लखनऊ : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद राजनीति शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी ने योगी राज को जंगल राज करार देते हुए ट्वीट किया कि "4 साल के भीतर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 42 साधु-संतों की हत्या हुई है."
ट्वीट करते हुए समाजवादी पार्टी ने लिखा "यूपी की BJP सरकार का जंगलराज, देवकार्य में लगे साधुओं पर जानलेवा वार, पूरा कार्यकाल, बना काल! पिछले चार सालों में 42 साधु - संतों की हत्या. किसी को मारी गोली, तो किसी की संदिग्ध हालातों में रहस्मयी मौत. अभी तक किसी को क्यों नहीं मिला न्याय? जवाब दे सरकार.
आपको बता दें कि 2019 में श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध हालात में मौत का राज अभी भी खुल नहीं सका. इसी तरह 2018 में देवरिया में साधु सज्जाराम, हरभजन और चेले की हत्या, रायबरेली में पुजारी प्रेमदास की हत्या भी चर्चा में रही. 2019 में रायबरेली के ऊंचाहार में राम जानकी मंदिर के पुजारी बाबा प्रेमदास का मंदिर के गेट पर लटका मिला था.
संतों में नरेंद्र गिरि की मौत पर बड़ी नाराजगी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के बाद संतों में भी बड़ी नाराजगी है! अमेठी से आये हमेशा सुर्खियों में रहे मौनी बाबा ने कहा की इतने सरल स्वभाव के थे कि वह कभी आत्महत्या नहीं कर सकते हैं, जो हर परिस्थितियों में सामना करने को तैयार रहते थे. सरकार को चाहिए कि जो दोषी है उस पर कार्रवाई हो और इस घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए.
बीते बुधवार को योगी सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार अपराह्न सीबीआई की टीम प्रयागराज पहुंच गई है. इस टीम में पांच सदस्य हैं. केस हैंडओवर लेने से पहले सीबीआई की एक टीम केस की जानकारी ले रही है. सीबीआई के साथ पुलिस लाइन में एसआईटी टीम और प्रयागराज पुलिस के आलाधिकारी भी मौजूद हैं. सीबीआई ने FIR की कॉपी लेकर जांच की प्रक्रिया शुरु कर दी है.
बता दें कि 20 सितम्बर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने संदिग्ध अवस्था में सुसाइड कर लिया था. उनके कमरे से कई पन्नों वाला सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, जिसमें महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के लिए तीन नाम लिखे हुए थे. जिसमें सबसे पहला नाम महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य रहे स्वामी आनंद गिरि का जबकि दूसरा नाम लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी रहे आद्या तिवारी का था और तीसरा नाम आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी का लिखा हुआ था.
पुलिस ने आद्या तिवारी के अलावा आनंद गिरि को हरिद्वार से पकड़ लिया था, तभी से पुलिस आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी की तलाश कर रही थी, जिसे डीआईजी द्वारा गठित एसआईटी ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया, जबकि शाम को पुलिस आनंद गिरि और आद्या तिवारी को कोर्ट में भी पेश कर चुकी है, जहां से कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. संदीप तिवारी से पूछताछ के बाद उसे गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जा सकता है.
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बता दें कि संत और उनके अनुयायी लगातार उनके द्वारा आत्महत्या करने की बात को नकार रहे हैं. नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में सीबीआई जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव ने याचिका भी दाखिल की है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने भी सीबीआई जांच की मांग की थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने भी सच्चाई सामने लाने के लिए सीबीआई जांच की मांग की थी.