लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में दुष्कर्म और हत्या के मामले सामने आए हैं, जिसको लेकर लोगों में काफी गुस्सा व आक्रोश है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम कब लगेगी? जानकारों से बातचीत में यह सामने आया कि पुलिस को महिला दुष्कर्म व हत्या के मामले में सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है. पुलिस घटना के बाद गुनाहगारों को जेल पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है.
आखिरकार कैसे सुधरेगा समाज
हमारे पास महिला अपराधों व दुष्कर्म को रोकने के लिए तमाम कड़े कानून व पुलिस सिस्टम हैं. सिर्फ कड़े कानून लागू कर देने से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध नहीं रुकेंगे. समाज का ताना-बाना ऐसा बनाना होगा, जिससे महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव आए.
- सी बी पांडेय, पूर्व न्यायाधीश
सीधे तौर पर दुष्कर्म व महिला अपराधों के लिए पुलिस को जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए. ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिससे समाज से जुड़े हुए लोग पुलिस को अपना सहयोगी समझें. संदिग्धों की सूचना पुलिस को दी जाए, जिससे वह समय रहते उचित कार्रवाई कर सके.
- बृजलाल, पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश
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महिला के प्रति अपराध रोकने के लिए आईपीसी की धाराएं
- धारा 376 - इस धारा के अंतर्गत अलग-अलग सजा का प्रावधान है. सामूहिक दुष्कर्म के मामले में न्यायालय फांसी और दुष्कर्म की घटना में अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है.
- धारा 294- इस धारा के अंतर्गत महिलाओं को बेइज्जत करने, सार्वजनिक स्थान पर गालियां देने, उनको देखकर अश्लील गाने बजाने पर कई वर्षों की सजा हो सकती है.
- धारा 354 - महिला की लज्जा भंग करना व उसके साथ बल प्रयोग करने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कारावास की सजा का प्रावधान है.
- धारा 364 - हत्या के उद्देश्य से महिला का अपहरण करने पर कठोर सजा के प्रावधान हैं.
- धारा 366 - महिला को विवाह के लिए विवश करने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कठोर सजा का प्रावधान है.
- धारा 371 -किसी महिला के साथ नौकर की तरह व्यवहार करने पर इस धारा के अंतर्गत कई वर्ष की सजा का प्रावधान है.
- धारा 372 -नाबालिग बालिका को वेश्यावृत्ति के लिए बेचना व भाड़े पर देने पर यह धारा लागू होती है, इसमें कई वर्षों की सजा दी जाती है.
- पॉक्सो एक्ट 2012 - बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों पर रोक लगाने के लिए इसके अंतर्गत उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है.