लखनऊ: कोरोना महामारी ने जहां लोगों का जीना दुष्वार कर दिया है. वहीं, राजधानी में आवागमन की रफ्तार भी धीमी हो गई है. प्रदेश अनलॉक होने के बाद रोडवेज की बसें, ट्रेनों का परिचालन की गति धीरे-धीरे पटरी पर उतर रही है. रेलवे स्टेशन, रोडवेज की रफ्तार कम धीमे होने का सीधा असर रिक्शा चालकों पर पड़ा है. क्योंकि इनकी वजह से ही रिक्शा चालकों को सवारियां मिलती थीं. जो अब नहीं मिल पा रही है. जिससे इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
दिन भर रिक्शा चलाने के बाद भी सवारियां न मिलने से मजबूर रिक्शा चालक खाली हाथ घर लौट रहे हैं. ऐसे में परिवार का पेट पालना काफी मुश्किल हो गया है. सवारियां न मिलने से इनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. राजधानी में गुरुद्वारा और समाजसेवियों के द्वारा चलाई जा रही रसोई की बदौलत ही इन रिक्शा चालकों का पेट भर रहा है. वहीं सरकार की तरफ से इनके लिए कोई इंतजाम भी नहीं किया गया है. जिससे ये नाराज हैं.
जिंदगी पर भारी पड़ा लॉकडाउन
मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरने वाले मजदूर वर्ग के सामने लॉकडाउन किसी मुसीबत से कम नहीं. इस दौरान जहां निर्माण कार्य प्रभावित है तो वहीं सड़कों पर पैर से रिक्शा खींचने वाले भी परेशान हैं. क्योंकि इन दिनों रोडवेज, ट्रेन का परिचालन सीमित संख्या में हो रहा है. वही यहां से निकलने वाली सवारियां कम हो गई हैं. जिसका खामियाजा इन्हें (रिक्शा चालक) भुगतान पड़ रहा है. ऐसे में राजधानी के रिक्शा चालकों को अपने परिवार का पेट पालना काफी मुश्किल हो रहा है.
'लंगर न चलता तो भूखे मर जाते'
राजधानी में वैसे तो 5 हजार से ज्यादा रिक्शा सड़कों पर दौड़ रही है. पैर से चलने वाले इन रिक्शा चालकों को पहले ही ई-रिक्शा से काफी नुकसान पहुंचा है, लेकिन समय के साथ इन्होंने अपने धैर्य और मेहनत के बल पर हार नहीं मानी. लेकिन कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से इन रिक्शा चालकों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है.
राजधानी में रिक्शा चलाने वाले राजेश बताते हैं कि ये दिन काफी मुश्किलों भरा है. कभी सवारियां मिलती है तो कभी नहीं मिलती. ऐसे में रिक्शे का भाड़ा भरना भी मुश्किल हो रहा है. अगर गुरुद्वारे का लंगर नहीं होता तो उन्हें भूखे ही रहना पड़ता. रिक्शा चालक रामू बताते हैं कि समय बहुत खराब चल रहा है. दिन भर खाली रिक्शा लेकर घूमना पड़ता है. सवारियां नहीं मिल रही हैं. ऐसे में परिवार का पेट पालना काफी मुश्किल हो रहा है.
रिक्शा चालकों को नहीं मिल रहा सरकार का साथ
प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए गरीब राशन कार्ड धारकों को जहां एक तरफ 3 महीने का मुफ्त राशन देने का ऐलान किया है. वहीं ठेला, रेहड़ी लगाने वालों के लिए राहत का ऐलान किया है. मेहनत मजदूरी करके रिक्शा चलाने वाले के लिए सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई है. इसकी वजह से वे निराश है. सरकार की तरफ से इस बार कम्युनिटी किचन भी नहीं चल रहा है. जबकि पिछले साल इस किचन की बदौलत ही जरूरतमंदों को खाने के पैकेट मिल रहे थे और लोगों का पेट भर जा रहा था.
गरीबों के लिए संजीवनी बने हैं गुरुद्वारे
राजधानी के सभी गुरुद्वारों के माध्यम से लंगर सेवा इन दिनों चालू है. गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने फैसला लिया था कि वह गरीबों का पेट पालने के लिए लंगर सेवा चालू रखेंगे. दूसरी तरफ गुरुद्वारों से एंबुलेंस सेवा, ऑक्सीजन की लंगर सेवा जैसे काम भी किए जा रहे हैं. इसके चलते इस महामारी में जरूरतमंदों को फायदा पहुंच रहा है.
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