइनुद्दीन अंसारी ने बताया कि आंचलिक विज्ञान केंद्र में पहले दो मोबाइल वैन थीं. फिलहाल इस समय तीन वैन हो गई हैं. बीते 12 जनवरी को तीसरी वैन का उद्घाटन सुबह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी से किया. तीसरी मोबाइल वैन का नाम अर्थ गंगा है. इस समय यह वैन वाराणसी के घाट पर ही लगी हुई है. एक महीने के लिए यह वहां लगी रहेगी. यहां से पूरी टीम इस समय वाराणसी गई है. उन्होंने बताया कि मोबाइल वैन का उद्देश्य मात्र इतना है कि बच्चे व आम लोग साइंस के बारे में अच्छी तरह से जाने. यह मोबाइल वैन शहरीय और ग्रामीण क्षेत्र में विजिट पर जाती है और दो दिन के लिए स्कूल में ठहरती हैं और इन दो दिनों में बच्चों को साइंस की दुनिया में ले जाया जाता है. जहां पर उन्हें प्रयोगात्मक तरीके से हमारी जो ट्रेनर्स होते हैं वह उन्हें समझाते हैं.

उन्होंने कहा कि इस मोबाइल वैन में बहुत ही प्रयोगात्मक तरीके से सभी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में व्याख्या की गई है. वैन के अंदर भी बहुत सारी चीजों के बारे में प्रजेंट क्या क्या है. ट्रेनर्स जब ग्रामीण क्षेत्र में जाते हैं और बच्चों को साइंस की छोटी-छोटी चीजों के बारे में बताते हैं फिर उसके बाद उनसे खुद प्रश्न करते हैं कि उन्हें जो हमने बताया समझाया समझ में आया या नहीं आया. उन्होंने कहा कि हमारी ट्रेन और बताते हैं कि एक अच्छा फीडबैक हमें देखने को मिलता है जब हम स्कूल में जाते हैं बच्चों को सिखाते हैं और पढ़ाते हैं तो वह इस प्रेजेंटेशन के द्वारा चीजों को बहुत आसानी से सीख लेते हैं और जब हम पूछते हैं तो सरल भाषा में हमें जवाब भी देते हैं. एक अच्छे फीडबैक मिलने के कारण अब मोबाइल वैन को हम बढ़ावा दे रहे हैं. पहले दो मोबाइल वैन थी, लेकिन अब मौजूदा समय में तीन मोबाइल वैन हो गई है.

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