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साक्षी महाराज के विवादित बोल, कहा- इस्लाम में नहीं मिलेगा 'ज्ञानवापी' शब्द

उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज दो दिन से कुंभ नगरी हरिद्वार में हैं. उन्होंने निर्मल अखाड़े की धर्मध्वजा स्थापित होने के अवसर पर कहा है कि ज्ञानवापी विवाद का स्थान नहीं है. यह शब्द इस्लाम में नहीं मिलेगा.

उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज
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Published : Apr 10, 2021, 3:04 PM IST

हरिद्वार: उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज दो दिन से कुंभ नगरी हरिद्वार में हैं. आज निर्मल अखाड़े की धर्मध्वजा स्थापित होने के अवसर पर साक्षी महाराज ने कहा है कि ज्ञानवापी विवाद का स्थान नहीं है. यह शब्द इस्लाम में नहीं मिलेगा. इसका अर्थ ज्ञान का सरोवर है. ज्ञान के प्रदाता भगवान शिव हैं. भगवान शिव का वह स्थान है. पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण कर रहा है और कोर्ट अपना कार्य कर रहा है.

सांसद साक्षी महाराज

उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं. इसके चलते उन्हें विश्वास है कि ज्ञानवापी के साथ न्याय होगा. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के साथ मस्जिद क्यों जोड़ दिया गया. उन्हें विश्वास है कि जिस प्रकार राममंदिर को भव्यता और दिव्यता दी जा रही है उसी तरह की भव्यता और दिव्यता ज्ञानवापी को भी मिलेगी.

इसे भी पढ़े:-काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में कोर्ट का आदेश, पुरातत्व विभाग करेगा सर्वे

बंगाल के चुनाव पर साक्षी महाराज ने कहा कि वहां की जनता ने दीदी को हटाने का मन बना लिया है. मोदी और शाह सबका साथ सबका विकास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से किसानों के लिए जो मदद दी गयी थी दीदी ने वह किसानों तक नहीं पहुंचने दी. इससे वहां की जनता में भी आक्रोश है. अब थोड़ा समय बचा है. निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी.

ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में स्थित

काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है. इसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत में चल रहा है. पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे हटने के नियम के बाद एक बार फिर से वाराणसी न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है. मौजूदा स्तिथि पर लगातार तारीख पड़ती जा रही थी और हिन्दू पक्ष इस पूरे इलाके को आर्कोलॉजी ऑफ सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वे कराने की मांग कर रहा है.

1991 में दायर मुकदमे में की गई थी यह मांग

1991 में दायर मुकदमा में मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है, जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ और दर्शन का अधिकार है. कोर्ट से यह मांग करते हुए प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने मुकदमा दायर किया था. मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और अन्य विपक्षी हैं. मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है. इसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना दी है.

कौन हैं साक्षी महाराज ?

स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी, जिन्हें साक्षी महाराज के नाम से जाना जाता है, भाजपा से जुड़े एक धार्मिक नेता हैं. वे उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से हैं. उन्होंने उन्नाव निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा. 3,10,173 मतों के अंतर से जीत हासिल की. अपने साथियों के बीच साक्षी महाराज के रूप में प्रसिद्ध हैं. उन पर बलात्कार, हत्या और अपहरण से लेकर कई आपराधिक षड्यंत्रों के आरोप लगे. उन्हें कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं होने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था. उन्होंने 1991 में मथुरा संसदीय चुनाव और 1996 तथा 1998 में भाजपा के टिकट से फर्रूखाबाद से संसदीय चुनाव लड़ा.

हरिद्वार: उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज दो दिन से कुंभ नगरी हरिद्वार में हैं. आज निर्मल अखाड़े की धर्मध्वजा स्थापित होने के अवसर पर साक्षी महाराज ने कहा है कि ज्ञानवापी विवाद का स्थान नहीं है. यह शब्द इस्लाम में नहीं मिलेगा. इसका अर्थ ज्ञान का सरोवर है. ज्ञान के प्रदाता भगवान शिव हैं. भगवान शिव का वह स्थान है. पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण कर रहा है और कोर्ट अपना कार्य कर रहा है.

सांसद साक्षी महाराज

उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं. इसके चलते उन्हें विश्वास है कि ज्ञानवापी के साथ न्याय होगा. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के साथ मस्जिद क्यों जोड़ दिया गया. उन्हें विश्वास है कि जिस प्रकार राममंदिर को भव्यता और दिव्यता दी जा रही है उसी तरह की भव्यता और दिव्यता ज्ञानवापी को भी मिलेगी.

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बंगाल के चुनाव पर साक्षी महाराज ने कहा कि वहां की जनता ने दीदी को हटाने का मन बना लिया है. मोदी और शाह सबका साथ सबका विकास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से किसानों के लिए जो मदद दी गयी थी दीदी ने वह किसानों तक नहीं पहुंचने दी. इससे वहां की जनता में भी आक्रोश है. अब थोड़ा समय बचा है. निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी.

ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में स्थित

काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है. इसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत में चल रहा है. पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे हटने के नियम के बाद एक बार फिर से वाराणसी न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है. मौजूदा स्तिथि पर लगातार तारीख पड़ती जा रही थी और हिन्दू पक्ष इस पूरे इलाके को आर्कोलॉजी ऑफ सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वे कराने की मांग कर रहा है.

1991 में दायर मुकदमे में की गई थी यह मांग

1991 में दायर मुकदमा में मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है, जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ और दर्शन का अधिकार है. कोर्ट से यह मांग करते हुए प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने मुकदमा दायर किया था. मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और अन्य विपक्षी हैं. मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है. इसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना दी है.

कौन हैं साक्षी महाराज ?

स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी, जिन्हें साक्षी महाराज के नाम से जाना जाता है, भाजपा से जुड़े एक धार्मिक नेता हैं. वे उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से हैं. उन्होंने उन्नाव निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा. 3,10,173 मतों के अंतर से जीत हासिल की. अपने साथियों के बीच साक्षी महाराज के रूप में प्रसिद्ध हैं. उन पर बलात्कार, हत्या और अपहरण से लेकर कई आपराधिक षड्यंत्रों के आरोप लगे. उन्हें कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं होने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया था. उन्होंने 1991 में मथुरा संसदीय चुनाव और 1996 तथा 1998 में भाजपा के टिकट से फर्रूखाबाद से संसदीय चुनाव लड़ा.

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