ETV Bharat / state

तलाक के बाद भी पत्नी को पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार - Lucknow court news

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा है कि तलाक के बाद भी पत्नी को पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार है.

पति के साथ नहीं रहना चाहती पत्नी, फिर भी भरण-पोषण का है अधिकार- पत्नी के विरुद्ध वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री का गुजारा-भत्ते पर प्रभाव नहीं
पति के साथ नहीं रहना चाहती पत्नी, फिर भी भरण-पोषण का है अधिकार- पत्नी के विरुद्ध वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री का गुजारा-भत्ते पर प्रभाव नहीं
author img

By

Published : May 6, 2022, 9:05 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा है कि पत्नी के विरुद्ध वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री (सक्षम न्यायालय के निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति ) होने के बावजूद, उसे भरण-पोषण पाने का अधिकार है. न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि तलाक के बाद भी पत्नी को अपने पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार है. न्यायालय ने परिवार न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें कहा गया था कि पत्नी अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती लिहाजा वह भरण-पोषण पाने का भी अधिकार नहीं रखती.

यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने पत्नी के पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया. याची ने सुल्तानपुर जनपद के प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय के 28 मई 2019 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें प्रधान न्यायाधीश ने याची की सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दाखिल भरण-पोषण की अर्जी को खारिज कर दिया था.

परिवार न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि याची को उसके पति की ओर से दाखिल वैवाहिक अधिकारों की बहाली संबंधी मुकदमे की जानकारी थी लेकिन वह उस मुकदमे में हाजिर नहीं हुई व उसके विरुद्ध पति को वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री भी मिल चुकी है. परिवार न्यायालय ने कहा था कि वास्तव में पत्नी को उसके पति ने नहीं छोड़ा है बल्कि वह स्वयं पति के साथ रहना ही नहीं चाहती लिहाजा उसे गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार नहीं है.

न्यायालय ने परिवार न्यायालय के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि याची की अपने पति से विधिमान्य विवाह हुआ है लिहाजा उसे भरण-पोषण करना ही पड़ेगा. न्यायालय ने आगे कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री पति के पक्ष में होने से पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार नहीं खो देती. उक्त डिक्री के आधार पर भरण-पोषण दिलाने से इंकार कर देना बहुत ही कठोर है. न्यायालय ने मामले को सम्बंधित अदालत को वापस भेजते हुए, पुनः निर्णय लेने का आदेश दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा है कि पत्नी के विरुद्ध वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री (सक्षम न्यायालय के निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति ) होने के बावजूद, उसे भरण-पोषण पाने का अधिकार है. न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि तलाक के बाद भी पत्नी को अपने पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार है. न्यायालय ने परिवार न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें कहा गया था कि पत्नी अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती लिहाजा वह भरण-पोषण पाने का भी अधिकार नहीं रखती.

यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने पत्नी के पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया. याची ने सुल्तानपुर जनपद के प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय के 28 मई 2019 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें प्रधान न्यायाधीश ने याची की सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दाखिल भरण-पोषण की अर्जी को खारिज कर दिया था.

परिवार न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि याची को उसके पति की ओर से दाखिल वैवाहिक अधिकारों की बहाली संबंधी मुकदमे की जानकारी थी लेकिन वह उस मुकदमे में हाजिर नहीं हुई व उसके विरुद्ध पति को वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री भी मिल चुकी है. परिवार न्यायालय ने कहा था कि वास्तव में पत्नी को उसके पति ने नहीं छोड़ा है बल्कि वह स्वयं पति के साथ रहना ही नहीं चाहती लिहाजा उसे गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार नहीं है.

न्यायालय ने परिवार न्यायालय के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि याची की अपने पति से विधिमान्य विवाह हुआ है लिहाजा उसे भरण-पोषण करना ही पड़ेगा. न्यायालय ने आगे कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली की डिक्री पति के पक्ष में होने से पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार नहीं खो देती. उक्त डिक्री के आधार पर भरण-पोषण दिलाने से इंकार कर देना बहुत ही कठोर है. न्यायालय ने मामले को सम्बंधित अदालत को वापस भेजते हुए, पुनः निर्णय लेने का आदेश दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.