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नाबालिग से रेप मामले में SC-ST एक्ट की विशेष कोर्ट ने दोषी को दी उम्रकैद की सजा

लखनऊ में नाबालिग के साथ रेप करने के मामले में एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने नन्हकू को दोषी करार दिया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है.

नाबालिग से रेप मामले में SC-ST एक्ट की विशेष कोर्ट ने दोषी को दी उम्रकैद की सजा
नाबालिग से रेप मामले में SC-ST एक्ट की विशेष कोर्ट ने दोषी को दी उम्रकैद की सजा
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Published : Jan 30, 2021, 8:27 PM IST

लखनऊः राजधानी में नाबालिग के साथ रेप मामले में एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने नन्हकू को दोषी करार दिया है. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उसपर 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने कहा है कि दोषी दया का पात्र नहीं है, और इसका अपराध माफ करने के लायक नहीं है.

दोषी को उम्रकैद की सजा

उम्रकैद का ये फैसला विशेष जज जगन्नाथ मिश्र ने पारित किया है. मामले की एफआईआर 23 दिसंबर 2001 को पीड़ित के पिता ने थाना काकोरी में दर्ज करायी थी. एफआईआर में कहा गया था कि वादी की नाबालिग बेटी के साथ नन्हकू ने रेप किया है. पुलिस विवेचना के बाद इस मामले में नन्हकू के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366 और 376 के साथ ही एससीएसटी एक्ट की धाराओं में भी आरोप-पत्र दाखिल किया था.

नन्हकू की ओर से दलील दी गयी थी कि पीड़ित अपनी मर्जी से साथ गयी थी. जिसकी वजह से उसपर अपहरण का मामला नहीं बनता है. पीड़ित के साथ जो भी संबंध बने, वे पीड़ित की मर्जी से बने. हालांकि कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त की ओर से दी गयी दलीलें पीड़ित के मजिस्ट्रेटी बयान के विपरीत है. कोर्ट ने उसे दोषी माना और उम्र कैद की सजा दी.

लखनऊः राजधानी में नाबालिग के साथ रेप मामले में एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने नन्हकू को दोषी करार दिया है. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उसपर 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने कहा है कि दोषी दया का पात्र नहीं है, और इसका अपराध माफ करने के लायक नहीं है.

दोषी को उम्रकैद की सजा

उम्रकैद का ये फैसला विशेष जज जगन्नाथ मिश्र ने पारित किया है. मामले की एफआईआर 23 दिसंबर 2001 को पीड़ित के पिता ने थाना काकोरी में दर्ज करायी थी. एफआईआर में कहा गया था कि वादी की नाबालिग बेटी के साथ नन्हकू ने रेप किया है. पुलिस विवेचना के बाद इस मामले में नन्हकू के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366 और 376 के साथ ही एससीएसटी एक्ट की धाराओं में भी आरोप-पत्र दाखिल किया था.

नन्हकू की ओर से दलील दी गयी थी कि पीड़ित अपनी मर्जी से साथ गयी थी. जिसकी वजह से उसपर अपहरण का मामला नहीं बनता है. पीड़ित के साथ जो भी संबंध बने, वे पीड़ित की मर्जी से बने. हालांकि कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त की ओर से दी गयी दलीलें पीड़ित के मजिस्ट्रेटी बयान के विपरीत है. कोर्ट ने उसे दोषी माना और उम्र कैद की सजा दी.

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