लखनऊ : गोमती नगर विस्तार में 100 करोड़ की छह प्लाटों को मात्र एक करोड़ रुपये में बिल्डर के हवाले कर देने के मामले में जांच में सामने आ चुका है कि बड़ा घोटाला हुआ था. लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने लिख कर दिया है कि तत्कालीन उपाध्यक्ष इसके लिए जिम्मेदार थे. इसके बावजूद सेवानिवृत्त IAS सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही. सत्येंद्र कुमार सिंह पहले भी प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जांच में कई घोटालों के आरोप में घिरे हुए हैं. इसके बावजूद लगातार सत्येंद्र कुमार सिंह हर तरह की कार्रवाई से बचते हुए नजर आ रहे हैं. यह बात दीगर है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अब अपने स्तर से जांच बैठा दी है. गोमती नगर विस्तार के मामले में किस तरह से खेल हुआ है. उसमें उपाध्यक्ष, अन्य अधिकारी और कर्मचारी किस तरह से जिम्मेदार हैं. इसका पूरा सिजरा जल्द ही खुलेगा.

बता दें, सत्येंद्र कुमार सिंह 2014 से 2016 के बीच लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे थे. इस दौरान उनके समय में अनेक घोटाले सामने आए थे. समायोजन से लेकर जमीन को इधर से उधर कर देने के मामले में सत्येंद्र सिंह खासे कुख्यात रहे थे. 2016 में उनकी लखनऊ विकास प्राधिकरण से विदाई हो गई थी. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ कई बार मामले सामने आए. अलग-अलग मामलों में वे सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच में घिरे मगर उन पर कोई आंच नहीं आई.
इसके अलावा गोमतीनगर विस्तार में छह प्लाट के अवैध समायोजन को लेकर भी जिम्मेदार सत्येंद्र कुमार सिंह ही माने जा रहे हैं. उनके समय में 2015 में ही नदी के जलमग्न क्षेत्र की भूमि का समायोजन छह बेशकीमती प्लॉटों के बदले कर दिया गया था. इस मामले में केवल एक करोड़ रुपये के बदले में 100 करोड़ रुपये के प्लाट दिए गए. फिलहाल एलडीए ने यह जमीन वापस ले ली है, मगर सत्येंद्र कुमार सिंह पर कोई आंच नहीं आई है. बहरहाल एलडीए के मुखिया बड़ी कार्रवाई का संकेत दे रहे हैं.