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महिलाओं के प्रति अपराध पर लगाम के लिए हैं कड़े कानून, फिर भी क्यों नहीं लग रही लगाम

महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं, बावजूद इसके घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि समाज का ताना-बाना ऐसा बनाना होगा, जिससे महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव आए.

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Published : Dec 13, 2019, 11:50 PM IST

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महिलाओं के प्रति नहीं रूक रहे अपराध.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में दुष्कर्म और हत्या के मामले सामने आए हैं, जिसको लेकर लोगों में काफी गुस्सा व आक्रोश है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम कब लगेगी? जानकारों से बातचीत में यह सामने आया कि पुलिस को महिला दुष्कर्म व हत्या के मामले में सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है. पुलिस घटना के बाद गुनाहगारों को जेल पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है.

जानकारी देते संवाददाता.

आखिरकार कैसे सुधरेगा समाज

हमारे पास महिला अपराधों व दुष्कर्म को रोकने के लिए तमाम कड़े कानून व पुलिस सिस्टम हैं. सिर्फ कड़े कानून लागू कर देने से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध नहीं रुकेंगे. समाज का ताना-बाना ऐसा बनाना होगा, जिससे महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव आए.
- सी बी पांडेय, पूर्व न्यायाधीश

सीधे तौर पर दुष्कर्म व महिला अपराधों के लिए पुलिस को जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए. ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिससे समाज से जुड़े हुए लोग पुलिस को अपना सहयोगी समझें. संदिग्धों की सूचना पुलिस को दी जाए, जिससे वह समय रहते उचित कार्रवाई कर सके.
- बृजलाल, पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश

ये भी पढ़ें- राजधानी लखनऊ में डबल मर्डर से सनसनी, जांच में सामने आई लूट की बात


महिला के प्रति अपराध रोकने के लिए आईपीसी की धाराएं

  • धारा 376 - इस धारा के अंतर्गत अलग-अलग सजा का प्रावधान है. सामूहिक दुष्कर्म के मामले में न्यायालय फांसी और दुष्कर्म की घटना में अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है.
  • धारा 294- इस धारा के अंतर्गत महिलाओं को बेइज्जत करने, सार्वजनिक स्थान पर गालियां देने, उनको देखकर अश्लील गाने बजाने पर कई वर्षों की सजा हो सकती है.
  • धारा 354 - महिला की लज्जा भंग करना व उसके साथ बल प्रयोग करने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कारावास की सजा का प्रावधान है.
  • धारा 364 - हत्या के उद्देश्य से महिला का अपहरण करने पर कठोर सजा के प्रावधान हैं.
  • धारा 366 - महिला को विवाह के लिए विवश करने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कठोर सजा का प्रावधान है.
  • धारा 371 -किसी महिला के साथ नौकर की तरह व्यवहार करने पर इस धारा के अंतर्गत कई वर्ष की सजा का प्रावधान है.
  • धारा 372 -नाबालिग बालिका को वेश्यावृत्ति के लिए बेचना व भाड़े पर देने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कई वर्षों की सजा दी जाती है.
  • पॉक्सो एक्ट 2012 - बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों पर रोक लगाने के लिए इसके अंतर्गत उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में दुष्कर्म और हत्या के मामले सामने आए हैं, जिसको लेकर लोगों में काफी गुस्सा व आक्रोश है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम कब लगेगी? जानकारों से बातचीत में यह सामने आया कि पुलिस को महिला दुष्कर्म व हत्या के मामले में सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है. पुलिस घटना के बाद गुनाहगारों को जेल पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है.

जानकारी देते संवाददाता.

