ETV Bharat / state

रूस यूक्रेन युद्ध : किचन तक पहुंची आंच, जानिए आपको कैसे चुकानी पड़ सकती है इस लड़ाई की कीमत - विशेषज्ञों और कारोबारियों की राय

विशेषज्ञों और कारोबारियों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आंच भारत पर भारी पड़ सकती है. इस लड़ाई की भारी कीमत लोगों को उठानी पड़ सकती है. जरूरी सामान महंगे होने की आशंका है.

विशेषज्ञों और कारोबारियों की राय
विशेषज्ञों और कारोबारियों की राय
author img

By

Published : Feb 26, 2022, 9:24 AM IST

लखनऊः रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आंच अब आपके घर तक पहुंच रही है. इस लड़ाई की भारी कीमत अब आपको भी उठानी पड़ सकती है. यह युद्ध आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. दूध, अंड़ा, ब्रेड से लेकर दूसरे जरीरू सामान तक महंगे होने की आशंका है. राजधानी के विशेषज्ञों और कारोबारियों का कहना है कि युद्ध के कारण शेयर मार्केट गिरा. सिर्फ लखनऊ में निवेशकों को करीब एक हजार करोड़ का झटका लगा है. सोना और चांदी तक महंगा हो चला. वहीं, तेल की कीमतें बढ़ने की भी आशंका है. इसका सीधा-सीधा चीजों की कीमतों पर पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि युद्ध के कारण कच्चे तेल में अपेक्षित वृद्धि महंगाई को बढ़ावा देगा, जबकि सोने की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि भी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का कारण बनेगी. दूसरी ओर रुपया कमजोर होने की आशंका है जो निश्चित रूप से भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित करेगा. उन्होंने बताया कि चालू वर्ष में भारत का कुल तेल आयात 25.8 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई.

विशेषज्ञों और कारोबारियों की राय

थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी 9% है. कच्चे तेल में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और मुद्रास्फीति बढ़ेगी. इससे सभी वस्तुओं के दाम में वृद्धि होने की आशंका है . माल की विनिर्माण और परिवहन लागत अधिक महंगी हो जाएगी. कच्चे तेल का इस्तेमाल , प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, पेंट और कई अन्य वस्तुओं आदि के निर्माण में किया जाता है जो कीमतों को और बढ़ाने का कारक बनेगा.

यह भी पढ़ें: यूक्रेन में पढ़ाई करने गए UP के कई छात्र फंसे, परिजनों ने लगाई सरकार से मदद की गुहार

ऐसे प्रभावित हो रहा व्यापार

कच्चे तेल के अलावा, भारत दवा कच्चे माल, सूरजमुखी, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा और इस्पात आदि का यूक्रेन से आयात करता है, जबकि भारत फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन, मशीनरी और मशीनरी सामान आदि का निर्यात करता है. दूसरी ओर, रूस भारत के साथ व्यापार में 25वां सबसे बड़ा भागीदार है. रूस को 2.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जाता है और रूस से $6.9 बिलियन डॉलर का आयात करता है. व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने कहा कि भारत के व्यापारी सामान्य तौर पर यूक्रेन के आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करते है, जो अब अनिश्चितकालीन के लिए फंसने की उम्मीद है. यूक्रेन से आने वाले शिपमेंट यदि फंस जाते हैं तो निश्चित रूप से इसका भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा.

विशेषज्ञ का पक्ष

लखनऊ विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग की डॉ. संगीता साहू ने बताया कि शेयर मार्केट में गिरावट इसका त्वरित असर है. जो सबको देखने को मिल रहा है लेकिन, आने वाले समय में यह देश की पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना वाला है. तेल की कीमतें का सीधा असर महंगाई पर दिखता है. तेल महंगा होगा तो रोजमर्रा के हर सामान की कीमतें बढ़ जाएंगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊः रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आंच अब आपके घर तक पहुंच रही है. इस लड़ाई की भारी कीमत अब आपको भी उठानी पड़ सकती है. यह युद्ध आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. दूध, अंड़ा, ब्रेड से लेकर दूसरे जरीरू सामान तक महंगे होने की आशंका है. राजधानी के विशेषज्ञों और कारोबारियों का कहना है कि युद्ध के कारण शेयर मार्केट गिरा. सिर्फ लखनऊ में निवेशकों को करीब एक हजार करोड़ का झटका लगा है. सोना और चांदी तक महंगा हो चला. वहीं, तेल की कीमतें बढ़ने की भी आशंका है. इसका सीधा-सीधा चीजों की कीमतों पर पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि युद्ध के कारण कच्चे तेल में अपेक्षित वृद्धि महंगाई को बढ़ावा देगा, जबकि सोने की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि भी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का कारण बनेगी. दूसरी ओर रुपया कमजोर होने की आशंका है जो निश्चित रूप से भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित करेगा. उन्होंने बताया कि चालू वर्ष में भारत का कुल तेल आयात 25.8 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई.

विशेषज्ञों और कारोबारियों की राय

थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी 9% है. कच्चे तेल में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और मुद्रास्फीति बढ़ेगी. इससे सभी वस्तुओं के दाम में वृद्धि होने की आशंका है . माल की विनिर्माण और परिवहन लागत अधिक महंगी हो जाएगी. कच्चे तेल का इस्तेमाल , प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, पेंट और कई अन्य वस्तुओं आदि के निर्माण में किया जाता है जो कीमतों को और बढ़ाने का कारक बनेगा.

यह भी पढ़ें: यूक्रेन में पढ़ाई करने गए UP के कई छात्र फंसे, परिजनों ने लगाई सरकार से मदद की गुहार

ऐसे प्रभावित हो रहा व्यापार

कच्चे तेल के अलावा, भारत दवा कच्चे माल, सूरजमुखी, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा और इस्पात आदि का यूक्रेन से आयात करता है, जबकि भारत फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन, मशीनरी और मशीनरी सामान आदि का निर्यात करता है. दूसरी ओर, रूस भारत के साथ व्यापार में 25वां सबसे बड़ा भागीदार है. रूस को 2.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जाता है और रूस से $6.9 बिलियन डॉलर का आयात करता है. व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने कहा कि भारत के व्यापारी सामान्य तौर पर यूक्रेन के आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करते है, जो अब अनिश्चितकालीन के लिए फंसने की उम्मीद है. यूक्रेन से आने वाले शिपमेंट यदि फंस जाते हैं तो निश्चित रूप से इसका भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा.

विशेषज्ञ का पक्ष

लखनऊ विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग की डॉ. संगीता साहू ने बताया कि शेयर मार्केट में गिरावट इसका त्वरित असर है. जो सबको देखने को मिल रहा है लेकिन, आने वाले समय में यह देश की पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना वाला है. तेल की कीमतें का सीधा असर महंगाई पर दिखता है. तेल महंगा होगा तो रोजमर्रा के हर सामान की कीमतें बढ़ जाएंगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.