लखनऊ : भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे गंभीर आरोप के मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पिछले काफी समय से दलबदल करने और समाजवादी पार्टी में जाने की चर्चाएं हैं. ऐसे में अखिलेश यादव की चुप्पी के कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं.
दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं. सरकार की नीतियों को भी कठघरे में खड़ा करते हुए निशाना साधते रहे हैं. कानून व्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न जैसी घटनाओं के विरोध में भाजपा सरकार पर हमला बोलते रहे हैं. ऐसे में जब भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए तो केंद्र सरकार हरकत में आई और खेल मंत्रालय ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया. राजनीतिक दलों की तरफ से भी जांच की मांग की गई और इस्तीफे की भी मांग की गई, जबकि इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुप्पी साध रखी है. समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल या अखिलेश यादव ने इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अखिलेश यादव महिला उत्पीड़न के मुद्दे पर बृजभूषण शरण सिंह के मामले को लेकर पूरी तरह से मौन हैं. इसके पीछे कि जो राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं वह यह हैं कि बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर समाजवादी पार्टी के साथ अपनी सियासी दोस्ती आगे बढ़ा सकते हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही बृजभूषण शरण सिंह चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में फिर शामिल हो गए. पिछले कुछ समय से बृजभूषण शरण सिंह लगातार बीजेपी सरकार को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन कहते हैं कि 'समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हो सकता है भविष्य को देखकर इस मुद्दे पर कुछ न बोल रहे हों. बृजभूषण शरण सिंह पहले भी समाजवादी पार्टी में रह चुके हैं, इसलिए हो सकता है इस मुद्दे को अखिलेश यादव ज्यादा तवज्जो ना दे रहे हों. महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़े विषय में भारतीय जनता पार्टी और कुश्ती संघ हस्तक्षेप कर रहा है, ऐसे में वह इससे दूरी बनाए हुए हैं. हो सकता है भविष्य की कोई सियासी रणनीति उनके दिमाग में चल रही हो, जिसकी वजह से वह इस मुद्दे पर पूरी तरह से मौन हैं.
बृजभूषण शरण सिंह का सफर : भाजपा ने जब 1991 में बृजभूषण शरण सिंह को लोकसभा का टिकट दिया, तब इनके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज थे. वह बड़े अंतर से चुनाव जीते थे. बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था, जब उन पर अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़ाव के आरोप लगे. वर्ष 1996 में जब बृजभूषण टाडा के तहत तिहाड़ जेल में सजा काट रहे थे, तब उनकी पत्नी केतकी सिंह ने गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों से हराया. बाद में CBI ने इन सभी आरोपों से बृजभूषण को बरी कर दिया. भाजपा ने गोंडा से 2004 के लोकसभा चुनाव में बृजभूषण का टिकट काटकर घनश्याम शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया था. 26 अप्रैल 2004 को वोटिंग वाले दिन घनश्याम शुक्ला का रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया. बृजभूषण शरण सिंह BJP छोड़कर सपा में शामिल हो गए. वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कैसरगंज सीट से सपा के टिकट पर लड़ा और जीत दर्ज की. फिर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उनकी BJP में घर वापसी हो गई और तब से वह कैसरगंज से BJP के सांसद हैं.
2019 के चुनावी हलफनामे में बृजभूषण शरण सिंह ने बताया था कि 'वह करीब 10 करोड़ रुपये (9,89,05,402) की प्रॉपर्टी के मालिक हैं, जबकि उन पर 6 करोड़ से ज्यादा (6,15,24,735) की देनदारी है.' बृजभूषण शरण सिंह कुल 40,185,787 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं, तो उनकी पत्नी के पास 63,444,541 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है. बृजभूषण शरण सिंह ने चुनावी हलफनामे में बताया था कि 'उनके नाम पर 1,57,96,317 की चल संपत्ति है, जबकि उनकी पत्नी के नाम पर 2,54,44,541 रुपए की चल संपत्ति है.'