आखिरकार कैसे सुधरेगा समाज

हमारे पास महिला अपराधों व दुष्कर्म को रोकने के लिए तमाम कड़े कानून व पुलिस सिस्टम हैं. सिर्फ कड़े कानून लागू कर देने से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध नहीं रुकेंगे. समाज का ताना-बाना ऐसा बनाना होगा, जिससे महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव आए.
- सी बी पांडेय, पूर्व न्यायाधीश

सीधे तौर पर दुष्कर्म व महिला अपराधों के लिए पुलिस को जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए. ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिससे समाज से जुड़े हुए लोग पुलिस को अपना सहयोगी समझें. संदिग्धों की सूचना पुलिस को दी जाए, जिससे वह समय रहते उचित कार्रवाई कर सके.
- बृजलाल, पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश

ये भी पढ़ें- राजधानी लखनऊ में डबल मर्डर से सनसनी, जांच में सामने आई लूट की बात


महिला के प्रति अपराध रोकने के लिए आईपीसी की धाराएं

  • धारा 376 - इस धारा के अंतर्गत अलग-अलग सजा का प्रावधान है. सामूहिक दुष्कर्म के मामले में न्यायालय फांसी और दुष्कर्म की घटना में अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है.
  • धारा 294- इस धारा के अंतर्गत महिलाओं को बेइज्जत करने, सार्वजनिक स्थान पर गालियां देने, उनको देखकर अश्लील गाने बजाने पर कई वर्षों की सजा हो सकती है.
  • धारा 354 - महिला की लज्जा भंग करना व उसके साथ बल प्रयोग करने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कारावास की सजा का प्रावधान है.
  • धारा 364 - हत्या के उद्देश्य से महिला का अपहरण करने पर कठोर सजा के प्रावधान हैं.
  • धारा 366 - महिला को विवाह के लिए विवश करने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कठोर सजा का प्रावधान है.
  • धारा 371 -किसी महिला के साथ नौकर की तरह व्यवहार करने पर इस धारा के अंतर्गत कई वर्ष की सजा का प्रावधान है.
  • धारा 372 -नाबालिग बालिका को वेश्यावृत्ति के लिए बेचना व भाड़े पर देने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कई वर्षों की सजा दी जाती है.
  • पॉक्सो एक्ट 2012 - बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों पर रोक लगाने के लिए इसके अंतर्गत उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है.
Intro:note- खबर के संदर्भ में उन्नाव रेप कांड के विजुअल उन्नाव के अपने साथी वीरेंद्र जी ने भेजे हैं। मैनपुरी घटना से संबंधित विजुअल बीते दिनों मैंने भेजा था उठा लीजिए, आपकी सुविधा के लिए स्लग भेज रहा हूं।

note- मैनपुरी की घटना से जुड़े हुए विजुअल का स्लग- up_luc_01_manpuri_rape_case_pkg_7200985




एंकर




लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद उत्तर प्रदेश में कई बच्चियों के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले प्रकाश में आए। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन घटनाओं के पीछे पुलिस की लापरवाही को जिम्मेदार मानते हुए आला अधिकारियों के ट्रांसफर की है। अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में रेप व हत्या के मामले सामने आए हैं। जिसको लेकर लोगों में काफी गुस्सा व आक्रोश है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इन रेप व महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम कब लगेगी? पुलिस के आला अधिकारी लगातार महिला अपराधों पर लगाम लगाने के लिए दावे कर रहे हैं। लेकिन यह दावे जमीन पर उतरते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लगाने के लिए हमारे पास कई कठोर नियम मौजूद है। जिसके आधार पर अपराधी को सो मौत की सजा दी जा सकती है। लेकिन इन तमाम नियमों कानून, कठिन सजा व पुलिस की सक्रियता के बावजूद महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है।





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आखिर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम क्यों नहीं लग पाती है? इस सवाल को लेकर हमने कई जानकारों से बातचीत की जिसमें यह बात निकलकर आई कि पुलिस को महिला दुष्कर्म व हत्या के मामले में सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है। क्योंकि, पुलिस घटना के बाद गुनाहगारों को जेल पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं। सामान्यता देखा जाता है कि रेप की घटनाएं व महिला अपराध परिवार रिश्तेदार या दोस्तों से जुड़े होते हैं या फिर आकस्मिक घटना होती है। ऐसे में पुलिस द्वारा इन घटनाओं के बारे में पहले से जानकारी जुटाना लगभग असंभव होता है। अगर महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म व अपराधों पर लगाम लगानी है तो एक बेहतर सामाजिक ताना-बाना बनाना होगा और पुलिस की ऐसी व्यवस्था लागू करनी होगी जिससे समाज की कनेक्टिविटी पुलिस के साथ बेहतर हो और लोग आस-पड़ोस मैं ऐसे जो कि संदिग्ध प्रतीत होते हैं उनकी सूचना पुलिस को दी जाए, जिससे पुलिस इनको पहले ही डिटेक्ट करके उचित कार्यवाही कर सकें।

महिला अपराधों पर लगाम लगाने के लिए मौजूद हैं यह नियम

महिला अपराधों पर लगाम लगाने के लिए आईपीसी में कई नियम है महिलाओं के साथ दुष्कर्म धारा 376 के अंतर्गत कई शिक्षण है इसमें अलग-अलग सजा का प्रावधान है सामूहिक दुष्कर्म के मामले में न्यायालय फांसी की सजा तक दे सकती है। एक व्यक्ति द्वारा दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने पर अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रावधान है। हालांकि, दुष्कर्म की धारा 376 के अंतर्गत कई सेक्शन है जिसमें अलग-अलग सजा का प्रावधान है।

महिलाओं को बेइज्जत करने व सार्वजनिक स्थान पर गालियां देने, महिलाओं को देखकर अश्लील गाने बजाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है। जिसमें कई वर्षों के कारावास का प्रावधान है।

महिला की लज्जा भंग करना व उसके साथ बल प्रयोग करने को लेकर धारा 354 का प्रावधान है जिसमें घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ कारावास की सजा का प्रावधान है।

हत्या के उद्देश्य महिला का अपहरण करने पर धारा 364 के कहत कठोर सजा के प्रावधान है

महिला को विवाह के लिए विवश करने पर धारा 366 के अंतर्गत कठोर सजा का प्रावधान है।

किसी महिला के साथ नौकर की तरह व्यवहार करने पर धारा 371 का प्रावधान है जिसमें कई वर्ष की सजा का प्रावधान है।

नाबालिग बालिका को वेश्यावृत्ति के लिए बेचना व भाड़े पर देने के अपराध के लिए धारा 372 का प्रावधान है जिसमें कई वर्षों की सजा अपराधी को दी जाती है।

बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों पर लगाम लगाने के लिए पॉक्सो एक्ट 2012( प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012) के अंतर्गत उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है।





Conclusion:बाइट वन

इस बारे में हमने पूर्व न्यायाधीश व पूर्व विधि सलाहकार राज्यपाल उत्तर प्रदेश सीबी पांडे से बातचीत की पांडे ने बताया कि हमारे पास महिला अपराधों व दुष्कर्म को रोकने के लिए तमाम कड़े कानून व पुलिस सिस्टम है इन तमाम कानूनों के बावजूद भी समाज में लगातार महिला दुष्कर्म व अपराध की घटनाएं सामने आ रही हैं। जिससे स्पष्ट है कि किस सिर्फ कड़े कानून लागू कर देने से महिलाओं के प्रति होने वाला अपराध नहीं रुकेगे, समाज का ताना-बाना ऐसा बनाना होगा जिससे महिलाओं के प्रति जो एक सोच बनी हुई है उसमें बदलाव आए। इसके लिए समाज शास्त्रियों को आगे आना होगा और एक बेहतर समाज के विकास के लिए पहल करनी होगी। दुष्कर्म की घटनाओं के लिए पुलिस को कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं होगा। क्योंकि, पुलिस घर-घर जाकर हर व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं जुटा सकती कि वह किस प्रवृत्ति का है। ऐसे में समाज को ही जिम्मेदारी लेनी होगी और आगे बढ़कर ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठानी होगी।


बाइट दो

पूर्व डीजीपी व पूर्वएससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने की टीवी से खास बातचीत में बताया की पुलिस अपने स्तर से प्रयास कर रही है सीधे तौर पर दुष्कर्म व महिला अपराधों के लिए पुलिस को जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए लेकिन इससे पुलिस की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। पुलिस को भी ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए जिससे कि समाज से जुड़े हुए लोग पुलिस को अपना सहयोगी समझे और ऐसे मामले में संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना पुलिस को उपलब्ध कराएं जिससे समय रहते पुलिस उनके खिलाफ उचित कार्यवाही कर सकें।

(संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26)



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